केरल की 30 वर्षीय महिला हादिया पहले अखिला के नाम से जानी जाती थी। उसने इस्लाम धर्म अपना लिया था और बाद में एक मुस्लिम व्यक्ति शफीन जहां से शादी कर ली थी। इस्लाम में हादिया का धर्म परिवर्तन और एक मुस्लिम व्यक्ति से शादी ने पूरे देश में बड़ा हंगामा मचाया था।
इस शादी का उसके घर वालों ने काफी विरोध किया था और मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया था। उसके परिवार वालों और हिंदू संगठनों ने इसे लव जिहाद बताया था।
कानून से जुड़ी ख़बरें बताने वाली वेबसाइट बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक हदिया के पिता केएम अशोकन ने अब एक बार फिर केरल उच्च न्यायालय का रुख किया है।
उन्होंने आरोप लगाया है कि उनकी बेटी को उसके पति शफीन जहां और उससे जुड़े कुछ लोगों द्वारा अवैध रूप से हिरासत में लिया गया है।
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फोन से नहीं हो पा रहा संपर्क
अशोकन ने अपनी याचिका में दावा किया कि हादिया से फोन पर संपर्क करने की उनकी कोशिशें पिछले एक महीने से बेकार साबित हुई हैं।हादिया जो होमियो क्लिनिक चला रही थी वह भी बंद हो गया है। इसलिए, उन्होंने हादिया को अदालत में पेश करने के लिए बंदी प्रत्यक्षीकरण रिट जारी करने की मांग की है।
उनका दावा है कि पिछले एक महीने से जब भी उसे फोन किया, तो हादिया को कोई कॉल नहीं मिल रही थी और कई मौकों पर उसका मोबाइल फोन बंद था।
याचिका में बताया गया है कि बीते 3 दिसम्बर को याचिकाकर्ता अशोकन जब अपनी बेटी हादिया से मिलने उसके क्लिनिक गये तो पाया कि यह बंद है।
पड़ोसियों ने उन्हें बताया कि से उन्हें इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है।
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एससी ने हाईकोर्ट के फैसले के रद्द कर दिया था
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल 2018 में, सुप्रीम कोर्ट ने हादिया और जहान की शादी को रद्द करने के केरल हाईकोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया था। तब सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एनआईए केरल में हदिया और अन्य के कथित जबरन धर्म परिवर्तन के पीछे एक "बड़ी साजिश" के मुद्दे की जांच जारी रख सकती है।पीठ ने कहा था कि हम स्पष्ट करते हैं कि आपराधिकता के किसी भी मामले के संबंध में एनआईए द्वारा जांच कानून के अनुसार जारी रह सकती है।
लेकिन हादिया की पति की पसंद पर सवाल नहीं उठाया जा सकता। “उसका ब्रेनवॉश किया जा सकता है, लेकिन हम क्या कर सकते हैं? जिस पुरुष से उसकी शादी हुई है वह अच्छा है या नहीं, यह उसे तय करना है। यह एक स्वतंत्र विकल्प है या नहीं, केवल वह ही जानती है। हम इसमें शामिल नहीं हो सकते. अगर वह अदालत में आती है और कहती है कि उसने अपनी पसंद से शादी की है, तो मामला खत्म हो जाएगा।''
अदालत ने हादिया के पिता को "एक जिद्दी व्यक्ति कहा था, जिसने अपनी बेटी को अपने धर्म का पालन करने में अपनी पसंद का चुनाव करने की अनुमति नहीं दी।
सुप्रीम कोर्ट ने सहमति से वयस्कों की शादी को रद्द करने के हाईकोर्ट के फैसले पर भी सवाल उठाया था। उस समय हादिया के पिता अशोकन ने कहा था कि उन्हें अपनी बेटी को एक "आतंकवादी" के साथ जाने देने से दुख हुआ है और वह कानूनी लड़ाई जारी रखेंगे।
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