कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन वाली सरकार गिर चुकी है और अब यह आशंका है कि कहीं कांग्रेस की मध्य प्रदेश और राजस्थान की सरकारों को तो कोई ख़तरा नहीं है।
जब बाक़ी नेताओं पर ‘75 प्लस’ का फ़ॉर्मूला लागू होता है तो येदियुरप्पा पर क्यों नहीं। सवाल यह खड़ा होता है कि एक ही पार्टी में को लेकर दोहरे मापदंड क्यों हैं?
संवैधानिक स्थिति बिल्कुल स्पष्ट है कि राज्यपाल स्पीकर को किसी भी तरह का आदेश या सलाह नहीं दे सकते और स्पीकर राज्यपाल की सलाह या आदेश मानने के लिए बाध्य नहीं हैं।
राज्यपाल वजुभाई वाला ने मुख्यमंत्री को एक और चिट्ठी लिखकर शुक्रवार शाम 6 बजे से पहले विश्वास मत हासिल करने के लिए कहा था। लेकिन यह समयसीमा ख़त्म हो गई और फ़्लोर टेस्ट नहीं हुआ।
कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन के बाग़ी विधायकों को सुप्रीम कोर्ट से मंगलवार को भी राहत नहीं मिली ओर कोर्ट ने बुधवार तक के लिए फ़ैसला सुरक्षित रख लिया।
कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस के विधायकों के इस्तीफ़ा देने के कारण राजनीतिक संकट बना हुआ है। लेकिन क्या दल-बदल क़ानून से कर्नाटक में सरकार बनाने के बीजेपी के मंसूबों पर पानी फिर जाएगा? देखिए वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष और रक्षा विशेषज्ञ राकेश कुमार सिन्हा की बातचीत।