कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बुलावे पर कई राज्यों के मुख्यमंत्री और विपक्षी नेता बेंगलुरु पहुंचे। कर्नाटक का शपथ ग्रहण समारोह विपक्षी एकता के प्रदर्शन का मंच बन गया। हालांकि बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने अपना प्रतिनिधि भेजा। दिल्ली के सीएम केजरीवाल और बसपा प्रमुख को बुलाया नहीं गया।
कांग्रेस इस मौके का इस्तेमाल 2024 के लिए भी करना चाहती है। कर्नाटक के नतीजों से उत्साहित कांग्रेस चाहती है कि जनता को विपक्षी एकता का एक स्पष्ट संदेश देना जरूरी है। एक तरह से 2024 के लिए विपक्ष भी इस कार्यक्रम से चुनावी मोड में आ जाएगा। जबकि भाजपा तो खैर पहले से ही चुनावी मोड में है। उसने कर्नाटक चुनाव को 2024 के हिसाब से प्लान किया था।
तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन, एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार, कमल हासन, सीएमपी से सीताराम येचुरी, सीपीआई से डी. राजा राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत, बिहार के सीएम नीतीश कुमार, आरजेडी के तेजस्वी यादव छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल, हिमाचल प्रदेश के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू, पुडुचेरी के सीएम एन रंगास्वामी, झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन और नेशनल कॉन्फ्रेंस के फारुख अब्दुल्लाह आदि शपथ ग्रहण का हिस्सा बने। इसमें से गहलोत, बघेल और सुक्खू जरूर केंद्र शासित प्रदेश की सीएम हैं लेकिन बाकी सब विपक्ष के बड़े नाम हैं।
समारोह में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी सहित कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेताओं को देखा गया। बीमार होने की वजह से कांग्रेस की बुजुर्ग नेता सोनिया गांधी नहीं आ सकीं।
कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 224 में से 135 सीटें जीतकर शानदार जीत दर्ज की। भाजपा 66 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही और जेडीएस ने 19 सीटें जीतीं।
क्या संदेश है
इस एकजुटता का संदेश स्पष्ट है। तृणमूल कांग्रेस जो कांग्रेस को पसंद नहीं कर रही थी, अब कांग्रेस के पक्ष में नजर आ रही है। हालांकि इस कार्यक्रम में सपा प्रमुख अखिलेश यादव नहीं आए लेकिन ममता की तरह उन्होंने भी अपना प्रतिनिधि भेजा। एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने पिछले दिनों तेवर दिखाए थे, वो भी विपक्ष के खेमे में लौटते दिखाई दे रहे हैं। इस तरह नीतीश ने बहुत पहले जो कहा था, वो सच साबित हो रहा है। नीतीश ने कहा था कि कांग्रेस के बिना कोई विपक्षी एकता नहीं हो सकती। अब 2024 की विपक्ष की तस्वीर साफ हो रही है। बिहार में जल्द होने वाली विपक्षी दलों की रैली में यह तस्वीर और भी साफ होगी। उस रैली में ममता और अखिलेश दोनों को आना होगा। कांग्रेस बहुत पहले ही कह चुकी है कि वो विपक्षी एकता के लिए किसी भी कोशिश को नहीं छोड़ेगी।
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