कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा की मुश्किलों में लगातार इजाफा हो रहा है। कैबिनेट के मंत्री के. एस. ईश्वरप्पा के द्वारा राज्यपाल से उनकी शिकायत करने के बाद कर्नाटक हाई कोर्ट के ताज़ा आदेश के कारण येदियुरप्पा मुश्किलों से घिर गए हैं।
हाई कोर्ट ने 2019 के ऑपरेशन लोटस के मामले में येदियुरप्पा के ख़िलाफ़ जांच के आदेश दिए हैं। इस मामले में येदियुरप्पा पर आरोप है कि उन्होंने तत्कालीन राज्य सरकार को गिराने के लिए सत्तारूढ़ गठबंधन के विधायकों को पैसे और मंत्री पद का लालच दिया था। इसे ऑपरेशन लोटस कहा जाता है।
जस्टिस माइकल ने 31 मार्च को इस मामले में लगे स्टे को हटाने का आदेश दिया। अब इस बात की जांच की जाएगी कि ऑपरेशन लोटस में येदियुरप्पा की क्या भूमिका थी।
गुरुमितकल सीट से विधायक के बेटे शरणगौड़ा पाटिल ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी कि येदियुरप्पा ने उससे उसके पिता को पाला बदलकर बीजेपी में आने को राजी करने के लिए कहा था। पाटिल ने पुलिस को उनके बीच हुई बातचीत की ऑडियो रिकॉर्डिंग भी उपलब्ध कराई थी। इस मामले में मुक़दमा दर्ज किया गया था।
ऐसा आरोप है कि ऑपरेशन लोटस के कारण ही कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस के विधायकों ने बग़ावत की थी और बहुमत न होने के कारण कुमारस्वामी सरकार गिर गई थी और बीजेपी ने सरकार बनाई थी।
कामकाज में दख़ल देने का आरोप
एक ही दिन पहले ग्रामीण विकास मंत्री के. एस. ईश्वरप्पा ने राज्यपाल विजूभाई वाला से शिकायत की थी कि येदियुरप्पा उनके कामकाज में हस्तक्षेप करते हैं, उन्होंने कई तरह की गंभीर गड़बड़ियां की हैं और अधिनायकवादी प्रवृत्ति के हैं। ईश्वरप्पा ने राज्यपाल को लिखी चिट्ठी में कहा है कि मुख्यमंत्री कैबिनेट में सत्ता के बंटवारे को लेकर बने कर्नाटक (ट्रांजैक्शन ऑफ़ बिज़नेस) रूल 1977 का उल्लंघन करते हैं। इस चिट्ठी की प्रतियां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जे. पी. नड्डा को भी भेजी गई हैं।
रमेश जारकिहोली ने बढ़ाई मुसीबत
येदियुरप्पा की मुसीबतें अपनी कैबिनेट के पूर्व मंत्री रमेश जारकिहोली के सैक्स सीडी स्कैंडल की वजह से भी बढ़ी हुई हैं। सैक्स सीडी को लेकर कर्नाटक में बवाल मचा हुआ है और येदियुरप्पा पर मंत्री को बचाने का आरोप लग रहा है। भारी दबाव के बाद रमेश जारकिहोली को पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा था और अब उन पर गिरफ़्तारी की तलवार लटक रही है।
कैबिनेट विस्तार भी बना था मुसीबत
इस साल जनवरी में कैबिनेट का विस्तार करने के बाद भी येदियुरप्पा के ख़िलाफ़ उनके राजनीतिक विरोधी एकजुट हो गए थे। येदियुरप्पा को कैबिनेट विस्तार के लिए लंबे वक़्त तक आलाकमान की हां का इंतजार करना पड़ा था।कैबिनेट के विस्तार के बाद येदियुरप्पा के विरोधियों ने आरोप लगाया था कि कैबिनेट के विस्तार में उन्होंने ‘अपने लोगों’ को अहमियत दी है। कर्नाटक बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने कहा था कि कैबिनेट विस्तार में उन्हीं लोगों को मंत्री बनाया गया है जिन्होंने येदियुरप्पा को ब्लैकमेल किया या जो उनके क़रीबी लोग हैं।
येदियुरप्पा के बीजेपी बीजेपी आलाकमान से रिश्ते ठीक नहीं चल रहे हैं। वह 75 साल की उम्र की सीमा को पार कर चुके हैं और आलाकमान उन्हें किसी राज्य का गवर्नर बनाकर राज्य की राजनीति से उनकी विदाई कराना चाहता है जबकि येदियुरप्पा इसके लिए तैयार नहीं हैं।
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