जिस नलिन कुमार कतील को महात्मा गाँधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे के पक्ष में बयान देने के लिए बीजेपी ने खिंचाई की थी उन्हें ही अब कर्नाटक बीजेपी का प्रमुख बना दिया गया है। यानी गोडसे के पक्ष में बोलने के बावजूद कतील की पदोन्नति हुई। हाल के दिनों में जब साध्वी प्रज्ञा सिंह ने नाथूराम गोडसे को देशभक्त बताया था तो ख़ुद प्रधानमंत्री ने कहा था कि वह उन्हें दिल से कभी माफ़ नहीं करेंगे। हालाँकि, इस मामले में भी कार्रवाई होती नहीं दिखी।
सवाल यह उठता है कि जिस नेता की कुछ महीनों पहले ही महात्मा गाँधी के हत्यारे का पक्ष लेने के लिए तीखी आलोचना की गई हो उसे बीजेपी ने इतनी बड़ी ज़िम्मेदारी क्यों दी? जिस तरह से नलिन कुमार कतील ने गोडसे को लेकर बात की थी वह काफ़ी आपत्तिजनक थी। उन्होंने इसी साल मई महीने में ट्वीट किया था, 'गोडसे ने एक को मारा, कसाब ने 72 को और राजीव ने 17 हज़ार को, अब आप देखिए कौन सबसे ज़्यादा जालिम है।' पार्टी ने ख़ुद इसे ग़लत माना था और इसीलिए उनकी आलोचना की गई थी। जब काफ़ी विवाद हुआ तब बाद में ट्वीट के लिए उन्हें माफ़ी माँगनी पड़ी थी।
बीएस येदियुरप्पा की जगह कर्नाटक बीजेपी अध्यक्ष पद पर चुने गए नलिन कुमार कतील लंबे समय से बीजेपी से जुड़े रहे हैं। वह कर्नाटक की दक्षिण कन्नड सीट से सांसद हैं और अपने छात्र जीवन से ही आरएसएस से जुड़े रहे हैं। नलिन कुमार 18 साल की उम्र में आरएसएस के प्रचारक बन गए थे। 2004 में बीजेपी ने उनको संगठन में ज़िला महासचिव का पद दिया। 2009, 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में वह सांसद चुने गए।
कहा जाता है कि सबरीमला मंदिर विवाद मामले में बीजेपी और संघ की ओर से 2018 में उत्तरी केरल में प्रदर्शन करने की ज़िम्मेदारी कतील ही संभाल रहे थे। वह 2017 में कर्नाटक में सात हिंदू कार्यकर्ताओं की कथित हत्या के बाद हुए प्रदर्शन में अग्रणी रहे थे। पार्टी के बड़े नेताओं से उनके अच्छे संबंध हैं। इन्हीं परिस्थितियों में गोडसे पर बयान देने के बावजूद उन्हें पार्टी में पदोन्नति मिली है।
गोडसे को देशभक्त कहने वाली प्रज्ञा पर कार्रवाई नहीं?
इसी साल मई महीने में लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी नेता साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने भी महात्मा गाँधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को देशभक्त बताया था। मालेगाँव बम धमाकों की अभियुक्त प्रज्ञा ने एक पत्रकार के सवाल पूछने पर कहा था, ‘नाथूराम गोडसे देशभक्त थे, हैं और रहेंगे। जो लोग उन्हें आतंकवादी कह रहे हैं, उन्हें अपने गिरेबान में झाँकना चाहिए। ऐसे लोगों को इस चुनाव में जवाब दे दिया जाएगा।’ बाद में किरकिरी होने और बीजेपी के दबाव के बाद उन्होंने अपने बयान पर माफ़ी माँगी थी। बीजेपी ने इसकी निंदा करते हुए उनसे स्पष्टीकरण माँगा था और सार्वजनिक तौर पर माफ़ी माँगने को कहा था।
मोदी ने कहा था- माफ़ नहीं कर पाऊँगा
तब बीजेपी के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बयान आया था। इसमें उन्होंने कहा था, ‘महात्मा गाँधी और नाथूराम गोडसे को लेकर जो भी बातें की गईं हैं, वो भयंकर रूप से ख़राब हैं। ये बातें पूरी तरह से घृणा के लायक हैं, सभ्य समाज के अंदर इस प्रकार की बातें नहीं चलती हैं। भले ही इस मामले में उन्होंने माफ़ी माँग ली हो, लेकिन मैं अपने मन से उन्हें कभी भी माफ़ नहीं कर पाऊँगा।’
बता दें कि साध्वी के ख़िलाफ़ पार्टी की ओर से अब तक वैसी कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
हेगड़े ने भी की थी तारीफ़
तब इस मामले में प्रज्ञा के नाथूराम गोडसे के बयान की बीजेपी के वरिष्ठ नेता और और केंद्रीय मंत्री अनंत हेगड़े ने तारीफ़ की थी। उन्होंने साध्वी प्रज्ञा के बयान को सही ठहराते हुए कहा था, ‘मैं खुश हूँ कि क़रीब 7 दशक बाद आज की नई पीढ़ी इस मुद्दे पर चर्चा कर रही है और साध्वी प्रज्ञा को इस पर माफ़ी माँगने की ज़रूरत नहीं है।’
हेगड़े ने ट्वीट किया था कि अब समय है कि आप मुखर हों और माफ़ी माँगने से आगे बढ़ें, अब नहीं तो कब।’ उनके इस बयान पर बवाल होने के बाद हेगड़े ने कहा था कि उनका ट्विटर अकाउंट हैक हो गया था और ट्वीट के लिए ख़ेद जताया था। अनंतकुमार हेगड़े, साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और नलीन कतील के इस पूरे मामले को अमित शाह ने अनुशासन समिति में भेज दिया था और 10 दिन में रिपोर्ट माँगी थी। हालाँकि, इसके बाद क्या कार्रवाई की गई, इसके बारे में जानकारी नहीं दी गई है।
अनुशासन समिति तीनों नेताओं से जवाब मांगकर उसकी एक रिपोर्ट 10 दिन के अंदर पार्टी को दे, इस तरह की सूचना दी गयी है।
— Amit Shah (@AmitShah) May 17, 2019
महात्मा गाँधी पर टिप्पणी
नाथूराम गोडसे की तारीफ़ के साथ-साथ कई नेता महात्मा गाँधी को भी निशाने पर लेते रहे हैं और उनके ख़िलाफ़ भी कार्रवाई होती नहीं दिखती। हाल ही में मध्य प्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता अनिल सौमित्र ने तो अपने फ़ेसबुक पेज पर बिना नाम लिए महात्मा गाँधी को पाकिस्तानियों का राष्ट्रपिता बता दिया था। अपने फ़ेसबुक पर उन्होंने लिखा था, ‘राष्ट्रपिता थे लेकिन पाकिस्तान राष्ट्र के। भारत राष्ट्र में तो उनके जैसे करोड़ों पुत्र हुए कुछ लायक तो कुछ नालायक।’
साक्षी महाराज ने भी बताया था देशभक्त
बीजेपी सांसद साक्षी महाराज ने दिसंबर 2014 में कहा था, 'गोडसे एक देशभक्त था। गाँधीजी ने भी देश के लिए कई अच्छे काम किए।' गोडसे को देशभक्त कहने पर संसद में भी हंगामा मचा था। कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि ऐसे बयानों के लिए बीजेपी ज़िम्मेदार है। हालाँकि विवाद खड़ा होने के बाद साक्षी महाराज अपने बयान से पलट गए। उन्होंने दावा किया कि उन्होंने गोडसे को कभी भी राष्ट्रभक्त नहीं बताया था। बीजेपी नेता और संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने तब कहा था कि सरकार महात्मा गाँधी के हत्यारे को किसी तरह का समर्थन नहीं दे रही है। बता दें कि साक्षी महाराज आरएसएस से जुड़े रहे हैं।
गोडसे को हीरो बनाने की कोशिश क्यों?
महात्मा गाँधी की हत्या के बाद नाथूराम गोडसे को फाँसी की सजा दी गई, लेकिन इसके 70 साल बाद भी उसे जब तब हीरो बनाने की कोशिश की जाती रही है। कई संगठनों के लोग इसके लिए बयान देते रहे हैं और कई बार बीजेपी के नेता भी इसमें शामिल रहे हैं। पार्टी की ओर से बार-बार हिदायत दी जाती है, लेकिन ऐसी बयानबाज़ी रुकती नहीं है। इन्हीं परिस्थितियों में अब नलिन कुमार कतील को कर्नाटक बीजेपी का अध्यक्ष बनाए जाने का क्या संदेश जाएगा?
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