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कर्नाटक के एक गाँव में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा से जुड़े एक कार्यक्रम से बीजेपी सांसद प्रताप सिम्हा को भगा दिया। वह भी उसी दिन जिस दिन अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान हो रहे थे। बीजेपी इस अनुष्ठान को पूरे देश भर में प्रचार कर रही है और समझा जाता है कि लोकसभा चुनाव से पहले यह भुनाने की कोशिश है। लेकिन कर्नाटक के ग्रामीणों ने अनुष्ठान से बीजेपी सांसद को यही कहते हुए भगा दिया कि वह लोकसभा चुनाव से पहले अपने फायदे के लिए आ गए, जबकि पहले उन्होंने पूरी तरह उपेक्षा की।
सोशल मीडिया पर साझा किए गए वीडियो में बीजेपी सांसद को घेरे हुए ग्रामीण दिखते हैं। हालाँकि ग्रामीणों को समझाने की कोशिश भी की गई, लेकिन वे नहीं माने।
BJP MP Pratap Simha was sent back by villagers from Temple in Mysuru as people alleged him of being Anti Dalit.
— Amock (@Politics_2022_) January 22, 2024
He had to go back after protest,
The media will not show you this as it won't suit propaganda 🚨#RamMandirPranPrathisthapic.twitter.com/LXZXSfozpH
यह मामला कर्नाटक के मैसूर जिले का है। अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से पहले, मैसूर जिले के हारोहल्ली पंचायत के अंतर्गत आने वाले गुज्जेगौदानपुरा गांव में एक मंदिर का शिलान्यास समारोह आयोजित किया गया। एक ग्रामीण ने ही राम मंदिर बनाने के लिए जमीन दान की है और सोमवार को उसकी नींव रखने के लिए कार्यक्रम आयोजित किया गया था।
उस कार्यक्रम में मैसूरु-कोडगु के सांसद प्रताप सिम्हा पहुँचे। ग्रामीणों ने सांसद को वहाँ से चले जाने के लिए कहा। वहाँ ग्रामीण पूर्व मंत्री एसआर महेश और स्थानीय विधायक जीटी देवेगौड़ा सहित निर्वाचित प्रतिनिधि पहले से ही कार्यक्रम में शरीक थे।
ग्रामीणों ने कहा कि सांसद ने पहले दलितों के ख़िलाफ़ बोला था। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके कहने पर कुछ लोगों को गिरफ़्तार तक किया गया था।
उन्होंने कहा, 'जद(एस) नेताओं के अलावा भाजपा विधायक टीएस श्रीवत्स ने भी उस जगह का दौरा किया और लोगों से बात की, लेकिन प्रताप सिम्हा ने कभी भी उनसे मिलने की जहमत नहीं उठाई।'
ग्रामीणों के ग़ुस्से के बाद प्रताप सिम्हा आने के कुछ मिनट बाद ही वहाँ से चले गए। हालाँकि, जीटी देवेगौड़ा और अन्य नेताओं ने ग्रामीणों को समझाने की कोशिश की, लेकिन वे नहीं माने।
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