कर्नाटक में तो एकतरफ राजनीतिक गतिविधियां चल रही हैं तो दूसरी वहां के मठ और उसके संत भी राजनीति में पूरी दिलचस्पी ले रहे हैं। राज्य के तमाम मठ अपने-अपने समुदाय के विधायकों को मंत्री बनवाने के लिए सक्रिय हैं।
224 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के 135 विधायक हैं, इसके अलावा दो निर्दलीय और सर्वोदय पार्टी के विधायक का भी समर्थन है। पचास से अधिक विधायक पहली बार जीते हैं, लेकिन 75 से अधिक वरिष्ठ हैं और उनमें से कई पूर्व मंत्री हैं।
लेकिन सबसे दिलचस्प है कि विभिन्न मठों और सामुदायिक संगठनों के प्रमुख बयान जारी कर मांग कर रहे हैं कि कांग्रेस उनके समुदाय के नेताओं को सीएम और उपमुख्यमंत्री के पदों पर विचार किया जाए।
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक कई विधायकों ने कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के साथ अपने रसूख का इस्तेमाल करने के लिए उन्हें नए मंत्रालय में स्थान दिलाने के लिए अपने स्थानीय मठों से भी संपर्क किया था।
वोक्कालिगाओं की प्रभावशाली धार्मिक सीट आदि चुंचनगिरी मठ के प्रमुख स्वामी निर्मलानंद नाथ ने कहा है कि शिवकुमार को सीएम पद मिलना चाहिए। केपीसीसी अध्यक्ष समुदाय से संबंध रखते हैं, जो लिंगायतों के बाद कर्नाटक में दूसरा सबसे बड़ा समुदाय है।
कुरुबा मठों के प्रमुखों ने मांग की कि समुदाय के सदस्य, विपक्ष के नेता सिद्धारमैया को सीएम पद दिया जाना चाहिए।
टाइम्स ऑफ इंडिया ने बताया कि इन बयानों के सामने आने के तुरंत बाद, लिंगायत सहित अन्य समुदाय के मठ प्रमुखों ने भी अपनी मांग उठाई है। लिंगायत वोक्कालिगा के बाद सबसे बड़ा समुदाय है।
बेलगावी स्थित रुद्राक्षी मठ के प्रमुख अल्लमप्रभु स्वामी ने लिंगायतों के लिए सीएम पद मांगा है। वयोवृद्ध कांग्रेस नेता और वीरशैव-लिंगायत महासभा के अध्यक्ष शमनूर शिवशंकरप्पा ने समुदाय के एक सदस्य के लिए मुख्यमंत्री पद की मांग की है। उन्होंने पहले कहा था कि अगर पार्टी सबसे अधिक लिंगायतों के साथ जीतती है तो महासभा समुदाय के लिए पद की मांग करेगी।
तुमकुरु में दलित संगठनों ने वरिष्ठ नेता जी परमेश्वर के लिए मुख्यमंत्री पद की मांग की है। वाल्मीकि (एसटी) समुदाय के नेताओं ने केपीसीसी के कार्यकारी अध्यक्ष सतीश झारखोली के लिए मुख्यमंत्री पद की मांग की है।
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