'भारत जोड़ो यात्रा' से जुड़ी एक एफ़आईआर के मामले में राहुल गांधी, जयराम रमेश और सुप्रिया श्रीनेत को कर्नाटक हाई कोर्ट से राहत नहीं मिल पाई। भारत जोड़ो यात्रा के दौरान हिट फिल्म केजीएफ़ चैप्टर-2 के संगीत के कथित कॉपीराइट उल्लंघन के लिए इन नेताओं पर एफ़आईआर दर्ज की गई थी। इसको रद्द करने के लिए कांग्रेस नेताओं ने कर्नाटक हाई कोर्ट में याचिका लगाई थी। लेकिन अदालत ने एफआईआर को रद्द करने से इनकार कर दिया है।
न्यायमूर्ति एम नागप्रसन्ना की एकल पीठ ने बुधवार को तीन कांग्रेस नेताओं द्वारा दायर याचिका को खारिज करते हुए फैसला सुनाया। कांग्रेस के तीनों नेताओं पर एफ़आईआर का यह मामला राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से जुड़ा है। राहुल ने कन्याकुमारी से कश्मीर तक की करीब चार हजार किलोमीटर लंबी पदयात्रा की थी।
कन्याकुमारी से यात्रा 7 सितंबर को शुरू हुई थी और लगभग 145 दिनों में 3,970 किमी चली थी। यह यात्रा 12 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों को कवर करने के बाद 30 जनवरी को श्रीनगर में समाप्त हुई थी। लेकिन जब यात्रा दक्षिण के राज्यों से गुजर रही थी तो केजीएफ़ चैप्टर-2 के संगीत का इस्तेमाल प्रचार वाले वीडियो में किया गया था। इसी को लेकर यह मामला हाई कोर्ट तक पहुँचा।
बहरहाल, हाई कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा, 'ऐसा लगता है कि याचिकाकर्ताओं ने बिना अनुमति के स्रोत कोड के साथ छेड़छाड़ की है, जो निस्संदेह कंपनी के कॉपीराइट का उल्लंघन होगा। ऐसा लगता है कि याचिकाकर्ताओं ने कंपनी के कॉपीराइट को हल्के में ले लिया है। इसलिए प्रथम दृष्टया जांच में सबूत के तौर पर इन सभी को खारिज कर दिया जाना चाहिए।'
बता दें कि लहरी म्यूजिक की सहयोगी कंपनी एमआरटी म्यूजिक के एम नवीन कुमार ने बेंगलुरु के यशवंतपुर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी कि फिल्म के संगीत का इस्तेमाल कांग्रेस पार्टी द्वारा भारत जोड़ो यात्रा के एक प्रचार वीडियो में किया गया था। उसने कहा था कि उस संगीत पर उसका कॉपीराइट है।
शिकायत के बाद धारा 120-बी यानी आपराधिक साजिश, 403 यानी संपत्ति का बेईमानी से दुरुपयोग, 465 यानी जालसाजी और भारतीय दंड संहिता की धारा 34 यानी सामान्य इरादे से आपराधिक कृत्य, कॉपीराइट अधिनियम की धारा 33 और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66 के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी।
इससे पहले एक वाणिज्यिक अदालत में संबंधित मुकदमा दायर किया गया था जिसके कारण कांग्रेस पार्टी के सोशल मीडिया खातों को फ्रीज करने का आदेश दिया गया था। पार्टी द्वारा अपने सोशल मीडिया हैंडल से आपत्तिजनक वीडियो हटाने के वादे के बाद हाई कोर्ट ने इसे रद्द कर दिया था।
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