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कर्नाटक में हिजाब, मुसलिम व्यापारी के बाद हलाल मांस पर विवाद क्यों?

कर्नाटक में अब हलाल मांस पर प्रतिबंध की मांग क्यों की जा रही है? दक्षिणपंथी संगठनों ने मांग की है कि पूरे राज्य में हलाल मांस पर प्रतिबंध लगाया जाए। इस मांग पर राज्य के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा है कि उनकी सरकार हलाल मांस के ख़िलाफ़ उठाई गई गंभीर आपत्ति पर गौर करेगी। तो इस बयान का संकेत क्या है? क्या यह मुद्दा अब लंबे समय तक रहेगा? राज्य में इसी साल होने वाले चुनाव तक या बाद भी?

बीजेपी सरकार ने इस मुद्दे पर गौर करने की बात तो की है, लेकिन इस मुद्दे पर हिंसा की ख़बरें भी आने लगीं। पुलिस ने कहा है कि बजरंग दल के कुछ कार्यकर्ताओं ने गुरुवार को भद्रावती में एक मुसलिम विक्रेता पर हमला किया। 

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इस नये विवाद ने अब हिंसा का रूप भी ले लिया है। यह उस राज्य में हो रहा है जहाँ हाल ही में मुसलिमों से जुड़े दो विवाद सामने आ गए हैं। 

एक मामला तो मंदिरों द्वारा मेले में मुसलिम दुकानदारों पर प्रतिबंध लगाने का है। कम से कम छह मंदिरों ने प्रतिबंध लगाए हैं। हालाँकि, कई रिपोर्टों में कहा गया है कि यह प्रतिबंध कुछ दक्षिणपंथी संगठनों के दबाव में लगाए गए हैं। जब यह विवाद बढ़ा तो कर्नाटक सरकार ने कुछ मंदिरों द्वारा धार्मिक त्योहारों के दौरान मुसलिम व्यापारियों पर प्रतिबंध लगाने के फ़ैसले का बचाव किया। क़रीब हफ़्ते भर पहले विधानसभा में राज्य के क़ानून मंत्री जेसी मधुस्वामी ने कहा था कि 2002 में पारित हिंदू धार्मिक संस्थान और धर्मार्थ बंदोबस्ती अधिनियम के अनुसार, एक हिंदू धार्मिक संस्थान के पास की जगह को दूसरे धर्म के व्यक्ति को पट्टे पर देना प्रतिबंधित है।

बता दें कि ये लोकप्रिय हिंदू धार्मिक मेलों में आमतौर पर सभी धर्मों के सदस्य एक-दूसरे के साथ व्यापार करते हैं। लेकिन इस बार तटीय कर्नाटक के सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील जिलों में पोस्टर सामने आए हैं जो पहले से ही कक्षाओं में हिजाब पर प्रतिबंध लगाने के कारण उबाल पर थे।

कुछ महीने पहले ही राज्य के स्कूलों में हिजाब पर प्रतिबंध लगाया गया है और कहा गया है कि शिक्षण संस्थानों में सिर्फ़ यूनिफॉर्म ही चलेगी और किसी धार्मिक पहचान वाली पोशाक की अनुमति नहीं दी जाएगी।

दक्षिणपंथी संगठनों ने इस पर बवाल खड़ा किया। उन्होंने विरोध में भगवा गमछा पहनकर स्कूल जाना शुरू कर दिया। कर्नाटक सरकार ने भी हिजाब पर उस प्रतिबंध का समर्थन किया। हाई कोर्ट ने भी स्कूलों के प्रतिबंध को वाजिब ठहराया और अब इसके ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई है। 

अब हलाल मांस का विवाद आया है। भद्रावती में मुसलिम विक्रेता पर हमले के मामले में शिवमोग्गा के पुलिस अधीक्षक बीएम लक्ष्मी प्रसाद ने एएनआई को बताया कि संबंधित धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है। शिवमोग्गा के एसपी ने कहा है कि बजरंग दल के कार्यकर्ताओं ने बहस की और फिर एक मुसलिम विक्रेता पर हमला किया। 

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पुलिस का कहना है कि यह घटना तब घटी जब बजरंग दल के कुछ कार्यकर्ता बुधवार दोपहर करीब साढ़े बारह बजे होसमाने इलाक़े में 'हलाल' मीट के ख़िलाफ़ प्रचार कर रहे थे। उन्होंने कथित तौर पर मुसलिम मांस विक्रेता थौसिफ को धमकी दी। पुलिस को दी गई शिकायत के अनुसार, कार्यकर्ताओं ने उसे उसकी चिकन की दुकान पर 'गैर-हलाल' मांस बेचने के लिए कहा। उसने उनसे कहा कि ऐसा मांस तैयार नहीं है और वह इसकी व्यवस्था करेगा। इससे नाराज़ कार्यकर्ताओं ने कथित तौर पर उसकी पिटाई कर दी। पुलिस ने कहा कि एक शिकायत के बाद पुलिस ने जांच शुरू कर दी है और पांच दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं से पूछताछ की है।

एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील शिवमोग्गा जिले में एक अन्य घटना में पुलिस ने बजरंग दल के उन्हीं कार्यकर्ताओं के ख़िलाफ़ पुरानी भद्रावती में एक होटल व्यवसायी को 'गैर-हलाल' मांस नहीं परोसने के लिए धमकाने और गाली देने का मामला दर्ज किया।

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बहरहाल, इस मामले में भी सरकार का रवैया कैसा है, खुद मुख्यमंत्री बोम्मई के बयान से इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। बोम्मई ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'हलाल मुद्दा अभी शुरू हुआ है। हमें इसका अध्ययन करना होगा। यह एक प्रथा है जो चल रही है। अब इसके बारे में गंभीर आपत्तियां उठाई गई हैं। मैं इस पर गौर करूंगा।' कुछ दक्षिणपंथी संगठनों द्वारा हलाल मांस के बहिष्कार के आह्वान के बारे में पूछे जाने पर बोम्मई ने कहा, 'जहाँ तक ​​मेरी सरकार का सवाल है, हम दक्षिणपंथी या वामपंथी नहीं हैं, केवल विकास पंथ हैं।'
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क़मर वहीद नक़वी
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