कर्नाटक की कांग्रेस-जनता दल सरकार भी पेगासस सॉफ़्टवेअर जासूसी के निशाने पर थी। लीक हुए डेटाबेस में इस सरकार के लोगों के फ़ोन नंबर भी पाए गए हैं। यह साल 2019 में उस समय की बात है जब वह सरकार ख़तरे में थी और अंत में गिर गई, जिसके बाद बीजेपी की सरकार बनी और बी. एस. येदियुरप्पा मुख्यमंत्री बने थे।
'द वायर' ने एक रिपोर्ट में कहा है कि सरकार के गिरने और उसके लोगों की कथित तौर पर जासूसी होने के बीच निश्चित तौर पर संबंध है। हालांकि यह साबित नहीं हो पाया है कि कर्नाटक सरकार के लोगों की जासूसी पेगासस सॉफ़्टवेअर के ज़रिए की गई थी, पर उनके नाम उस सूची में थे, जिनकी जासूसी की जानी थी।
कर्नाटक के एच. डी. कुमारस्वामी की सरकार गंभीर संकट में थी, पार्टी के विधायकों ने विद्रोह कर दिया था। उसी समय सरकार से जुड़े लोगों के फ़ोन नंबर को निशाने पर लिया गया था।
निशाने पर कुमारस्वामी?
तत्कालीन मुख्यमंत्री एच. डी. कुमारस्वामी के अलावा तत्कालीन उप मुख्यमंत्री जी परमेश्वर, पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उनके निजी सचिवों के फ़ोन निशाने पर थे।
'द वायर' का कहना है कि एनएसओ के ग्राहकों के पास से जो फ़ोन नंबर मिले, उनमें ये नंबर भी थे।
लेकिन यह साबित नहीं हो सका है कि इन फ़ोन को निशाना बनाया गया या नहीं।
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क्या है पेगासस प्रोजेक्ट?
फ्रांस की ग़ैरसरकारी संस्था 'फ़ोरबिडेन स्टोरीज़' और 'एमनेस्टी इंटरनेशनल' ने लीक हुए दस्तावेज़ का पता लगाया और 'द वायर' और 15 दूसरी समाचार संस्थाओं के साथ साझा किया। इसका नाम रखा गया पेगासस प्रोजेक्ट।
10 देशों के 1,571 टेलीफ़ोन
'द गार्जियन', 'वाशिंगटन पोस्ट', 'ला मोंद' ने 10 देशों के 1,571 टेलीफ़ोन नंबरों के मालिकों का पता लगाया और उनकी छानबीन की। उसमें से कुछ की फ़ोरेंसिक जाँच करने से यह निष्कर्ष निकला कि उनके साथ पेगासस स्पाइवेअर का इस्तेमाल किया गया था।
क्या कहना है पेगासस का?
पेगासस सॉफ़्टवेअर बनाने वाली इज़रायली कंपनी एनएसओ ने ज़ोर देकर कहा है कि वह सिर्फ सरकारों और उनकी एजसियों को ही यह सॉफ़्टवेअर देती है, किसी और को नहीं। उसने यह तो नहीं बताया कि किसे यह सॉफ़्टवेअर बेचा है, पर यह ज़रूर कहा कि ऐसी 36 एजंसियों को पेगासस सॉफ़्टवेअर दिया गया।
यदि एनएसओ की बात सही है तो भारत में सरकार या किसी सरकारी एजंसी ने यह इंटरसेप्ट किया होगा, इससे इनकार नहीं किया जा सकता है।
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