कांग्रेस के लिए एक और राज्य ऐसा है, जहां पर दो सियासी क्षत्रप आमने-सामने आते दिख रहे हैं। यह राज्य कर्नाटक है और कांग्रेस में पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार के बीच अगले विधानसभा चुनाव में पार्टी का चेहरा बनने को लेकर ‘जंग’ हो रही है। राज्य में मई, 2023 में चुनाव होने हैं। पंजाब और राजस्थान कांग्रेस में क्या चल रहा है, यह जग ज़ाहिर है।
टाइम्स ऑफ़ इंडिया के मुताबिक़, कर्नाटक कांग्रेस के कुछ विधायकों ने सिद्धारमैया के नाम को आक्रामक ढंग से आगे बढ़ाना शुरू किया है और इससे डीके शिवकुमार के समर्थकों की चिंता बढ़ रही है।
सिद्धारमैया के समर्थक विधायकों में ज़मीर अहमद खान, बसवराज हिताल, जेएन गणेश और भीमा नाइक शामिल हैं। इन विधायकों ने ‘सिद्धारमैया- द नेक्स्ट सीएम’ अभियान शुरू कर दिया है।
शिवकुमार की भी नज़र
कहा जाता है कि शिवकुमार की भी नज़र मुख्यमंत्री की कुर्सी पर है। इन विधायकों की बयानबाज़ी और अभियान के बाद उन्होंने इन्हें चेताया है और कहा है कि 2023 के चुनाव में पार्टी सामूहिक रूप से मैदान में उतरेगी और हाईकमान व विधायक मुख्यमंत्री का चुनाव करेंगे।
सिद्धारमैया का कहना है कि उनका फ़ोकस पार्टी को सत्ता में वापस लाने पर है और हाईकमान ही मुख्यमंत्री के बारे में फ़ैसला लेगा। लेकिन राज्य इकाई के कुछ कांग्रेस नेता मानते हैं कि अभियान चला रहे विधायकों को सिद्धारमैया का वरदहस्त हासिल है।
शिवकुमार की दिल्ली दौड़
इस बीच शिवकुमार दिल्ली की ओर दौड़े हैं और उन्होंने राहुल गांधी से पार्टी संगठन के मामलों को लेकर चर्चा की है। इसके बाद कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने भी बयान दिया है कि कांग्रेस के नेता किसी तरह की बयानबाज़ी न करें। मतलब शिवकुमार भी सिद्धारमैया समर्थकों के अभियान से हिल गए हैं।
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कांग्रेस आलाकमान इस मामले में वरिष्ठ नेताओं जी. परमेश्वर, दिनेश गुंडू राव, मल्लिकार्जुन खड़गे, वीरप्पा मोईली, के.एच. मुनियप्पा की राय लेकर ही कोई फ़ैसला करेगा। लेकिन जो हालात हैं उसमें पार्टी के नेता और समर्थक सिद्धारमैया बनाम शिवकुमार के गुटों में बंटे दिखते हैं।
शिवकुमार की सियासी हैसियत
डीके शिवकुमार को कर्नाटक कांग्रेस का संकटमोचक माना जाता है। कर्नाटक में जब तक कांग्रेस-जेडीएस की सरकार चली, इसमें डीके शिवकुमार का अहम योगदान रहा था। साल 2019 में शिवकुमार को जब ईडी ने गिरफ़्तार किया था तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी तिहाड़ जेल में जाकर उनसे मिली थीं।
इससे डीके शिवकुमार की सियासी हैसियत का पता चलता है। गुजरात में राज्यसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस नेता अहमद पटेल को जिताने में भी शिवकुमार का अहम रोल रहा था।
‘ऑपरेशन लोटस’ से गिरी थी सरकार
2018 के विधानसभा चुनाव में ज़्यादा सीटें आने के बाद भी बीजेपी सरकार नहीं बना सकी थी और कांग्रेस ने जेडीएस के साथ मिलकर सरकार बनाई थी। कांग्रेस को 80 सीटें मिली थीं जबकि जेडीएस को 37। लेकिन बीजेपी को सत्ता से दूर रखने के लिए कांग्रेस को मुख्यमंत्री की कुर्सी से समझौता करना पड़ा था।
लेकिन सरकार बनने के बाद से ही इसकी उलटी ग़िनती शुरू हो गई थी क्योंकि बीजेपी की नज़र राज्य की सत्ता पर थी और 14 महीने बाद कांग्रेस-जेडीएस के कुछ विधायकों की बग़ावत के बाद मुख्यमंत्री कुमारस्वामी विधानसभा में विश्वास मत हासिल नहीं कर सके थे। तब बीजेपी पर आरोप लगा था कि उसने ‘ऑपरेशन लोटस’ के जरिये यह सरकार गिराई है।
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