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फ़ोटो साभार: ट्विटर/अशोक स्वैन

कर्नाटक: हिजाब को लेकर दूसरे कॉलेज में भी छात्राओं को रोका, विरोध भी बढ़ा

कर्नाटक में एक के बाद एक शिक्षण संस्थाओं में छात्रों के हिजाब पहनने पर रोक लगाने का मामला सामने आ रहा है। शुक्रवार को फिर से एक अन्य कॉलेज में हिजाब पहनी हुई छात्राओं को कॉलेज प्रशासन ने यह कहते हुए रोक दिया कि कॉलेज में ऐसा नहीं चलेगा। इन छात्राओं के समर्थन में कॉलेज के छात्रों ने भी प्रदर्शन किया। 

शुक्रवार सुबह हिजाब पहने क़रीब 40 विद्यार्थी कर्नाटक के उडुपी ज़िले के एक तटीय शहर कुंडापुर में भंडारकर आर्ट्स एंड साइंस डिग्री कॉलेज के गेट पर खड़ी हो गई, क्योंकि कर्मचारियों ने उन्हें तब तक अंदर जाने से मना कर दिया जब तक कि वे अपना हिजाब सिर से उतार नहीं देतीं।

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सभी छात्रों ने कॉलेज के गेट के बाहर विरोध प्रदर्शन किया और यह जानने की मांग की कि प्रशासन ने हिजाब पर प्रतिबंध क्यों लगाया जबकि नियम इसकी अनुमति देते हैं। कॉलेज की निर्देश पुस्तिका में लिखा है, 'छात्रों को परिसर के अंदर स्कार्फ पहनने की अनुमति है, हालाँकि स्कार्फ का रंग दुपट्टे से मेल खाना चाहिए, और किसी भी छात्र को कैंटीन सहित पूरे कॉलेज परिसर के अंदर कोई अन्य कपड़ा पहनने की अनुमति नहीं है।'

क़रीब 40 मुसलिम लड़के भी कॉलेज के बाहर बैठ गए और लड़कियों के साथ एकजुटता से विरोध किया।

सोशल मीडिया पर हिजाब को लेकर छात्राओं को रोके जाने और इसके विरोध के वीडियो शेयर किए गए हैं।

एक दिन पहले ही कुंडापुर के कॉलेज से भी ख़बर आई थी और एक वीडियो वायरल हुआ था। वीडियो में देखा जा सकता है कि हिजाब पहनने वाली मुसलिम लड़कियों को कुंडापुर के प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज में घुसने से रोक दिया गया। 

कुंडापुरा कॉलेज के गेट पर खड़े होकर कॉलेज के प्रिंसिपल रामकृष्ण ने खुद छात्राओं को रोका और कहा कि अगर वे कक्षाओं के अंदर हिजाब पहनने का इरादा रखती हैं, तो वे कक्षाओं में न जाएँ। इसके बाद छात्राओं ने यह जानने की मांग की कि अचानक हिजाब पहनने पर प्रतिबंध क्यों लगाया जा रहा है। क्योंकि पहले ऐसा कोई नियम नहीं था। छात्राओं का तर्क था कि वे लंबे समय से हिजाब में कॉलेज आ रही हैं और उन्हें अनुमति दी जानी चाहिए। लेकिन उन्हें प्रवेश से इनकार कर दिया गया था।

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कर्नाटक के दो कॉलेजों के छात्र बुधवार को हिजाब पहनकर कक्षाओं में भाग लेने वाली मुसलिम लड़कियों के विरोध में भगवा अंगोछा पहनकर आए थे। रिपोर्ट के अनुसार, परेशानी इसके बाद ही शुरू हुई जब हिजाब में लड़कियों का मुकाबला करने के लिए लड़कों का एक बड़ा समूह बुधवार को भगवा शॉल पहने कॉलेज में दिखा। सांप्रदायिक तनाव से बचने के लिए कॉलेज प्रशासन ने छात्राओं को बिना हिजाब के कक्षाओं में भाग लेने के लिए कहने का फ़ैसला किया।

इस मामले को लेकर सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया तीखी मिल रही है। अशोक स्वैन ने लिखा है कि देश का क्या हस्र हो रहा है। 

दरअसल, इसकी शुरुआत उडुपी से हुई थी। वहाँ के सरकारी कॉलेज में हिजाब वाली छात्राओं को प्रवेश से वंचित कर दिया गया था। यह मामला अभी शांत नहीं हुआ था कि एक के बाद एक कई कॉलेजों में ऐसे मामले सामने आ गए। 

उडुपी के कॉलेज में हिजाब पहनी हुई छात्राओं को रोके जाने के बाद से ही कॉलेज प्रशासन के इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ छात्राएँ प्रदर्शन कर रही हैं। 

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कॉलेज में हिजाब और भगवा शॉल के विवाद के बीच राज्य के गृहमंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने कहा है कि बच्चों को स्कूल में न तो हिजाब पहनना चाहिए और न ही भगवा शॉल ओढ़ना चाहिए। उन्होंने मीडिया से कहा कि किसी को भी अपने धर्म का पालन करने के लिए विद्यालय नहीं आना चाहिए , बल्कि यह एक ऐसी जगह है जहां सभी विद्यार्थियों को एकत्व बोध से साथ मिलकर शिक्षा ग्रहण करना चाहिए।

क़रीब एक पखवाड़े पहले कर्नाटक के शिक्षा राज्यमंत्री बी.सी. नागेश ने कहा था कि हिजाब पहनना अनुशासनहीनता है। हालाँकि उन्होंने स्वीकार किया था कि राज्य सरकार ने ड्रेस कोड तय नहीं किया है लेकिन विरोध करने वाले छात्राओं से फिर भी नियम का पालन करने का आग्रह किया। 

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क़मर वहीद नक़वी
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