कर्नाटक में बीते कई महीनों से नेतृत्व परिवर्तन की चर्चाएं चल रही हैं और निश्चित रूप से इस वजह से सरकार की स्थिरता पर भी असर पड़ रहा है। ये चर्चाएं एक बार फिर तब शुरू हुईं जब राज्य के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाक़ात की। इसके बाद येदियुरप्पा शनिवार को बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से भी मिले।
इन मुलाक़ातों के बाद मीडिया में ऐसी चर्चा है कि येदियुरप्पा अपने पद से इस्तीफ़ा देंगे और बीजेपी हाईकमान नए मुख्यमंत्री का नाम तय करने में जुटा है। कुछ दिन पहले पार्टी ने उत्तराखंड में भी नेतृत्व परिवर्तन किया था।
बग़ावती सुर
येदियुरप्पा के ख़िलाफ़ पिछले एक साल से बग़ावती सुर सुने जा रहे हैं और बीते कुछ दिनों में ये और तेज़ हुए हैं। हालात को संभालने के लिए कुछ दिन पहले हाईकमान ने पार्टी के महासचिव अरूण सिंह को राज्य में भेजा था। वरिष्ठ बीजेपी नेता बसनगौड़ा आर. पाटिल, एएच विश्वनाथ, सतीश रेड्डी, शिवनगौड़ा नायक, अरविंद बल्लाड को येदियुरप्पा का विरोधी माना जाता है।
हाल ही में जब येदियुरप्पा की बेहद क़रीबी शोभा करंदलाजे को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया गया, तभी यह चर्चा हुई थी कि येदियुरप्पा और हाईकमान के बीच रिश्ते सुधर रहे हैं, वरना इससे पहले दक्षिण के इस दिग्गज नेता की लंबे वक़्त तक प्रधानमंत्री मोदी से मुलाक़ात नहीं हो सकी थी।
येदियुरप्पा ने हाल ही में कहा था कि अगर बीजेपी आलाकमान उनसे इस्तीफ़ा देने के लिए कहेगा तो वे इसके लिए राजी हैं। ऐसी ख़बरें हैं कि इस बार भी उन्होंने यही कहा है कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहेंगे तो वे इस्तीफ़ा दे देंगे। येदियुरप्पा 78 साल के हो चुके हैं और बीजेपी में 75 साल बाद मार्गदर्शक मंडल की जो व्यवस्था है, उस तय उम्र से आगे बढ़ चुके हैं।
विजयेंद्र को लेकर आपत्ति
येदियुरप्पा अपनी सियासी विरासत अपने बेटे विजयेंद्र को सौंपना चाहते हैं। विपक्षी नेता आरोप लगाते हैं कि कर्नाटक सरकार में सभी बड़े फ़ैसले विजयेंद्र ही ले रहे हैं और येदियुरप्पा सिर्फ नाम मात्र के मुख्यमंत्री रह गए हैं। विपक्ष को ही नहीं बल्कि बीजेपी के कई नेताओं को भी विजयेंद्र के दख़ल से आपत्ति है। विजयेंद्र को 'कर्नाटक का सुपर सीएम' भी कहा जाता है।
येदियुरप्पा को कर्नाटक की राजनीति में सबसे दमदार नेता माना जाता है। येदियुरप्पा ने बीजेपी में सामान्य कार्यकर्ता से लेकर मुख्यमंत्री तक का सफर तय किया है। वह प्रदेश अध्यक्ष और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रह चुके हैं।
ताक़त का अहसास कराया था
दक्षिण के इस दमदार नेता ने क्षेत्रीय पार्टी कर्नाटक जनता पक्ष बनाकर बीजेपी को अपनी ताक़त का अहसास कराया था और इस वजह से 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को सत्ता से बाहर होना पड़ा था।
2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी आलाकमान को येदियुरप्पा के सामने झुककर उन्हें पार्टी में वापस लाना पड़ा था। येदियुरप्पा राज्य में बेहद ताक़तवर माने जाने वाले लिंगायत समुदाय से आते हैं और हाईकमान भी उनकी सियासी ताक़त को जानता है।
सीएम की कुर्सी पर है नज़र
कर्नाटक में बीजेपी के कई नेता मुख्यमंत्री बनने की कतार में हैं। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार, केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी, उप मुख्यमंत्री लक्ष्मण संगप्पा सावदी का नाम शामिल है। इसके अलावा बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बी. एल. संतोष से येदियुरप्पा का छत्तीस का आंकड़ा जगजाहिर है। संतोष चाहते हैं कि येदियुरप्पा की जगह वह या उनका कोई क़रीबी राज्य का मुख्यमंत्री बने।
कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस की सरकार गिराने और बीजेपी की सरकार बनाने का श्रेय येदियुरप्पा को ही जाता है। लेकिन बीजेपी की सरकार बनते ही आलाकमान ने तीन डिप्टी सीएम बनाकर उनके हाथ-पांव बांध दिए थे।
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