कर्नाटक में विधानसभा चुनाव दिलचस्प होता जा रहा है। बीजेपी के लिए अब सिर्फ जगदीश शेट्टार और लिंगायत वोट ही मुद्दा रह गए हैं। उसने पूरा फोकस शेट्टार और लिंगायत पर कर दिया है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और प्रह्लाद जोशी मंगलवार को हुबली में थे लेकिन उनके आसपास कोई लिंगायत नेता नहीं फटका। लेकिन शाम को जब पूर्व सीएम बीएस येदियुरप्पा ने लिंगायत नेताओं की बैठक बुलाई तो उसमें काफी लोग पहुंचे। उस बैठक में येदियुरप्पा ने कहा कि अब शेट्टार को हराना जरूरी है।
येदियुरप्पा का भाषण काफी दिलचस्प था, जिससे बीजेपी की अंदरुनी हालत का पता चलता है। येदि ने लिंगायतों की बैठक में कहा कि बीजेपी ने उन्हें राज्यसभा में भेजने का वचन दिया। उनके बदले परिवार के किसी सदस्य को टिकट देने का ऑप्शन दिया। लेकिन इसके बावजूद उन्होंने इन ऑफर्स को ठुकरा दिया और कांग्रेस में चले गए। इसलिए शेट्टार को मजा चखाना जरूरी है। यह शख्स किसी भी हालत में जीतना नहीं चाहिए। लिंगायत नेताओं ने कहा कि वे आदेश का पालन करेंगे।
कर्नाटक के पूर्व सीएम जगदीश शेट्टार के खिलाफ इतना तीखा बोलने वाले येदियुरप्पा टिकट की घोषणा से पहले दावा कर रहे थे कि 99.9 फीसदी शेट्टार को पार्टी टिकट देगी। लेकिन येदियुरप्पा की जोरदार सिफारिश के बावजूद शेट्टार का टिकट काट दिया गया।
शेट्टार ने येदियुरप्पा के ताजा बयान का जिक्र करते हुए बुधवार को कहा कि लिंगायत अच्छी तरह समझ गए हैं कि उनके तमाम नेताओं के साथ बीजेपी ने अच्छा सलूक नहीं किया है। बीजेपी ने उत्तर कर्नाटक में बहुत तरीके से लिंगायत नेताओं को कमजोर किया है। अभी मैं जब चुनाव प्रचार कर रहा हूं तो लोग मुझसे बीजेपी को लेकर शिकायतें कर रहे हैं। लिंगायत अब बीजेपी से दूर जा चुका है। येदियुरप्पा चाहे जितना मेरे खिलाफ आह्वान कर लें।
बहरहाल, गुरुवार से कर्नाटक में बीजेपी का प्रचार अभियान तेज होने की उम्मीद है। 20 से अधिक केंद्रीय भाजपा नेताओं की फौज कर्नाटक पहुंच चुकी है। उनके जो कार्यक्रम बनाए गए हैं, उसमें लिंगायत बेल्ट के करीब 70 फीसदी हिस्से में रैलियां और प्रचार रखा गया है। इस आक्रामक प्रचार अभियान से बेशक वोट नहीं मिलें लेकिन हवा बनाने की कोशिश तो होगी। पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार और वरिष्ठ नेता लक्ष्मण सावदी को साथ लाने में कांग्रेस के हालिया मास्टर स्ट्रोक ने भाजपा नेतृत्व के बीच गहरा डर पैदा कर दिया है।
अमित शाह जो मंगलवार से सिर्फ लिंगायत बेल्ट के दौरे पर हैं। क्योंकि लिंगायत बेल्ट जो कि बीजेपी का एक मजबूत गढ़ था, टूट रहा है। अमित शाह के साथ बीएस येदियुरप्पा नहीं दिखाई दे रहे हैं। हालांकि पार्टी के सूत्र येदि की उम्र को इसकी वजह बता रहे हैं। लेकिन जमीनी हकीकत ये है कि लिंगायत क्षेत्र में पार्टी नेताओं ने जिस तरह से टिकटों में विवाद पैदा किया, उससे लिंगायत बेल्ट नाराज लग रही है।
हुबली में आयोजित बीजेपी पोल मशीनरी के 'चाणक्य' अमित शाह की प्रेस मीट में कैबिनेट में उनके सहयोगी प्रह्लाद जोशी ही मौजूद थे। और कोई भी लिंगायत नेता मौजूद नहीं था। हालांकि प्रेस कॉन्फ्रेंस में अमित शाह दावा करते रहे कि लिंगायत भाजपा को छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे। कांग्रेस नेता रणदीप सुरजेवाला ने एक ट्वीट में इस पर चुटकी ली है। सुरजेवाला ने कहा - लिंगायत भाजपा नेतृत्व द्वारा किए गए सौतेले व्यवहार और अपमान से बहुत आहत हैं। आरक्षण के नाम पर विश्वासघात सामने है। जिस पर अदालत में रोक लगा दी है। भाजपाई अब आरक्षण पर कोई बात नहीं कर रहे हैं।
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