कर्नाटक दक्षिण का अकेला ऐसा राज्य है जहां बीजेपी की सरकार है लेकिन यहां मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा के ख़िलाफ़ उनके सियासी विरोधियों ने आसमान सिर पर उठा रखा है। कर्नाटक में बीते कुछ महीनों से नेतृत्व परिवर्तन की चर्चाएं चलती रही हैं और इस वजह से सरकार की स्थिरता पर असर पड़ रहा है।
बीते कुछ दिनों में येदियुरप्पा के ख़िलाफ़ बग़ावती सुर तेज़ हुए तो आलाकमान को दख़ल देना पड़ा और आनन-फ़ानन में पार्टी के महासचिव अरूण सिंह को भेजा गया। अरूण सिंह इस राज्य के प्रभारी भी हैं।
इस बार येदियुरप्पा के ख़िलाफ़ विधायकों की बग़ावत को देखते हुए अरूण सिंह को तीन दिन तक कर्नाटक में ही रुकना पड़ा और इस दौरान वह 40 विधायकों, पार्टी पदाधिकारियों से मिले।
अरूण सिंह ने इस बात को स्वीकार किया है कि कुछ लोग हैं जो पार्टी के लिए मुसीबत खड़ी कर रहे हैं। उन्होंने ‘इकनॉमिक टाइम्स’ से बातचीत में कहा कि कुछ लोग ऐसे हैं जो हमेशा ऐसे बयान देते हैं जिससे पार्टी की छवि को नुक़सान होता है और अब ऐसे लोगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाएगी।
वरिष्ठ बीजेपी नेता बसनगौड़ा आर. पाटिल, एएच विश्वनाथ, सतीश रेड्डी, शिवनगौड़ा नायक, अरविंद बल्लाड को येदियुरप्पा का विरोधी माना जाता है।
सुधर रहे हैं रिश्ते
इस साल जनवरी में कैबिनेट का विस्तार करने के बाद भी येदियुरप्पा के ख़िलाफ़ उनके राजनीतिक विरोधी एकजुट हो गए थे। येदियुरप्पा को कैबिनेट विस्तार के लिए लंबे वक़्त तक आलाकमान की हां का इंतजार करना पड़ा था। लेकिन अब माना जाना चाहिए कि येदियुरप्पा के आलाकमान के साथ रिश्ते सुधर रहे हैं।
अरूण सिंह ने कहा कि उन्होंने किसी विधायक को फ़ोन नहीं किया और वे उन सभी बीजेपी नेताओं व विधायकों से मिले जो उनसे मिलने के लिए आए। पार्टी महासचिव ने नेताओं से कहा कि अगर वे बोलना ही चाहते हैं तो कांग्रेस की विफ़लताओं और मोदी और योदियुरप्पा सरकार के अच्छे कामों के बारे में बोलें।
‘इकनॉमिक टाइम्स’ के मुताबिक़, अरूण सिंह ने पार्टी नेताओं को समझा दिया है कि अनुशासनहीनता के दायरे में आने वाले किसी भी काम को पार्टी नेतृत्व बर्दाश्त नहीं करेगा और कर्नाटक बीजेपी को मिलकर काम करना होगा।
राहत की सांस
बाग़ियों के कारण लंबे वक़्त से सियासी मुश्किलों का सामना कर रहे येदियुरप्पा ने अब जाकर राहत की सांस ली होगी। क्योंकि यह पहली बार है जब पार्टी आलाकमान ने उनके हक़ में बात की है और विरोधियों को चेताया है कि वे बग़ावत से बाज़ आ जाएं। माना जाना चाहिए कि अब कर्नाटक बीजेपी के अंदर चल रही लड़ाई कुछ हद तक शांत हो जाएगी।
‘इस्तीफ़ा देने के लिए राजी हूं’
बग़ावत से झल्लाए येदियुरप्पा ने हाल ही में कहा था कि अगर बीजेपी आलाकमान उनसे इस्तीफ़ा देने के लिए कहेगा तो वे इसके लिए राजी हैं। हालांकि उन्होंने यह भी कहा था कि जब तक आलाकमान का भरोसा उन पर है, वह इस पद पर काम करते रहेंगे। दूसरी ओर कर्नाटक कांग्रेस ने कहा था कि राज्य की बीजेपी इकाई में अंतहीन गुटबाज़ी है।
सीएम की कुर्सी पर है नज़र
कर्नाटक में बीजेपी के कई नेता मुख्यमंत्री बनने की कतार में हैं। इनमें पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार, केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी, उप मुख्यमंत्री लक्ष्मण संगप्पा सावदी का नाम शामिल है। इसके अलावा बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव (संगठन) बी. एल. संतोष से येदियुरप्पा का छत्तीस का आंकड़ा जगजाहिर है। संतोष चाहते हैं कि येदियुरप्पा की जगह वह या उनका कोई क़रीबी राज्य का मुख्यमंत्री बने।
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