कर्नाटक में बीते 2 महीने से हिजाब और हलाल मीट को लेकर विवाद छिड़ा हुआ है। इसके बीच बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व ने राज्य के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई से कहा है कि केवल हलाल और हिजाब मुद्दे से ज़्यादा कुछ नहीं होगा बल्कि सरकार को काम भी करके दिखाना होगा। मुख्यमंत्री हाल ही में दिल्ली आए थे और यहां उन्होंने पार्टी के राष्ट्रीय नेताओं से मुलाकात की थी।
बीजेपी नेतृत्व ने मुख्यमंत्री से कहा कि वह कैबिनेट विस्तार का काम भी जल्द से जल्द पूरा करें।
कर्नाटक से आने वाले बीजेपी के एक सांसद ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ को बताया कि राष्ट्रीय नेतृत्व ने मुख्यमंत्री बोम्मई से साफ कहा है कि हिजाब और हलाल मीट के अलावा अल्पसंख्यकों के खिलाफ कुछ मुद्दों से पार्टी को कुछ जगहों पर हिंदू वोट तो मिल सकते हैं लेकिन सत्ता में लौटने के लिए सरकार का परफॉर्मेंस रिकॉर्ड शानदार होना चाहिए।
एक राष्ट्रीय पदाधिकारी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस मामले में पूरी तरह दृढ़ हैं कि राज्य में बीजेपी का चुनाव एजेंडा विकास और तरक्की होना चाहिए।
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य में विधानसभा चुनाव जल्दी कराए जाने पर हामी नहीं भरी। कर्नाटक में मई 2023 में विधानसभा के चुनाव होने हैं। राज्य में कुछ नेता जल्दी विधानसभा चुनाव चाहते हैं लेकिन राष्ट्रीय नेतृत्व इसके लिए तैयार नहीं है।
हलाल मीट और हिजाब के मामले में कर्नाटक सरकार के कई मंत्रियों और बीजेपी नेताओं ने बीते दिनों बयान दिए हैं जिससे सरकार की आलोचना भी हुई है। जैसे बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव सीटी रवि ने कहा था कि हिंदुओं को हलाल मीट नहीं खरीदना चाहिए और यह आर्थिक जिहाद है।
ये विवाद भी हुए
हिजाब और हलाल के अलावा कुछ मंदिरों में मुसलिम व्यापारियों को दुकान न लगाने देने, टीपू सुल्तान के जीवन पर विवाद होने आदि के कारण भी बोम्मई का कार्यकाल चर्चित रहा है। एक बीजेपी विधायक ने तो मांग की थी कि मुख्यमंत्री को मदरसों पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए।
इन सभी विवादों में से हिजाब विवाद की गूंज कर्नाटक के बाहर भी हुई थी और सोशल मीडिया पर भी इसे लेकर खासी प्रतिक्रिया हुई थी।
बसवराज बोम्मई पिछले साल जुलाई के अंत में मुख्यमंत्री बने थे। बीते लगभग 9 महीने के उनके कार्यकाल में हुए इस तरह के लगातार विवादों के कारण निश्चित रूप से बीजेपी का राष्ट्रीय नेतृत्व भी परेशान है।
इसकी एक वजह यह भी है कि कर्नाटक के पड़ोसी राज्य तेलंगाना और तमिलनाडु ने कर्नाटक के उद्योगपतियों से कहा है कि अगर उन्हें वहां कोई परेशानी है तो वह उनके राज्य में आ सकते हैं। ऐसे में अगर उद्योगपति बीजेपी शासित किसी एक राज्य से जाने लगे तो नौकरियों के साथ ही निवेश का भी बड़ा संकट खड़ा हो जाएगा और शायद इसी चिंता से परेशान होकर अमित शाह और जेपी नड्डा ने बसवराज बोम्मई से सरकार के कामकाज पर ध्यान देने के लिए कहा है।
इसके अलावा बायोकॉन लिमिटेड की एग्जीक्यूटिव चेयरपर्सन किरण मजूमदार शॉ ने कुछ दिन पहले कहा था कि धार्मिक विभाजन भारत में आईटी लीडरशिप को बर्बाद कर देगा। उन्होंने मुख्यमंत्री से अपील की थी कि बढ़ रहे धार्मिक विभाजन के मसले को हल किया जाए।
राष्ट्रीय नेतृत्व के द्वारा मुख्यमंत्री को काम पर फोकस करने की नसीहत देने से यही समझ आता है कि बीजेपी जानती है कि ध्रुवीकरण वाले मुद्दों के भरोसे ही चुनाव नहीं जीता जा सकता बल्कि कुछ काम भी करके दिखाना होगा।
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