पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद अब बड़ी चुनावी लड़ाई कर्नाटक में होगी। कर्नाटक में विधानसभा चुनाव मई 2023 में होने हैं और इस लिहाज से अभी एक 1 साल का वक्त बचा हुआ है। लेकिन बीजेपी और कांग्रेस के आला नेताओं ने कर्नाटक पहुंचकर यह संदेश दे दिया है कि राज्य में जोरदार चुनावी मुक़ाबला होगा।
हालांकि उससे पहले गुजरात और हिमाचल प्रदेश में भी विधानसभा चुनाव होने हैं।
कर्नाटक बीजेपी और कांग्रेस दोनों के लिए अहम है। कर्नाटक दक्षिण भारत में अकेला ऐसा राज्य है जहां बीजेपी सत्ता में है और कांग्रेस भी यहां सरकार में रह चुकी है।
कांग्रेस-जेडीएस सरकार का गिरना
कर्नाटक में पिछले विधानसभा चुनाव में दूसरा सबसे बड़ा दल होने के बावजूद कांग्रेस गठबंधन सरकार में नंबर दो रही थी। उसने बीजेपी को रोकने के लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी जनता दल सेक्युलर यानी जेडीएस को सौंप दी थी। यह सरकार बामुश्किल 1 साल चली ही थी कि बीजेपी ने जेडीएस और कांग्रेस के विधायकों में सेंध लगाई और उसके बाद राज्य में अपनी सरकार बनाने में कामयाबी हासिल कर ली। यह वक्त जुलाई 2019 का था।
कांग्रेस और जेडीएस की यह सरकार सिर्फ 14 महीने तक ही चल सकी थी।
हालांकि येदियुरप्पा के फिर से मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही यह चर्चाएं जोर पकड़ गई थी कि बीजेपी आलाकमान उन्हें बदलना चाहता है। लंबी ना-नुकुर के बाद येदियुरप्पा कुर्सी से हटने के लिए तैयार हुए और बसवराज बोम्मई जुलाई, 2021 में राज्य के नए मुख्यमंत्री बने।
हालांकि बीजेपी अगला विधानसभा चुनाव बोम्मई के नेतृत्व में लड़ेगी लेकिन इसमें बड़ी भूमिका बीएस येदियुरप्पा की होगी।
150 सीटों का लक्ष्य
बीते दिनों केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने राजधानी बेंगलुरु पहुंच कर राज्य में अपनी-अपनी पार्टी के बड़े नेताओं के साथ बैठक की। अमित शाह ने पार्टी नेताओं को 224 सीटों वाले कर्नाटक में 150 सीटें जीतने का लक्ष्य दिया तो ऐसा ही लक्ष्य राहुल गांधी ने भी कांग्रेस नेताओं को दिया।
कर्नाटक में बीते कुछ महीनों में पहले हिजाब और गिरिजाघरों पर हमले और अब हलाल मीट के मामले को लेकर माहौल गर्म हो गया है।
कांग्रेस में गुटबाज़ी
कर्नाटक में कांग्रेस इस बार अकेले चुनावी लड़ाई लड़ने जा रही है। लेकिन यहां पार्टी की बड़ी मुश्किल नेताओं की आपसी गुटबाजी है। प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के गुट अक्सर आमने-सामने दिखाई देते हैं।
दूसरी ओर, बीजेपी यहां बीएस येदियुरप्पा जैसे बड़े नेता के भरोसे ही है। राज्य के अंदर येदियुरप्पा के समर्थकों की बड़ी संख्या है और बसवराज बोम्मई को भी येदियुरप्पा की हां के बाद ही मुख्यमंत्री बनाया गया था। इसलिए, बीजेपी को उन्हें नज़रअंदाज करना आसान नहीं होगा।
यह कहा जा रहा है कि कर्नाटक के विधानसभा चुनाव वक्त से पहले भी हो सकते हैं। लेकिन अगर यह तय वक्त यानी कि मई 2023 में हुए तो हिमाचल प्रदेश और गुजरात जीतने वाली पार्टी को कर्नाटक में मनोवैज्ञानिक बढ़त मिलेगी। देखना होगा कि इस बार बीजेपी और कांग्रेस में से कौन सा राजनीतिक दल राज्य में सरकार बनाने में कामयाबी हासिल करता है।
अपनी राय बतायें