कर्नाटक में भाजपा और जद (एस) या जेडीएस के बीच गठबंधन पर सहमति बन गयी है। दोनों ही दल अब 2024 का लोकसभा चुनाव मिलकर लड़ेंगे।
दोनों के बीच हुए समझौते के मुताबिक कर्नाटक में लोकसभा की कुल 28 सीटों में से भाजपा 24 और जेडीएस मात्र 4 सीट पर चुनाव लड़ेगी।
इस गठबंधन की पुष्टि कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्य में भाजपा का चेहरा बीएस येदियुरप्पा ने कर दी है।
माना जा रहा है कि दोनों ही दलों की विधानसभा चुनाव में हुई बुरी हार ने उन्हें हाथ मिलाने पर मजबूर कर दिया है।इस गठबंधन से भाजपा को कर्नाटक में मजबूती मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।
यह गठबंधन ऐसे समय में सामने आ रहा है जब जुलाई में ही जद (एस) प्रमुख और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा ने अकेले ही आगामी लोकसभा चुनाव लड़ने का संकेत दिया था।
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने शुक्रवार को जेडीएस से भाजपा के गठबंधन की बात कही है। उन्होंने कहा है कि भाजपा 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा के नेतृत्व वाले जद (एस) के साथ समझौता करेगी। उनकी इस घोषणा ने राज्य में राजनीतिक तापमान को बढ़ा दिया है।
भाजपा संसदीय बोर्ड के नेता और चार बार मुख्यमंत्री रहे येदियुरप्पा ने कहा है कि चुनावी समझ के तहत, जद (एस) कर्नाटक में चार लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह जद (एस) को चार लोकसभा सीटें देने पर सहमत हो गए हैं।
मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि इस गठबंधन से हमें बड़ी ताकत मिलेगी और 25 या 26 लोकसभा सीटें जीतने में हमें मदद मिलेगी।
2019 में भाजपा को कर्नाटक से मिली थी 25 सीट
2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने कर्नाटक में 25 सीटें जीतकर अपनी शानदार कामयाबी का परचम लहराया था। इसके साथ ही उसके समर्थित निर्दलीय ने एक सीट पर जीत हासिल की थी। वहीं कांग्रेस और जद(एस) ने 2019 का लोकसभा चुनाव साथ मिलकर लड़ा था। उस चुनाव में कांग्रेस 21 सीटों पर और जद(एस ) 7 सीटों पर लड़ी थी। उनके बीच गठबंधन के बावजूद बीते लोकसभा चुनाव में दोनों को मात्र एक-एक सीट पर ही जीत मिली थी।अब पांच वर्ष बाद जेडीएस 2024 के लोकसभा चुनाव में मात्र 4 सीट पर ही लड़ेगी। इस तरह से वह पिछले के मुकाबले करीब आधी सीटों पर ही चुनाव में उतरेगी। पिछले लोकसभा चुनाव में 9.74 प्रतिशत वोट मिले थे। ऐसे में जेडीएस का अब अच्छा-खासा प्रभाव राज्य में माना जा रहा है। इस गठबंधन के होने से कांग्रेस के लिए चुनौती बढ़ेगी। वहीं भाजपा पहले से ज्यादा मजबूत होकर सामने आ सकती है।
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दोनों दलों के बीच गठबंधन की संभावना पहले से थी
इस वर्ष कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को भारी बहुमत मिला था। कांग्रेस ने 224 सदस्यों वाली विधानसभा में 135 सीटें जीत कर अपने दम पर सरकार बनाई है।वहीं चुनाव में भाजपा और जद (एस) को बड़ी हार का मुंह देखना पड़ा था। जेडीएस विधानसभा चुनाव में 19 सीटों पर सिमट गई थी। इसके बाद से ही भाजपा और जद (एस) के बीच गठबंधन होने की संभावना जताई जा रही थी।पिछले दिनों जब इंडिया गठबंधन का गठन किया गया तब राजनीतिक विश्लेषकों का मानना था कि अब जद (एस) एनडीए गठबंधन का हिस्सा बन सकता है।
हालांकि भाजपा ने पिछले 18 जुलाई को भाजपा की अगुवाई में नई दिल्ली में 38 एनडीए दलों की बैठक हुई तो इसमें जेडीएस को निमंत्रण तक नहीं दिया गया था। भाजपा ने उन्हें निमंत्रण पर चुप्पी साध ली थी।
वहीं जेडीएस के नेता भाजपा से निमंत्रण पत्र मिलने की आस लगाए बैठे थे लेकिन जब उन्हें नहीं बुलाया गया तो पार्टी सुप्रीमो एचडी देवेगौड़ा ने नाराज होकर कहा था कि वह अब कर्नाटक में लोकसभा का चुनाव अकेले ही लड़ेंगे। अब उन्हीं देवेगौड़ा और भाजपा के बीच आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर सहमति बन गई है।
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जाने पूर्व के लोकसभा चुनावों में क्या थी स्थिति
कर्नाटक में अपनी खिसकती जमीन बचाने के लिए साथ आने वाली भाजपा और जेडीएस इससे पहले भी साथ आ चुके हैं। 2004 में दोनों पार्टियों ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था और तब भाजपा ने 24 और जेडीएस ने 4 सीटों पर साथ मिलकर चुनाव लड़ा था। 2009 का चुनाव तीनों दलों ने अलग-अलग लड़ा था। इस चुनाव में भाजपा को 19, कांग्रेस को 6 और जेडीएस को 3 सीटें मिली थी।वहीं 2014 का लोकसभा चुनाव जेडीएस ने अकेले लड़ा था। उस चुनाव में भाजपा को 17, कांग्रेस को 9 और जेडीएस को 2 सीटें मिली थी। 2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा को 25 सीट मिली थी। उसके समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार को भी जीत मिली थी। वहीं कांग्रेस और जेडीएस गठबंधन बनाकर लड़े थे इसके बावजूद दोनों को एक-एक सीट से ही संतोष करना पड़ा था।
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