कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस की सरकार गिरने के बाद यह तय माना जा रहा है कि बीजेपी बीएस येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठाएगी। लेकिन इसमें पेच यह है कि येदियुरप्पा की उम्र 76 साल है और बीजेपी ने पार्टी में ‘75 प्लस’ का फ़ॉर्मूला लागू किया हुआ है।
‘75 प्लस’ का फ़ॉर्मूला 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद तब चर्चा में आया था जब बीजेपी ने मार्गदर्शक मंडल का गठन कर उसमें वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, शांता कुमार को इसमें शामिल कर दिया था। लेकिन सवाल तब उठे थे जब बीजेपी ने 5 साल तक इन नेताओं से कोई सलाह-मशविरा तक नहीं किया था।
इस लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने इन तीनों ही नेताओं को टिकट नहीं दिया। ‘75 प्लस’ के फ़ॉर्मूले के चलते ही आठ बार लोकसभा की सांसद रहीं और पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन का भी टिकट काट दिया गया। इसके अलावा मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर, पूर्व केंद्रीय मंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी का टिकट भी पार्टी ने इसी फ़ॉर्मूले के आधार पर काट दिया। इसी तरह कलराज मिश्र, यशवंत सिन्हा को भी पार्टी ने टिकट नहीं दिया।
लोकसभा चुनाव 2019 में टिकट कटने पर लाल कृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी के विरोध जताने की भी ख़बरें आई थीं। शांता कुमार ने कहा था कि टिकटों की घोषणा होने के बाद जब वह आडवाणी से मिलने गए तो उनकी आँखों में आँसू थे। शांता कुमार ने कहा था कि पार्टी आडवाणी को चुनाव न लड़ाने के लिए पार्टी बेहतर रास्ता अपना सकती थी। लेकिन सवाल यह है कि जब बाक़ी नेताओं पर यह फ़ॉर्मूला लागू होता है तो येदियुरप्पा पर क्यों नहीं। सवाल यह खड़ा होता है कि एक ही पार्टी में ‘75 प्लस’ के फ़ॉर्मूले को लेकर दोहरे मापदंड क्यों हैं?
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