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सांकेतिक और फाइल फोटो

एसटी का दर्जा मांग रहे कुड़मी समाज ने झारखंड में तेज किया आंदोलन

झारखंड और ओडिशा में कुड़मी समाज के लोग आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। दोनों ही राज्याें में बुधवार को विभिन्न स्थानों पर लोग रेलवे ट्रैक पर बैठ गए। आंदोलनकारियों ने रेल को रोक घंटों नारेबाजी की है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक कुछ स्थानों पर दोपहर तक आंदोलनकारी रेल ट्रैकों पर जमा थे। कुछ जगहों पर तो पारंपरक वाद्य यंत्रों के साथ नाचते-गाते हुए उन्होंने रेलवे ट्रैकों को जाम करने की कोशिश की है।  
इसके कारण रेल यातायात प्रभावित हुआ है। हजारों यात्रियों को इसके कारण बुधवार को परेशानी उठानी पड़ी है।  इसका सबसे ज्यादा असर झारखंड में देखने को मिल रहा है। सुबह से ही रेल और रास्ता रोकने का आंदोलन विभिन्न जिलों में देखने को मिला। धनबाद जिलें में तो आंदोलन के कारण धारा 144 लगाना पड़ा। कुड़मी समाज को लोगों की मांग है कि कुड़मी समाज को अनुसूचित जनजाति (एसटी) में और उनकी भाषा कुड़माली को संविधान की 8वीं अनुसूची में शामिल किया जाए। 
पश्चिम बंगाल में हाईकोर्ट के दखल के बाद जहां आंदोलन को वापस ले लिया गया है, वहीं झारखंड में कुड़मी समाज की ओर से प्रदर्शन तेज हो गया है। झारखंड के मुरी और गोमो स्टेशन पर लोग ट्रैक पर उतर आए हैं। इसके कारण यहां अब तक तीन ट्रेनों को रद्द किया जा चुका है।बुधवार को ट्रेन संख्या 15027 हटिया - गोरखपुर एक्सप्रेस ट्रेन, ट्रेन संख्या 13403 रांची - भागलपुर एक्सप्रेस ट्रेन और ट्रेन संख्या 15661 रांची - कामाख्या एक्सप्रेस ट्रेन को इस आंदोलन के कारण रद्द किया गया है। 
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कई जिलों में दिख रहा है आंदोलन का असर

झारखंड के कई जिलों में कुड़मी आंदोलन का असर दिखने लगा है। प्राप्त सूचना के मुताबिक बुधवार को भी सरायकेला-खरसावां रुट के नीमडीह स्टेशन के पास भारी संख्या में कुड़मी समाज के आंदोलनरत लोग जुटे। पश्चिमी सिंहभूम जिले के सोनुआ थाना के पास पुलिस और आंदोलनकारियों के बीच हल्की झड़प की भी खबर है।  इसके साथ ही राज्य के अन्य कई जिलों में भी कुड़मी समाज के लोग आंदोलनरत हैं। इस आंदोलन के कारण गोमो स्टेशन पर धनबाद से होकर चलने वाली लगभग 60 ट्रेनों पर असर पड़ सकता है। इसमें कोलकाता, सियालदह, आसनसोल और अन्य स्टेशन से खुलने वाली ट्रेनों के साथ ही हावड़ा और सियालदह राजधानी भी शामिल हैं।  

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तो इसलिए हो रहा यह आंदोलन

झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में कुड़मी समाज की बड़ी आबादी है। कई संगठनों का मानना है कि कुड़मी समाज झारखंड का मूलनिवासी समाज है। एक अनुमान के मुताबिक, झारखंड में कुड़मी समाज के लोगों की आबादी 22 प्रतिशत है। इसलिए इस आंदोलन का सबसे ज्यादा असर झारखंड में ही देखने को मिल रहा है।  इन तीन राज्यों में कुड़मी समाज के लोग तीसरी बार आंदोलनरत हैं। 
केंद्र सरकार से उनकी मांग है कि उन्‍हें आदिवासी का दर्जा दिया जाए। वर्तमान ये कुड़मी जाति के लोग ओबीसी वर्ग के दायरे में आते हैं। जहां एक ओर झारखंड में उनका आंदोलन जोर पकड़ रहा है वहीं पश्चिम बंगाल में आंदोलन वापस ले लिया गया है। पश्चिम बंगाल में कुड़मी समाज के नेता अजीत प्रसाद महतो ने कहा कि हम पर दबाव बनाया गया है। उन्होंने कहा है कि  हाईकोर्ट की राय और वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए बंगाल में हमने अपने आंदोलन को वापस लेने का फैसला किया है।  
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क़मर वहीद नक़वी
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