झारखंड में चौथे चरण के लिए मतदान जारी है। इस चरण में मधुपुर, धनबाद, झरिया, गिरिडीह, डुमरी, बोकारो, सिंदरी, निरसा, टुंडी, बाघमारा, देवघर, बगोदर, गांडे, जमुआ और चंदनकियारी विधानसभा सीटों पर वोटिंग हो रही है। अब सिर्फ़ एक चरण का मतदान शेष है और यह 20 दिसंबर को होगा और 23 दिसंबर को चुनाव नतीजे आ जाएंगे। झारखंड में विधानसभा की 81 सीटें हैं।
बीजेपी और विपक्षी गठबंधन ने चुनाव जीतने के लिए पूरा जोर लगा दिया है। नागरिकता क़ानून को लेकर देश के कई राज्यों में हो रहे विरोध के बाद यह चुनाव बेहद अहम हो गया है। 5 सीटों बगोदर, जमुआ, गिरिडीह, डुमरी और टुंडी में दोपहर 3 बजे तक ही वोटिंग होगी जबकि बाक़ी सीटों पर शाम 5 बजे तक वोट डाले जाएंगे।
झारखंड में बीजेपी ने जीत के लिए पूरा जोर लगा दिया है क्योंकि महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनाव नतीजों के बाद वह सतर्क हो गई है। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने के मुद्दे पर उसे इन राज्यों में विशाल जीत की उम्मीद थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
बीते कुछ दिनों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने झारखंड में जमकर चुनावी रैलियां की हैं। लेकिन विपक्षी दलों ने भी बीजेपी को सत्ता से हटाने के लिए पूरी ताक़त झोंक दी है। इसके अलावा आजसू ने भी जीत के लिए जमकर पसीना बहाया है और पूर्व मुख्यमंत्री बाबू लाल मरांडी की पार्टी झारखंड विकास मोर्चा ने भी कुछ सीटों पर दमदार उम्मीदवारी पेश की है। अब बस एक हफ़्ते का समय शेष है और यह पता चल जाएगा कि झारखंड की जनता ने किसे जनादेश दिया है।
ये हैं प्रमुख उम्मीदवार
इस चरण के प्रमुख उम्मीदवारों में श्रम मंत्री राज पालीवाड़ चंदनकियारी और राजस्व मंत्री अमर कुमार बौरी मधेपुर सीट से चुनाव मैदान में हैं। बौरी के सामने ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) के उम्मीदवार उमाकांत रज्जाक ने कड़ी चुनौती पेश की है। जबकि पालीवाड़ का मुक़ाबला झारखंड मुक्ति मोर्चा के उम्मीदवार हुसैन अंसारी से है। झरिया सीट पर बीजेपी की समर्थित उम्मीदवार रागिनी सिंह चुनाव लड़ रही हैं। रागिनी के पति और विधायक संजीव सिंह हत्या के एक मामले में जेल में बंद हैं। संजीव सिंह पर अपने चचेरे भाई नीरज सिंह की हत्या का आरोप है। कांग्रेस ने यहां से नीरज सिंह की पत्नी पूर्णिमा नीरज सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है। देवघर (सुरक्षित) सीट पर बीजेपी के नारायण दास का मुक़ाबला राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के उम्मीदवार सुरेश पासवान से है।
आजसू, सहयोगी दलों ने बढ़ाई मुश्किल
झारखंड में बीजेपी के लिए इस बार सिरदर्द बनी है सरकार में सहयोगी रही आजसू ने। आजसू के उसका साथ छोड़ने से उसकी मुश्किलों बढ़ गई हैं। लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद बीजेपी को उम्मीद थी कि वह झारखंड का चुनाव आसानी से जीत लेगी। लोकसभा चुनाव में बीजेपी-आजसू को 12 सीटों पर जीत मिली थी। इसलिए उसने ‘मिशन 65 प्लस’ की रणनीति बनाई थी। लेकिन महाराष्ट्र और हरियाणा में मनमुताबिक़ सफलता न मिलने और आजसू के चुनाव के मौक़े पर झटका देने से बीजेपी के लिए मुक़ाबला बेहद कड़ा हो गया है।आजसू के अलावा केंद्र में बीजेपी की सहयोगी लोकजनशक्ति पार्टी (एलजेपी) और बिहार में उसकी सहयोगी जनता दल (यूनाइटेड) जेडी (यू) भी उसके ख़िलाफ़ चुनाव लड़ रही हैं। ऐसे में बीजेपी को अपने सहयोगियों से ही चुनौती मिल रही है।
विपक्ष ने भी झोंकी ताक़त
झारखंड में पिछले विधानसभा चुनाव में विपक्ष बिखरा हुआ था जबकि इस बार उसने गठबंधन बनाया है। झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं। तीनों ही दलों ने चुनाव प्रचार में पूरी ताक़त झोंकी है और मुख्यमंत्री रघुबर दास को घेरने की कोशिश की है।
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