हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद से विपक्षी खेमा उत्साहित नजर आ रहा है। तमाम विपक्षी दलों के वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि अगर विपक्षी दल महागठबंधन के स्वरूप को तैयार कर पाते हैं तो बीजेपी के लिए मुश्किल खड़ी की जा सकती है।
झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी में तमाम उठापटक के बीच डॉ. रामेश्वर उरांव को प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया। उसके बाद से इस बात की सरगर्मी बढ़ गई है कि शायद महागठबंधन का स्वरूप तैयार किया जा सकेगा। डॉ. उरांव भी लगातार इस दिशा में कार्य कर रहे हैं। उनकी बात जेएमएम के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन के साथ चल रही है, बस सीटों के बंटवारे को लेकर अंतिम मुहर लगनी बाक़ी है। इन दोनों पार्टियों के अलावा झारखंड विकास मोर्चा (जेवीएम), राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और वाम दलों से भी तालमेल किया जाना है।
माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव का समय जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे विपक्षी दलों के नेता भी नजदीक आने की कोशिश में जुटे हैं।
डॉ. उरांव व सोरेन पर है जिम्मेदारी
जानकारी के अनुसार, डॉ. रामेश्वर उरांव और हेमंत सोरेन बाक़ी के विपक्षी दलों के नेताओं से बातचीत कर रहे हैं। इसी कड़ी में डॉ. उरांव जेवीएम के मुखिया बाबूलाल मरांडी के साथ बातचीत कर रहे हैं। जानकारी के मुताबिक़, कांग्रेस ने 81 में से 35 सीटों पर तैयारी की है और जेएमएम ने 40 सीटों पर अपनी दावेदारी ठोकी है। आरजेडी 14 सीट पर लड़ने को तैयार है। वाम दल भी पीछे नहीं हटना चाहते और चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। इन सारे समीकरणों पर बातचीत के बाद ही राज्य में महागठबंधन का स्वरूप तैयार किया जा सकेगा। दोनों वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि राज्य में महागठबंधन ही चुनाव लड़ेगा।
आकड़ों का जिक्र किया जाए तो 2014 में हुए विधानसभा के चुनाव में एनडीए को 42 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। इसमें बीजेपी को 37 और आजसू को 5 सीटों पर जीत मिली थी। विपक्षी दलों की बात की जाए तो उन्हें 39 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। इसमें जेएमएम को 19, जेवीएम को 8, कांग्रेस को 6 और अन्य को 6 सीटें मिली थी। इस चुनाव में विपक्षी दलों के कई दिग्गज नेता हार गए थे। वहीं, जेएमएम लगभग 12 सीटों पर दूसरे स्थान पर रहा था, जहां जीत-हार का मार्जिन हजार से दो हजार वोटों के बीच का था।
विपक्षी दलों का मानना है कि पिछले चुनाव में मोदी लहर की वजह से बीजेपी को राज्य में जीत मिली थी। लेकिन इस बार की परिस्थितियां विपरीत हैं और ऐसे में एकजुटता के साथ चुनावी मैदान में उतरा गया तो शायद उलटफेर हो सकता है।
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अगर वर्ष 2009 के चुनाव परिणाम की बात की जाए तो इस चुनाव में बीजेपी को 18, आजसू को 6 और जेएमएम को 18 सीटें मिली थी। तब तीनों दलों ने मिलकर सरकार बनाई थी। 2009 में जेवीएम को 11 और कांग्रेस को 14 सीटें मिली थी। आरजेडी को पांच, जेडीयू को दो सीटें मिली थी। ऐसे में इस बात की भी जोरदार चर्चा है कि विपक्ष अगर एकजुट होता है तो कई समीकरण बन और बिगड़ सकते हैं।
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लालू से मिल रहे नेता
इधर, चारा घोटाला के मामले में सजा काट रहे आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव का ईलाज रांची के रिम्स में चल रहा है। लालू से मिलने के लिए शनिवार का दिन निर्धारित किया गया है। ऐसे में राजनीतिक दलों के नेता उनसे मुलाकात करने पहुंच रहे हैं। पिछले दिनों कांग्रेसी नेता सुबोधकांत सहाय और जेएमएम के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने भी लालू यादव से मुलाकात की थी। जैसे-जैसे चुनाव का समय नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे कयास लगाए जा रहे हैं कि लालू प्रसाद यादव से मिलकर महागठबंधन का स्वरूप तय किया जा सकता है।
एनडीए कर रहा है जोरदार तैयारी
एनडीए की बात की जाए तो राज्य में बीजेपी और आजसू अपना पूरा दम-खम लगा रहे हैं। बीजेपी जहां 65 सीटों पर लड़ने की तैयारी कर रही है, वहीं आजसू भी दो दर्जन सीट पर जोर-आजमाइश के मूड में है। बीजेपी के मुख्यमंत्री रघुवर दास जोहार जन आशीर्वाद यात्रा के माध्यम से जनता के बीच जाकर चुनावी रणनीति तैयार कर रहे हैं, वहीं आजसू भी 25 सीटों पर बूथ स्तरीय कमेटी (चूल्हा प्रमुख) के माध्यम से जनता को अपने पक्ष में करने में जुटा है।
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