खनन मामले में जांच एजेंसी ईडी के द्वारा समन किए जाने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने चुनौती दी है कि अगर वह दोषी हैं तो उन्हें गिरफ्तार किया जाए। ईडी ने मुख्यमंत्री से गुरुवार को खनन मामले में पूछताछ के लिए पेश होने के लिए कहा था लेकिन वह एजेंसी के सामने नहीं पहुंचे। उधर, झारखंड में कई जगहों पर झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने जांच एजेंसी ईडी के खिलाफ प्रदर्शन किया।
मुख्यमंत्री ने झामुमो के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि अगर हम जेल भरने का अभियान शुरू कर देंगे तो इतने लोग निकलेंगे कि जेल में जगह ही नहीं बचेगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार कभी सीबीआई का बहाना बनाती है, कभी ईडी का बहाना बनाती है।
सोरेन ने आदिवासी कार्ड खेलते हुए कहा कि कुछ लोग ऐसे हैं जो यहां के मूल निवासियों को, आदिवासियों को अपने पैरों पर खड़े होने नहीं देना चाहते।
हेमंत सोरेन ने ईडी को चुनौती देते हुए कहा कि अगर उन्होंने इतना बड़ा जुर्म किया है तो एजेंसी आए और उन्हें गिरफ्तार करके दिखाए, फिर इस राज्य की जनता ईडी को जवाब देगी। इस दौरान वहां मौजूद कार्यकर्ताओं ने ईडी मुर्दाबाद और मोदी सरकार मुर्दाबाद के नारे लगाए।
मुख्यमंत्री ने कहा, उन्हें पता चला है कि ईडी के दफ्तर की, बीजेपी के दफ्तर की सुरक्षा बढ़ा दी गई है। उन्होंने पूछा कि सुरक्षा क्यों बढ़ाई गई है, अभी तक तो उन्होंने कुछ किया ही नहीं है, जब झारखंडी अपनी चीजों पर उतर आएगा तो वह दिन दूर नहीं जब आप लोगों को यहां पर सिर छुपाने की जगह नहीं मिलेगी।
ईडी का शिकंजा
ईडी ने इस साल जुलाई में खनन मामले में हेमंत सोरेन के विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा को गिरफ्तार किया था और लगभग 12 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त की थी। ईडी ने झारखंड में कई जगहों पर छापेमारी कर कई अहम दस्तावेज और 5 करोड़ रुपए बरामद किए थे।
ईडी ने अगस्त के महीने में अवैध खनन के मामले में प्रेम प्रकाश नाम के शख्स को गिरफ्तार किया था। प्रेम प्रकाश को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का बेहद करीबी बताया जाता है। ईडी ने प्रेम प्रकाश के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का भी मुकदमा दर्ज किया था।
ईडी ने अवैध खनन के मामले में झारखंड, बिहार, तमिलनाडु और दिल्ली-एनसीआर में 16 जगहों पर छापेमारी की थी।
विधानसभा से सदस्यता पर संशय
बताना होगा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा से सदस्यता के मामले में अभी तक राज्यपाल ने चुनाव आयोग के द्वारा भेजी गई रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया है, जिसे लेकर राज्य में असमंजस वाले हालात बने हुए हैं। सूत्रों के मुताबिक, चुनाव आयोग ने खनन मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को दोषी ठहराते हुए विधानसभा से उनकी अयोग्यता की सिफारिश की है। इसका मतलब यह है कि राज्यपाल द्वारा अयोग्यता के संबंध में नोटिफिकेशन जारी करने के बाद सोरेन को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना होगा।
राज्यपाल रमेश बैस इस बात को जाहिर नहीं कर रहे हैं कि चुनाव आयोग की सिफारिश में क्या कहा गया है। चूंकि यह सिफारिश बंद लिफाफे में राजभवन को भेजी गयी है इसलिए तरह-तरह की अटकलें लगायी जा रही हैं।
हासिल किया था विश्वास मत
सितबंर में हुए राजनीतिक घटनाक्रम के बाद हेमंत सोरेन सरकार ने विश्वास मत हासिल कर लिया था। झारखंड की विधानसभा में इस समय झामुमो के सर्वाधिक 30 विधायक हैं। बीजेपी के 26, कांग्रेस के 18, आजसू के 2 और भाकपा-माले, राकांपा, राजद के पास एक-एक विधायक हैं। दो विधायक निर्दलीय हैं।
खनन मामले को लेकर जिस तरह मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जांच एजेंसी ईडी और बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोला है, उससे साफ लगता है कि आने वाले दिनों में यह मुद्दा झारखंड में बेहद गर्म रहेगा। हेमंत सोरेन को अगर जांच एजेंसी खनन के मामले में गिरफ्तार करती है तो निश्चित रूप से राज्य के भीतर टकराव वाले हालात पैदा हो सकते हैं।
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