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सोरेन सरकार को गिराने के लिए 1 करोड़, मंत्री पद की पेशकश मिली: कांग्रेस विधायक 

क्या झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार को गिराने के प्रयास चल रहे हैं? पिछले दो दिनों में कम से कम दो घटनाक्रम ऐसे हुए जिससे इस तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। शनिवार को झारखंड की गठबंधन सरकार को कथित तौर पर गिराने की साज़िश रचने के आरोप में तीन लोगों को गिरफ़्तार किया गया था और रविवार को कांग्रेस के विधायक ने बड़ा दावा किया। उन्होंने कहा कि सरकार को गिराने के लिए अज्ञात लोगों ने कई बार उनसे संपर्क किया और एक करोड़ रुपये और मंत्री पद की पेशकश की। हालाँकि गठबंधन सरकार में शामिल दलों के दूसरे नेताओं से इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। 

झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल के गठबंधन की सरकार है। विधानसभा चुनाव में इस गठबंधन को स्पष्ट बहुमत मिला। 

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2019 में हुए राज्य की 81 सीटों वाली विधानसभा के चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा यानी जेएमएम के नेतृत्व में बने गठबंधन को 47 सीटें मिलीं। गठबंधन में जेएमएम को 30, कांग्रेस को 16 और राष्ट्रीय जनता दल को 1 सीट पर जीत मिली। बीजेपी को 25 सीटों पर जीत मिली थी। इसके अलावा ऑल झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) को 2, झारखंड विकास मोर्चा को 3, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को 1, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया (एमएल) (लिबरेशन) को 1 और 2 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार जीते थे। 

इस हिसाब से 81 सीटों वाली विधानसभा में गठबंधन की सीटों की संख्या 42 से कम होने पर ही सरकार पर ख़तरा हो सकता है। 

ऐसे में सरकार गिराने के प्रयास की ख़बरों से गठबंधन सरकार चौकस नज़र आ रही है। यह चौकसी तब भी दिखी जब इस मामले में तीन लोगों को गिरफ़्तार किया गया। अब कोलेबिरा के विधायक नमन बिक्सल कोंगाड़ी ने 'द इंडियन एक्सप्रेस' को बताया है कि उनसे क़रीब आधा दर्जन बार तीन लोगों ने संपर्क किया।

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उन्होंने कहा, 'तीन लोगों ने मेरी पार्टी के कार्यकर्ताओं के माध्यम से मुझसे संपर्क किया था कि वे कुछ कंपनियों के लिए काम करते हैं। चले जाने के लिए मेरे कहने के बावजूद, वे वापस आने का रास्ता खोज लेते थे…। एक बार उन्होंने मुझे 1 करोड़ रुपये से अधिक नकद की पेशकश की। मैंने तुरंत सीएलपी (कांग्रेस विधायक दल) के नेता आलमगीर आलम और कांग्रेस झारखंड प्रभारी आर पी एन सिंह को सूचित किया। मैंने इसके बारे में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जी को भी सूचित किया था।' संपर्क किए जाने पर आरपीएन सिंह ने कहा कि वह इन मामलों में प्रेस के सामने कुछ नहीं बोल सकते हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, कोंगाड़ी ने आगे दावा किया, 'उन्होंने मुझसे यह कहते हुए संपर्क किया था कि पैसे के अलावा, मुझे एक मंत्री पद और अल्पसंख्यक और आदिवासी मामलों से संबंधित हमारे सभी एजेंडे के लिए समर्थन मिलेगा। उन्होंने मुझे यह भी बताया कि वे बीजेपी के लिए ऐसा कर रहे हैं। हालाँकि, भाजपा के किसी भी कार्यकर्ता ने मुझसे संपर्क नहीं किया।' विधायक ने कहा कि वह इस बात की पुष्टि नहीं कर सकते कि गिरफ्तार किए गए तीन लोग वही लोग थे जिन्होंने उनसे संपर्क किया था। उन्होंने कहा कि उनके चेहरे याद नहीं हैं।

इस मामले में शनिवार को जिन तीन लोगों को गिरफ़्तार किया गया है उनमें अभिषेक दुबे, अमित सिंह और निवारण प्रसाद महतो शामिल हैं। इनके ख़िलाफ़ गिरफ़्तारी से भी दो दिन पहले एफ़आईआर दर्ज की गई थी। क्या निवारण प्रसाद महतो बीजेपी से जुड़े हैं? इस सवाल पर झारखंड बीजेपी के प्रवक्ता प्रतुल शहदेव ने 'द इंडियन एक्सप्रेस' से कहा कि उनकी जानकारी के अनुसार वह बीजेपी के सदस्य नहीं हैं। शहदेव ने कहा कि इस मामले की सीबीआई जाँच होनी चाहिए। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता बाबूलाल मरांडी ने मांग की कि पुलिस को प्रेस कॉन्फ़्रेंस करना चाहिए और पूरी जानकारी देनी चाहिए। 
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क़मर वहीद नक़वी
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