खनन मामले में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कुर्सी जा सकती है। चुनाव आयोग ने इस मामले में अपनी रिपोर्ट झारखंड के राज्यपाल को भेज दी है। सूत्रों के मुताबिक इस रिपोर्ट में चुनाव आयोग ने हेमंत सोरेन की विधानसभा से सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की है। झारखंड के राज्यपाल रमेश बैंस दिल्ली से रांची पहुंच गए हैं और वह बहुत एक-दो दिन में इस मामले में फैसला ले सकते हैं।
झारखंड में इस मामले को लेकर राजनीतिक गहमागहमी बढ़ गई है और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने महागबंधन की सरकार में शामिल दलों के विधायकों की बैठक बुलाई है। झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और आरजेडी मिलकर सरकार चला रहे हैं।
सदस्यता रद्द होने की स्थिति में हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना होगा। हालांकि मुख्यमंत्री कार्यालय ने कहा है कि इस संबंध में उसे चुनाव आयोग और राज्यपाल की ओर से कोई जानकारी नहीं मिली है।
इस संकट को भांपते हुए ही कुछ दिन पहले हेमंत सोरेन ने झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल के विधायकों की बैठक बुलाई थी। इसमें राज्य में अगला मुख्यमंत्री कौन होगा, इस बारे में चर्चा होने की खबर आई थी।
संवैधानिक संस्थानों को तो खरीद लोगे, जनसमर्थन कैसे खरीद पाओगे?
— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) August 25, 2022
झारखण्ड के हमारे हजारों मेहनती पुलिसकर्मियों का यह स्नेह और यहाँ की जनता का समर्थन ही मेरी ताकत है।
हैं तैयार हम!
जय झारखण्ड! pic.twitter.com/0hSrmhLAsI
चुनाव आयोग ने मुख्यमंत्री से पूछा था कि उनके खिलाफ लगे आरोपों के मामले में क्यों ना उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। चुनाव आयोग ने इस मामले में सभी पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
क्या है मामला?
हेमंत सोरेन पर आरोप है कि उन्होंने मुख्यमंत्री रहते हुए जून 2021 में अपने ही नाम खदान का पट्टा आवंटित कर लिया था। इसके खिलाफ बीजेपी नेता रघुवर दास व बाबूलाल मरांडी ने राज्यपाल से शिकायत की थी और कहा था कि इसमें ऑफिस ऑफ प्रॉफिट का मामला बनता है। बीजेपी ने मांग की थी कि मुख्यमंत्री को अयोग्य घोषित कर दिया जाना चाहिए और भारत के संविधान के अनुच्छेद 191 (e) और रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपल्स एक्ट की धारा 9ए का हवाला दिया था।
बीजेपी की शिकायत पर राज्यपाल रमेश बैंस ने इस मामले को चुनाव आयोग को भेज दिया था।
चुनाव आयोग ने राज्य सरकार से इस मामले में विस्तृत ब्यौरा मांगा था और राज्य के मुख्य सचिव को पत्र भेजा था। चुनाव आयोग ने खनन लाइसेंस से संबंधित दस्तावेजों के प्रमाणीकरण के अलावा लीज के नियमों और शर्तों का विवरण मांगा था।
सोरेन के खिलाफ शैल कंपनी चलाने का मामला भी सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। इस बारे में भी जल्द फैसला आ सकता है।
पिता व भाई पर भी हैं मामले
पूर्व मुख्यमंत्री और हेमंत सोरेन के पिता शिबू सोरेन को कोयला मंत्री रहते हुए आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले में लोकपाल में मुकदमे का सामना करना है। हेमंत सोरेन के भाई बसंत सोरेन पर भी खनन लीज का मामला चुनाव आयोग में चल रहा है।

सोरेन के पास क्या हैं विकल्प?
सवाल यह है कि ताजा हालात में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के पास क्या विकल्प हैं। पहला विकल्प यह है कि विधानसभा की सदस्यता रद्द होने की स्थिति में वह फिर से शपथ लें और नए सिरे से मंत्रिमंडल का गठन करें। दोबारा शपथ लेने के छह महीने के भीतर उन्हें विधानसभा का चुनाव जीतना होगा।
दूसरा विकल्प यह है कि वह मुख्यमंत्री की कुर्सी पर किसी अन्य नेता का चयन करें। तीसरा विकल्प यह है कि वह राज्यपाल से विधानसभा भंग करने की सिफारिश करें और विधानसभा चुनाव का सामना करें।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधायकी जाने की स्थिति में भी झामुमो के नेतृत्व वाले गठबंधन को सरकार में बने रहने में संख्या बल के लिहाज से कोई दिक्कत नहीं होगी।
झामुमो के पास हैं 30 विधायक
81 सदस्यों वाली झारखंड विधानसभा में इस समय झामुमो के सर्वाधिक 30 विधायक हैं। इसके बाद बाबू लाल मरांडी समेत बीजेपी के 26, प्रदीप यादव समेत कांग्रेस के 18, आजसू के 2 और भाकपा-माले, राकांपा, राजद के एक-एक सदस्य हैं। दो निर्दलीय सदस्य हैं।
नकदी के साथ पकड़े गये तीन विधायकों को हटाकर भी झामुमो के पास पर्याप्त समर्थन है। दूसरी ओर बीजेपी के पास कुल 30 विधायकों का समर्थन माना जा रहा है जो बहुमत से 11 कम है।
बीच में हेमंत सोरेन दिल्ली गये, वहां उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन दिया। जब प्रधानमंत्री जुलाई में देवघर हवाई अड्डे का उद्घाटन करने आए तो वहां भी हेमंत सोरेन ने जिस तरह उनका स्वागत किया, उससे तमाम तरह की चर्चाएं सामने आई।
ऑपरेशन लोटस?
अगर हेमंत सोरेन का मुख्यमंत्री बने रहना संभव न हुआ तो उनके परिवार से उनकी मां को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। लेकिन राज्य में बीजेपी कांग्रेस या झामुमो के विधायकों को तोड़कर ऑपरेशन लोटस चला सकती है, ऐसी भी संभावनाएं हैं।
ईडी का शिकंजा
जांच एजेंसी ईडी ने अवैध खनन के मामले में बुधवार रात को रांची से प्रेम प्रकाश नाम के शख्स को गिरफ्तार किया है। प्रेम प्रकाश को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का बेहद करीबी बताया जाता है। ईडी ने प्रेम प्रकाश के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का भी मुकदमा दर्ज किया है।
ईडी ने बुधवार को झारखंड, बिहार, तमिलनाडु और दिल्ली-एनसीआर में अवैध खनन के मामले में 16 जगहों पर छापेमारी की थी। बताया जाता है कि अवैध खनन के मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी ईडी के रडार पर हैं।
लगातार छापेमारी
ईडी ने कुछ महीने पहले हेमंत सोरेन के करीबी पंकज मिश्रा को गिरफ्तार किया था और लगभग 12 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त की थी। 8 जुलाई को ईडी ने झारखंड में कई जगहों पर छापेमारी कर कई अहम दस्तावेज और 5 करोड़ रुपए बरामद किए थे। पिछले कुछ महीनों से ईडी लगातार झारखंड में कई जगहों पर छापेमारी कर रही है।
अपनी राय बतायें