झामुमो उपाध्यक्ष चंपई सोरेन आख़िरकार झारखंड के नये मुख्यमंत्री बन गए। उन्होंने रांची के राजभवन में झारखंड के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। मुख्यमंत्री के साथ ही राजद के सत्यानंद भोक्ता, कांग्रेस के आलमगीर आलम सहित कई अन्य मंत्रियों ने शपथ ली है। झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने उन्हें शपथ दिलाई। काफ़ी विवाद के बाद राज्यपाल ने गुरुवार रात को उनको मनोनीत मुख्यमंत्री नियुक्त किया था और शपथ लेने के लिए आमंत्रित किया था। राज्यपाल ने उन्हें 10 दिन में बहुमत साबित करने को कहा। हेमंत सोरेन के इस्तीफे के 24 घंटे से भी ज़्यादा समय बाद ऐसा हो रहा है। उनके इस्तीफे के बाद राज्य में संवैधानिक संकट जैसी स्थिति बतायी जा रही थी।
कई नेताओं ने चंपई सोरेन के मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने में देरी की ओर इशारा किया था। चंपई सोरेन ने बहुमत के लिए जरूरी विधायकों का समर्थन होने का दावा करते हुए सरकार बनाने का दावा पेश किया था। उन्होंने अपने समर्थक विधायकों के साथ गुरुवार शाम को राज्यपाल से मुलाकात भी की थी।
राज्यपाल से गुरुवार शाम को मुलाक़ात के बाद चंपई सोरेन ने कहा था कि उन्होंने बुधवार को ही नई सरकार बनाने का दावा पेश किया था। उन्होंने कहा कि 'हमने राज्यपाल से मिलकर कहा है कि हम सरकार बनाने को लेकर बिल्कुल क्लियर हैं। हमने इस मुलाकात में राज्यपाल से अनुरोध किया कि वे इस मामले में जल्दी करें।'
चंपई ने गुरुवार को कहा था कि राज्यपाल ने हमें कहा है कि वे जल्द ही करेंगे। चंपई सोरेन और राज्यपाल से हुई इस मुलाकात में कुल पांच विधायक मौजूद थे। इन पांच विधायकों में चंपई सोरेन के साथ, आलमगीर आलम, बादल पत्रलेख, प्रदीप यादव, विनोद सिंह और झारखंड मुक्ति मोर्चा के सह प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य शामिल थे।
इस मुलाकात के दौरान चंपई सोरेन ने राज्यपाल को समर्थन वाले विधायकों का वीडियो भी दिखाया था। इस वीडियो में दिख रहा था कि एक-एक कर सभी विधायकों की गिनती हुई। गिनती की शुरुआत स्टीफन मरांडी से हुई और 43वें नंबर पर चंपई सोरेन की गिनती के साथ यह खत्म हुई।
महागठंबधन का दावा है कि उसके साथ 47 विधायक हैं, 4 विधायक बीमार होने के कारण अनुपस्थित चल रहे हैं।
चंपई सोरेन के राज्यपाल से मिलने के बाद गठबंधन के 39 विधायक हैदराबाद जाने की तैयारी में थे, जिनमें हेमंत सोरेन के भाई और विधायक बसंत सोरेन भी शामिल थे। हालांकि, खराब मौसम और कम दृश्यता के कारण विमान उड़ान नहीं भर सका था।
मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी द्वारा बुधवार की रात मुख्यमंत्री पद से हेमंत सोरेन के इस्तीफा देने और उसके बाद उनकी गिरफ्तारी के बाद चंपई सोरेन झामुमो विधायक दल के नए नेता बन गए।
बता दें कि हेमंत सोरेन ने बुधवार की सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके तुरंत बाद उन्हें ईडी ने अपनी हिरासत में ले लिया था।
उनके इस्तीफे के साथ ही बुधवार रात करीब 9 बजे ही झारखंड मुक्ति मोर्चा और उसके सहयोगी दलों के महागठबंधन ने विधायक दल के नए नेता चंपई सोरेन के नेतृत्व में सरकार बनाने का दावा पेश कर दिया था। उनके पास सरकार बनाने के लिए आवश्यक बहुमत भी था। इसके बावजूद गुरुवार दिन भर राज्यपाल ने उन्हें सरकार बनाने के लिए आमंत्रित नहीं किया था।
कौन हैं चंपई सोरेन
चंपई सोरेन झारखंड राज्य आंदोलन के एक अनुभवी नता हैं। 67 वर्षीय चंपई सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा यानी जेएमएम के सबसे वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं। पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी तक उनके पास कल्याण और परिवहन जैसे कई प्रमुख विभाग थे। झारखंड विधानसभा में विधायक दल के नेता के रूप में वह चुने गए हैं। पूर्व सीएम शिबू सोरेन से उनकी निकटता रही है।
सरायकेला-खरसावां जिले के जिलिंगगोडा गांव में किसान परिवार में जन्मे सोरेन अभावों के बीच बड़े हुए और काफी कम उम्र में अलग झारखंड के आंदोलन में शामिल हो गए थे। 1970 के दशक में झारखंड आंदोलन ने गति पकड़ी थी। झामुमो का गठन 1973 में हुआ। चंपई सोरेन, जिन्हें अक्सर उनके समर्थकों द्वारा "कोल्हान का बाघ" कहा जाता है, ने इस उद्देश्य के लिए लोगों को एकजुट करना शुरू कर दिया था।
सोरेन ने अपनी चुनावी राजनीति की शुरुआत 1995 में सरायकेला विधानसभा सीट से निर्दलीय जीतकर की थी। वह पांच साल बाद भाजपा से सीट हार गए लेकिन उसके बाद से सभी चार चुनाव जीते हैं। उनके समर्थकों के अनुसार, इसका एक कारण यह है कि वह लोगों तक पहुंच में बने रहते हैं और जरूरतमंद लोगों की मदद करते हैं।
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