कश्मीर में आतंकियों ने एक बार फिर टारगेट किलिंग की है। आतंकियों ने शोपियां जिले के चोटीपोरा इलाके में एक कश्मीरी पंडित की सेब के बाग में गोली मारकर हत्या कर दी जबकि उसके भाई को घायल कर दिया। भाई का अस्पताल में इलाज चल रहा है। मृतक का नाम सुनील कुमार था और उनकी उम्र 45 साल थी जबकि उनके भाई का नाम पिंटू कुमार है।
हमले के बाद इलाके को खाली करा लिया गया है और पुलिस और सेना के जवान हमलावरों की धरपकड़ में जुटे हैं।
एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि मोदी सरकार कश्मीरी पंडितों की सुरक्षा करने में विफल रही है और वे खौफ़ के साए में जी रहे हैं।
जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा, जम्मू-कश्मीर पीपल्स कॉन्फ्रेन्स के प्रमुख सज्जाद लोन, पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला सहित तमाम नेताओं ने इस घटना की निंदा की है।
लगातार टारगेट किलिंग
कुछ दिन पहले पुलवामा में एक आतंकी हमले के दौरान बिहार के एक प्रवासी मजदूर मोहम्मद मुमताज की मौत हो गई थी और दो अन्य घायल हो गए थे। घायल मजदूर मोहम्मद आरिफ और मोहम्मद मकबूल भी बिहार के ही थे।
जून में बडगाम के चढूरा गांव में आतंकियों ने दो मजदूरों को गोली मार दी थी। इसके अलावा कुलगाम में एक बैंक मैनेजर विजय कुमार की आतंकियों ने बैंक में घुसकर हत्या कर दी थी। विजय कुमार राजस्थान के रहने वाले थे। 31 मई को कुलगाम के सरकारी स्कूल में टीचर रजनीबाला की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
बिहार के मजदूर दिलखुश कुमार और बडगाम जिले की सोशल मीडिया पर सक्रिय कलाकार अमरीन भट्ट की भी आतंकियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी।
मई में बडगाम में राहुल भट की हत्या के बाद से ही कश्मीरी पंडित उन्हें सुरक्षित इलाकों में भेजे जाने की मांग को लेकर लगातार आंदोलन कर रहे हैं। वर्तमान में कश्मीर घाटी में अलग-अलग जिलों में 6000 कश्मीरी पंडित नौकरियां कर रहे हैं। घाटी में हो रही हत्याओं को लेकर वे लोग दहशत में हैं और उन्हें जम्मू ट्रांसफर किए जाने की मांग उठा रहे हैं। जून में 177 कश्मीरी पंडित शिक्षकों को सुरक्षित इलाकों में ट्रांसफर किया गया था।
कश्मीर घाटी में इस साल जनवरी से अब तक पुलिस अधिकारियों, शिक्षकों और प्रवासी मजदूरों की कम से कम 20 से आधिक टारगेट किलिंग हो चुकी हैं।
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