loader

कश्मीर में हिरासत, प्रतिबंध से जुड़े आदेशों की जानकारी दे केंद्र: सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से जम्मू-कश्मीर में प्रतिबंध लगाने और हिरासत से जुड़े आदेशों की जानकारी देने के लिए कहा है। 
5 अगस्त को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटा दिया था और कई तरह के प्रतिबंध लगा दिये थे। हालांकि राज्य में बंद मोबाइल फ़ोन सेवाओं को सोमवार से खोल दिया गया है और 40 लाख पोस्टपेड मोबाइल फ़ोन चालू हो गये हैं जबकि 20 लाख प्रीपेड मोबाइल फ़ोन और इंटरनेट सेवाओं को अभी निलंबित ही रखा गया है। 
ताज़ा ख़बरें

बीडीसी चुनाव का बहिष्कार

ख़बरों के मुताबिक़, राज्यपाल की ओर से घाटी में पर्यटकों की आवाजाही को खोलने के आदेश के बाद भी पर्यटक नहीं आ रहे हैं। इसके अलावा बीडीसी चुनावों को लेकर भी राजनीतिक दलों के बीच कोई उत्साह नहीं है और बीजेपी को छोड़कर बाक़ी सभी राजनीतिक दलों ने घोषणा की है कि वे इस चुनाव में हिस्सा नहीं लेंगे। 

केंद्र ने अनुच्छेद 370 हटाने के फ़ैसले से पहले राज्य में बड़ी संख्या में जवानों को तैनात कर दिया था। इसके बाद राज्य के पूर्व मुख्यमंत्रियों फ़ारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ़्ती को हिरासत में ले लिया था और अभी तक ये तीनों प्रमुख नेता हिरासत में हैं।

सरकार को लिखे गये ख़त

इस बीच, देश भर से केंद्र सरकार को कश्मीर को लेकर लोगों ने खत लिखे। हाल ही में देश के 284 प्रबुद्ध नागरिकों के एक समूह ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को ख़त लिख कर कहा था कि कश्मीर की स्थिति अस्वीकार्य है। ख़त पर दस्तख़त करने वालों में पत्रकार, अकादमिक जगत के लोग, राजनेता और समाज के दूसरे वर्गों के लोग शामिल हैं। ख़त में केरल हाई कोर्ट के उस फ़ैसले का भी हवाला दिया गया है, जिसमें इंटरनेट को मौलिक अधिकार माना गया है। 

जम्मू-कश्मीर से और ख़बरें
केंद्र सरकार और जम्मू-कश्मीर प्रशासान लगातार इस बात के दावे कर रहे हैं कि राज्य में हालात सामान्य हैं लेकिन अंतरराष्ट्रीय मीडिया के साथ-साथ भारतीय मीडिया में आ रही ख़बरें बताती हैं कि केंद्र और जम्मू-कश्मीर के दावे झूठे हैं। न्यूज़ 18 के मुताबिक़, सुरक्षा बलों के एक आतंरिक दस्तावेज़ से हैरान करने वाली जानकारी सामने आई है। दस्तावेज़ से पता चला है कि कश्मीर में पिछले दो महीने में पत्थरबाज़ी की 306 घटनाएं हुई हैं। 
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

जम्मू-कश्मीर से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें