आतंकियों ने गुरूवार की शाम को जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में स्थित एक जूलरी की दुकान के मालिक सतपाल निश्चल को गोलियां मारकर मौत के घाट उतार दिया। 70 साल के सतपाल निश्चल को कुछ ही हफ़्ते पहले अधिवास (डोमिसाइल) प्रमाण पत्र मिला था।
सतपाल निश्चल को आतंकियों ने सराई बाला में स्थित उनकी दुकान में गोलियां मारीं। आतंकी संगठन द रेसिस्टेन्स फ्रंट (टीआरएफ़) ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है और कहा है कि ऐसे बाहरी लोग जिन्हें डोमिसाइल का सर्टिफ़िकेट मिला है, वे सभी आरएसएस के एजेंट हैं।
इस आतंकी संगठन ने कहा है कि वे ऐसे सभी लोगों के नाम और पते जानते हैं और ये भी जानते हैं कि वे क्या करते हैं। टीआरएफ़ ने चेतावनी दी है कि अगला नंबर ऐसे ही लोगों का है।
यह साफ है कि आतंकियों ने उन सभी लोगों में दहशत फैलाने के लिए यह हत्या की है, जिन्हें जम्मू-कश्मीर प्रशासन डोमिसाइल दे रहा है। जम्मू-कश्मीर प्रशासन ऐसे लोगों को डोमिसाइल दे रहा है, जो राज्य में 15 साल से ज़्यादा वक़्त से रह रहे हैं।
कश्मीर के आईजी विजय कुमार ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ से कहा कि पुलिस व्यवसाय में दुश्मनी या फिर आतंकियों का जो दावा है, इन दोनों को लेकर जांच कर रही है।
तनावपूर्ण है माहौल
जम्मू-कश्मीर में बाहरी लोगों को डोमिसाइल जारी किए जाने के बाद से ही माहौल तनावपूर्ण है। हाल ही में केंद्र सरकार ने नोटिफ़िकेशन जारी कर कहा था कि हिंदुस्तान के किसी भी कोने का कोई भी शख़्स जम्मू-कश्मीर में ज़मीन ख़रीद सकेगा। इससे पहले यह हक़ सिर्फ़ इस राज्य के लोगों को ही था कि वे पूरे राज्य में कहीं भी ज़मीन ख़रीद लें। लेकिन धारा 370 और 35ए को ख़त्म करने के फ़ैसले के बाद केंद्र सरकार ने यह क़दम भी उठाया था।
नोटिफ़िकेशन में केंद्र सरकार ने जम्मू और कश्मीर विकास अधिनियम की धारा 17 जो केंद्र शासित प्रदेश में ज़मीन को बेचने से संबंधित है, से ‘राज्य का स्थायी निवासी’ शब्द को हटा दिया था।
हालांकि जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने इस बात को साफ किया था कि यह नोटिफ़िकेशन कृषि वाली ज़मीनों पर लागू नहीं होगा। उन्होंने कहा था कि कृषि वाली ज़मीनों को किसानों के लिए आरक्षित रखा जाएगा और इन पर किसी भी बाहरी व्यक्ति का अधिकार नहीं होगा।
सरकार का मानना है कि इस नए प्रावधान की वजह से कश्मीरियों को रोज़गार के अवसर मिलेंगे, उन्हें अपने प्रदेश में रहते हुए नौकरियां मिलेंगी और देश-विदेश के बड़े-बड़े उद्योग वहां आएंगे।
उमर ने किया था पुरजोर विरोध
केंद्र के इस क़दम का जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक दलों ने पुरजोर विरोध किया था। पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेन्स के नेता उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर कहा था, ‘जम्मू-कश्मीर के भूमि स्वामित्व कानून में किया गया संशोधन अस्वीकार्य है। जम्मू-कश्मीर अब बिक्री के लिए खड़ा है और छोटी ज़मीनों वाले ग़रीब लोगों को इस वज़ह से मुसीबत होगी।’
उन्होंने कहा था कि इस तरह के क़दम जम्मू-कश्मीर के तीनों क्षेत्रों के लोगों को लड़ने के लिए एकजुट करेंगे। वामपंथी नेता सीताराम येचुरी ने ट्वीट कर कहा था कि यह जम्मू-कश्मीर के संसाधनों और इस ख़ूबसूरत जगह की लूट है।
डोमिसाइल हासिल करने वाले ये लोग दशकों पहले पश्चिमी पाकिस्तान से आए थे और जम्मू के सीमावर्ती इलाकों में बस गए थे। नए कानून के तहत, बाहरी लोग जो यहां 15 साल से रह रहे हैं या जिन्होंने सात साल तक पढ़ाई की है या जो केंद्रीय संस्थानों के अधिकारियों और कर्मचारियों के रूप में दस साल ड्यूटी दे चुके हैं वे भी निवास का अधिकार प्राप्त कर सकेंगे।
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