श्रीनगर की मसजिदों के बारे में जानकारी क्यों जुटाई जा रही है? मसजिदों में जो पदाधिकारी हैं उनके जीवन-परिचय के बारे में क्यों पता लगाया जा रहा है? उनके बारे में यह जानने का प्रयास क्यों किया जा रहा है कि वे किस विचारधारा के हैं? दरअसल, श्रीनगर के 5 पुलिस सुपरिटेंडेंट से कहा गया है कि वे अपने-अपने इलाक़े में ये जानकारियाँ इकट्ठी करें। लेकिन इससे असहज करने वाले कई सवाल खड़े होते हैं। सरकार आख़िर इन जानकारियों का करना क्या चाहती है?
हालाँकि मुग़ल ने पत्रकारों से यह भी कहा कि यह रूटीन मामला है, इस तरह की जानकारियाँ समय-समय पर ली जाती हैं। इसके पीछे कोई दूसरी मंशा नहीं देखी जानी चाहिए।
10 हज़ार सैनिक कश्मीर भेजे
पर यह आदेश ऐसे समय आया है जब केंद्र सरकार ने यकायक एक बार में ही 10 हज़ार जवानों को जम्मू-कश्मीर भेजा है। वहाँ कुछ दिन पहले ही 40 हज़ार जवानों को तैनात किया गया था। ताज़ा स्थिति यह है कि पूरे राज्य में सुरक्षा बलों के लगभग 1.20 लाख जवान तैनात हैं। इसके साथ ही दूसरी बड़ी बात यह है कि भारतीय जनता पार्टी ने अपनी कोर टीम के लोगों को जम्मू-कश्मीर पर बैठक के लिए बुलाया है। इसमें गृह मंत्री अमित शाह भी शामिल हो सकते हैं। समझा जाता है कि पार्टी जम्मू-कश्मीर पर कोई बड़ा फैसला करने वाली है।इसलामिक स्टेट कनेक्शन?
श्रीनगर की जामा मसजिद का एक दूसरा पहलू भी है। यह मसजिद कुछ दिन पहले ख़बरों में आई थी। नगर की जामा मसजिद में कुछ युवकों के आतंकी संगठन आईएसआईएस के झंडे लहराने की घटना सामने आई थी। बताया जाता है कि इन युवाओं ने आईएसआईएस के लिए नारेबाज़ी भी की। दिल्ली और अमरोहा में की गई एनआईए छापेमारी के बाद 10 संदिग्धों को गिरफ़्तार किया था, उसके तुरंत बाद यह मामला सामने आने के बाद हड़कंप मच गया।लेकिन यह निश्चित तौर पर चिंता की बात है कि जब राज्य में इस तरह की अस्थिरता हो, अतिरिक्त बल भेजा जा रहा हो, राजनीतिक दल सर्वदलीय बैठक की बात कर रहे हों, किसी धर्म विशेष के पूजास्थलों की जानकारी एकत्रित की जा रही है। सवाल यह उठता है कि क्या यह यूं ही किया जा रहा है या इसके पीछे कोई वजह है।
जम्मू-कश्मीर की पुलिस ने इसे रूटीन काम कहा है, पर इस पर यकीन करना मुश्किल है।
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