क्या जम्मू-कश्मीर पर सऊदी अरब की नीति बदल गई है? क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सऊदी शहजादे से दोस्ती के बावजूद रियाद कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान की ओर मुड़ रहा है?
दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष ज़फ़र-उल-इसलाम ख़ान और 6 अलाभकारी संस्थाओं के 9 ठिकानों पर राष्ट्रीय जाँच एजेन्सी के छापे से कई तरह के सवाल खड़े हो गए हैं।
5 अगस्त, 2019 का वो दिन जब जम्मू-कश्मीर से धारा 370 और 35ए को हटा दिया गया, तभी से केंद्र सरकार पर यह आरोप लग रहा था कि वह बाहर से लाकर यहां लोगों को बसाना चाहती है।
भारत का झंडा नहीं उठाने के मुद्दे पर दिया बयान क्या जम्मू-कश्मीर के पूर्व मु्ख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती को राजनीतिक रूप से भारी पड़ेगा? यह सवाल इसलिए उठ रहा है कि उनकी पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के 3 वरिष्ठ सदस्यों ने इसी मुद्दे पर पार्टी छोड़ दी है।
दशकों पुरानी आपसी प्रतिद्वंद्विता छोड़कर पहली बार साथ आईं जम्मू कश्मीर की राजनीतिक पार्टियों ने फारूक अब्दुल्ला को गठबंधन का नेता चुना। गठबंधन ने अपना झंडा राज्य के पूर्व झंडे को अपनाया है।
जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने रिहा होने के बाद पहली बार प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर बीजेपी पर हमला बोला। उन्होंने अनुच्छेद 370 को बहाल करने का संकल्प लेते हुए कहा कि देश संविधान से चलेगा, बीजेपी के घोषणा पत्र से नहीं।
जम्मू और कश्मीर के पूर्ण राज्य के दर्जे और अनुच्छेद 370 और 35 ए की बहाली के लिए संघर्ष करने का दम भर रहे राजनीतिक दल लंबी लड़ाई के लिए ख़ुद को तैयार करने में जुटे हुए हैं।
ऐसे समय जब अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान ने सरकार पर हमले रोक दिए हैं और भारत-चीन सीमा तनाव चरम पर है, पाकिस्तानी सेना ने जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की नई रणनीति तैयार की है।
कश्मीर टाइम्स के श्रीनगर कार्यालय को सोमवार को सील कर दिए जाने के बाद अख़बार की संपादक अनुराधा भसीन ने कहा है कि कश्मीर के बारे में ज़मीनी हकीक़त बताने के लिये मुझे प्रतिशोध का निशाना बनाया गया है।
जम्मू-कश्मीर में ज़िला विकास परिषद की स्थापना की जा रही है, जिसके प्रतिनिधि सीधे जनता के बीच से चुने जाएंगे। इससे यह साफ है कि फिलहाल राज्य विधानसभा चुनाव की कोई संभावना नहीं है।
जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे की बहाली के लिए राज्य के 6 राजनीतिक दलों ने एकजुट होकर संवैधानिक लड़ाई लड़ने का एलान किया है। इन 6 दलों ने 'पीपल्स अलायंस फ़ॉर गुप्कर डेक्लेरेशन' का गठन इसी मक़सद से किया है।
मंगलवार शाम महबूबा की रिहाई के बाद एक ऑडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें महबूबा ने नई दिल्ली के 5 अगस्त के फ़ैसले के ख़िलाफ़ लड़ने का इरादा जताया है।
जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट ने केंद्रीय जाँच ब्यूरो से कहा है कि वह उन मामलों की जाँच करे, जिनके तहत ग़ुलाम नबी आज़ाद के मुख्यमंत्री रहते सरकारी ज़मीन पर ग़ैर-क़ानूनी तरीके से कब्जा किए लोगों को ज़मीन दी गई थी।