प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 24 जून को जम्मू-कश्मीर के सभी राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ बैठक करेंगे। अनुच्छेद 370 के ख़ात्मे के बाद पहली बार इस तरह की बैठक बुलाई गई है। पीडीपी की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के साथ बातचीत में इस बात की तसदीक की है कि 24 जून को होने वाली बैठक के लिए उन्हें नई दिल्ली से फ़ोन आया है।
10 जून को पूर्व मुख्यमंत्री फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने कहा था कि वे केंद्र सरकार के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं।
इस तरह की अटकलें हैं कि केंद्र सरकार राज्य के अंदर चुनावी प्रक्रिया को शुरू कर सकती है और आने वाले कुछ महीनों में राज्य में विधानसभा के चुनाव हो सकते हैं।
डीडीसी चुनाव
हालांकि बीते साल दिसंबर में राज्य में डिस्ट्रिक्ट डेवलपमेंट काउंसिल (डीडीसी) के चुनाव हुए थे और इसमें बीजेपी और पीपल्स अलायंस फ़ॉर गुपकार डेक्लेरेशन या गुपकार गठबंधन के बीच कड़ा मुक़ाबला देखने को मिला लेकिन अंतत: गुपकार गठबंधन आगे रहा था। निर्दलीय उम्मीदवार तीसरे नंबर पर जबकि कांग्रेस चौथे नंबर पर रही थी। इस चुनाव की अहम बात यह रही थी कि बीजेपी का कश्मीर में खाता खुला और उसे 3 सीटें मिली थीं।
जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे की बहाली के लिए राज्य के 6 राजनीतिक दलों ने एकजुट होकर गुपकार गठबंधन का गठन किया है। इसमें शामिल दलों का कहना है कि 5 अगस्त, 2019 से पहले जम्मू-कश्मीर की जो स्थिति थी, उसे फिर से बहाल करने के लिए यह गठबंधन संघर्ष कर रहा है।
केंद्र सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा और अनुच्छेद 370 ख़त्म करने के साथ ही राज्य को दो भागों में बांट दिया था। इसके बाद राज्य के बड़े नेताओं फारूक़ अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ़्ती को लंबे वक़्त तक के लिए नज़रबंद कर दिया गया था।
एनडीटीवी के मुताबिक़, परिसीमन आयोग ने राज्य के सभी 20 जिलों के उपायुक्तों को पत्र लिखा था कि वे सभी जिलों और विधानसभा क्षेत्रों में जनसंख्या घनत्व के बारे में ताज़ा जानकारी दें और लगभग सभी जिलों ने यह जानकारी भेज दी है।
माना जा रहा है कि 7 महीने बाद होने जा रहे पांच राज्यों के चुनाव के दौरान जम्मू-कश्मीर में भी विधानसभा के चुनाव कराए जा सकते हैं। लेकिन यह तभी होगा जब परिसीमन आयोग अपनी रिपोर्ट को सरकार को भेज दे।
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