कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद जब पूरे राज्य में उथल-पुथल का माहौल था और राज्य में बहुत बड़ी संख्या में जवानों की तैनाती की गई थी, तब एक वीडियो सामने आया था जिसमें देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार
अजीत डोभाल शोपियाँ इलाक़े में वहाँ के कुछ स्थानीय लोगों के साथ लंच कर रहे थे। इससे यह संदेश देने की कोशिश की गई थी कि घाटी में माहौल पूरी तरह शांत है। लेकिन इस वीडियो में एनएसए डोभाल के साथ दिखे एक शख़्स और उसके परिवार को वीडियो के सामने आने के बाद से ख़ासी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
अंग्रेजी अख़बार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में छपी ख़बर के मुताबिक़, इस शख़्स का नाम मंसूर अहमद मागरे है। मागरे के परिवार ने कहा है कि वीडियो आने के बाद कांग्रेस नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद के बयान से उन्हें काफ़ी दुख हुआ था। आज़ाद ने कहा था कि पैसे से कुछ भी ख़रीदा जा सकता है। मंसूर के बेटे मोहसिन मंसूर ने कहा, ‘आज़ाद ने कहा कि हमें इस काम के लिए पैसे मिले हैं और अब लोग भी ऐसा कह रहे हैं। हम उनके ख़िलाफ़ मानहानि का मुक़दमा दायर करेंगे।’
मोहसिन ने कहा, ‘इस वीडियो के सामने आने के बाद हमारा घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है। जब यह वीडियो आया तब यह कश्मीर के बारे में मीडिया में आने वाली पहली ख़बर थी। हमारे रिश्तेदारों का कहना है कि हमने उनका नाम ख़राब किया है।’
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ के मुताबिक़, मंसूर अहमद मागरे को लगा कि जैकेट पहना हुआ यह आदमी जम्मू-कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह का कोई निजी सहायक है। अख़बार के मुताबिक़, मागरे ने कहा, ‘जब मैं उनसे (डोभाल) बात कर रहा था, अचानक मैंने देखा कि डीजीपी और एसपी साहब उनके सम्मान में अपने हाथ पीछे बाँधे हुए खड़े हैं। तब मैंने सोचा कि वह व्यक्ति उनका निजी सहायक नहीं हो सकता है।’ मैंने उनसे पूछा, ‘सर, मुझे आपका परिचय चाहिए। तब उन्होंने मुझे बताया कि वह देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एनएसए हैं।’ 62 साल के मागरे रिटायर्ड वन अधिकारी हैं और सामाजिक कार्यकर्ता भी हैं।
वीडियो में मागरे एक लंबे क़द के आदमी हैं, उन्होंने बास्केट पहनी हुई है और उनके बालों में मेहंदी लगी हुई है। मागरे ने आगे कहा, ‘जब मैं घर पहुँचा तो मेरा बेटा सो रहा था। मैंने उसे उठाया और कहा कि मैं आज किसी डोभाल से मिला हूँ। वह चौंक गया और कहा कि जल्दी ही यह ख़बर टीवी पर आयेगी।’
कर्मचारियों के नेता रहे मागरे ने आगे कहा, ‘इस वीडियो ने मेरे जीवन में उथल-पुथल ला दी है। लोग मुझे सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में जानते थे लेकिन अब यह छवि पूरी तरह बदल चुकी है।’
मागरे ने कहा, ‘अगर मुझे यह पता होता कि मुझे डोभाल से मिलना है तो मैं बिलकुल नहीं जाता, भले ही वे मुझे अपने साथ खींंचकर ले जाते।’
शोपियाँ के अलियालपोरा के रहने वाले मागरे वरिष्ठ नागरिकों के फ़ोरम के राज्य को-कॉर्डिनेटर हैं और एक स्थानीय मसजिद की कमेटी के प्रमुख भी हैं। मागरे ने कहा कि ऐसे लोग जिनके रिश्तेदारों को नज़रबंद किया जाता है, उनकी ओर से वह स्थानीय नागरिकों और जिला प्रशासन से लगातार बातचीत करते रहते हैं।
मागरे कहते हैं कि वह 7 अगस्त को दोपहर बाद की नमाज़ पढ़ने के लिए घर से निकले थे, तभी उन्होंने मोटरसाइकिल पर कुछ पुलिसकर्मियों को देखा। पुलिलकर्मियों के साथ सीआरपीएफ़ के सुरक्षाकर्मी भी थे। मागरे ने बताया, ‘पुलिसकर्मियों ने मुझसे कहा कि आपको डीजीपी से मिलना है। मैं उनकी बाइक पर बैठ गया और मुझे पुलिस स्टेशन ले जाया गया। जब मैं वहाँ पहुँचा, पाँच से छह लोग वहाँ पहले से ही मौजूद थे। इनमें से एक ड्राइवर था और दूसरे का बेटा पुलिस की हिरासत में था।
मागरे ने बताया, ‘हमने कुछ समय के लिए इंतजार किया लेकिन कोई नहीं आया। मुझे लगा कि वे लोग मुझे गिरफ़्तार करने के लिए लाये हैं। मैंने उनसे कहा कि मुझे वह जेल दिखायें, जहाँ आप मुझे बंद करना चाहते हैं। लेकिन उन्होंने कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है। थोड़ी देर बाद, जब मैं जाने वाला था, एक जिप्सी वहाँ पहुँची और हमसे एक एंबुलेंस में बैठने के लिए कहा गया, हम लोगों को एक बस स्टैंड पर ले जाया गया। वहाँ सड़क के दोनों ओर सेना के जवान खड़े थे और साथ में कुछ कैमरामैन भी थे।’
मागरे के मुताबिक़, जब वे लोग एंबुलेंस से उतरे तो शोपियाँ के एसपी संदीप चौधरी और डीजीपी दिलबाग सिंह ने हमें बधाई दी। डीजीपी मेरी किसी से बात करवाना चाहते थे और तभी जैकेट पहने हुआ एक शख़्स वहाँ आया। मुझे लगा कि वह डीजीपी सर का सहायक होगा। उसने मुझे बताया, ‘अनुच्छेद 370 को हटा दिया गया है। मैंने कहा, मैं कुछ नहीं कह सकता। तब उन्होंने कहा, लोगों को इससे फ़ायदा होगा। मैंने कहा, इंशा अल्लाह।’
मागरे ने बताया कि उन्होंने डोभाल को शोपियाँ के इतिहास के बारे में बताया और कहा कि इसे शुरुआत से ही राजनीतिक रूप से नज़रअंदाज किया जाता रहा है। उसके बाद डोभाल ने मुझसे कहा कि वह लंच कर लें। मैंने उन्हें बताया कि हम लोगों ने इस लंच का आयोजन किया है। इस बीच, किसी ने मेरे हाथ में प्लेट पकड़ा दी। लोगों ने कहा कि यह बिरयानी थी जबकि यह चावल और माँस का एक टुकड़ा था।
वीडियो में एनएसए डोभाल के साथ दिखाई देने के बाद हुई मुश्किलों का जिक्र करते हुए मागरे और उनके बेटे ने कहा है कि उनके रिश्तेदार उनसे कहते हैं कि उन्होंने उनकी बदनामी करा दी है। मागरे का यह कहना कि अगर उन्हें घसीट कर भी ले जाया जाता, तो भी वह नहीं जाते, इससे पता चलता है कि डोभाल के साथ वीडियो में दिखने के बाद उन्हें किस तरह के हालात का सामना करना पड़ रहा है। कश्मीर में जब धारा 144 लागू है और इंटरनेट और मीडिया पर बैन होने के कारण वहाँ की कोई ख़बर सामने नहीं आ पा रही है, ऐसे में सरकार की ओर से जारी किये गए इस वीडियो से यह संदेश देने की कोशिश हुई कि कश्मीर में हालात बेहतर हैं और लोग ख़ुश हैं लेकिन मागरे के बारे में सुनने के बाद लगता है कि हालात वैसे नहीं है, जैसा कि बताया जा रहा है, वरना मागरे को इतनी दिक़्क़तों का सामना क्यों करना पड़ता।
अपनी राय बतायें