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जम्मू कश्मीर में नई सरकार सबसे पहले काम धारा 370 हटाने वालों की निन्दा करेः उमर

नेशनल कान्फ्रेंस के नेता और पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला ने जम्मू कश्मीर में चुनाव का एजेंडा लगभग तय कर दिया। उन्होंने शनिवार को कहा कि राज्य में जो भी नई सरकार बने, उसे सबसे पहले धारा 370 हटाने वालों की निन्दा का प्रस्ताव पारित करना चाहिए। इस तरह मतदाताओं को सीधा संदेश उमर ने दिया है कि वे धारा 370 खत्म करने वालों को वोट देंगे या केंद्र के फैसले का विरोध करने वालों का वोट देंगे।
उमर ने कहा कि नवनिर्वाचित जम्मू-कश्मीर विधानसभा का पहला आदेश केंद्र के 2019 के अनुच्छेद 370 को रद्द करने के कदम के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित करना होना चाहिए, जिसने जम्मू-कश्मीर को 'विशेष दर्जा' दिया था और हमसे वो दर्जा छीन लिया गया। बता दें कि चुनाव आयोग ने शुक्रवार को घोषणा की कि दिसंबर 2014 के बाद केंद्र शासित प्रदेश का पहला विधानसभा चुनाव 18, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को होगा। चुनाव आयोग के मुताबिक, वोटों की गिनती 4 अक्टूबर को होगी।

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उमर अब्दुल्ला ने शनिवार देर रात एनडीटीवी पर कहा- “निर्वाचित विधानसभा के कार्य का पहला आदेश न केवल शेष भारत को बल्कि पूरे विश्व को यह बताना होना चाहिए कि 5 अगस्त 2019 को और फिर हमारे साथ जो हुआ उससे जम्मू-कश्मीर के लोग सहमत नहीं हैं।” नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के उपाध्यक्ष ने कहा- ''हमारे साथ जो-जो किया गया, उसे हम नई सरकार के बाद खत्म करना शुरू करेंगे।''

5 अगस्त 2019 को केंद्र की भाजपा सरकार ने भारत के संविधान से अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया और जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया। विभाजन 31 अक्टूबर, 2019 को प्रभावी हुआ।

उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर में आगामी चुनावों को 'पिछली तीन पीढ़ियों में सबसे महत्वपूर्ण' बताया। उन्होंने कहा-  “ये तब हो रहा है जब लद्दाख हमारा हिस्सा नहीं है। ये परिसीमन और हमारी विशेष स्थिति के ख़त्म होने के बाद हो रहे हैं। परिणाम दूरगामी होंगे।''

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नरेंद्र मोदी सरकार के अनुच्छेद 370 कदम के सबसे मुखर आलोचकों में से एक उमर ने कांग्रेस के साथ नेशनल कॉन्फ्रेंस की सीट-शेयरिंग बातचीत में 'चुनौतियों' का सामना करने के बारे में भी बात की। उमर ने कहा-  “हालांकि गठबंधन के लिए दरवाजे बंद नहीं हैं, लेकिन सीट बंटवारे की अपनी चुनौतियां हैं। प्रारंभिक दौर की बातचीत के बाद हमें कांग्रेस से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। हालाँकि, यह अभी भी एक बंद अध्याय नहीं है।”

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क़मर वहीद नक़वी
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