जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने छह महीने बाद जम्मू के कुछ हिस्सों में मोबाइल इंटरनेट को चालू करने की अनुमति दे दी है। इसके अलावा होटलों में, परिवहन से संबंधित व्यवसाय में भी ब्राडबैंड इंटरनेट के इस्तेमाल की अनुमति दी गई है। गृह विभाग की ओर से जारी किये गये तीन पेज के आदेश में कहा गया है कि कश्मीर में 400 अतिरिक्त इंटरनेट कियोस्क लगाये जाएंगे। यह भी कहा गया है कि इंटरनेट सर्विस देने वाली कंपनियां सभी ज़रूरी सेवाओं जैसे अस्पताल, बैंकों और सरकारी ऑफ़िसों में भी ब्राडबैंड सेवा उपलब्ध कराएंगी।
आदेश में कहा गया है कि जम्मू, सांबा, कठुआ, उधमपुर और रियासी जिलों में ई-बैंकिंग सहित सुरक्षित वेबसाइट देखने के लिए पोस्ट पेड मोबाइल फ़ोन में 2जी मोबाइल इंटरनेट का इस्तेमाल किया जा सकेगा। जम्मू-कश्मीर के गृह विभाग का यह फ़ैसला तब आया है जब कुछ ही दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने
घाटी में इंटरनेट सेवाओं को बहाल करने के लिए कहा था। अदालत ने कहा था कि व्यापार और ई-बैंकिंग सेवाओं के लिए इंटरनेट को शुरू किया जाए।
कोर्ट ने अपने फ़ैसले में कहा था कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता लोकतांत्रिक व्यवस्था का बेहद अहम अंग है। कोर्ट ने कहा था कि इंटरनेट इस्तेमाल करने की आज़ादी लोगों का मूलभूत अधिकार है और बिना वजह इंटरनेट पर रोक नहीं लगाई जा सकती। अदालत ने सख़्त टिप्पणी करते हुए कहा था कि इंटरनेट को अनिश्चितकाल के लिए बंद नहीं किया जा सकता है। शीर्ष अदालत ने कहा था कि केंद्र सरकार कश्मीर में लगाये गये प्रतिबंध से जुड़े सभी आदेशों की एक हफ़्ते में समीक्षा करे।
जम्मू-कश्मीर में 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद से ही कई पाबंदियां लागू हैं। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्रियों फ़ारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ़्ती को नज़रबंद रखा गया है। भारत सरकार का कहना था कि घाटी में पाकिस्तान प्रायोजित घुसपैठ और आंतकवादी गतिविधियों की जाँच के लिए इंटरनेट को रोका जाना ज़रूरी थी। दिल्ली स्थित फ़्रीडम लॉ सेंटर के मुताबिक़, दुनिया भर में किसी और देश के मुक़ाबले भारत में सबसे ज़्यादा बार इंटरनेट बंद किया गया है। 2019 में देश में 106 बार जबकि जम्मू-कश्मीर में 55 बार इंटरनेट को बैन किया गया है।
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