कांग्रेस के लिए एक और राज्य से परेशान करने वाली ख़बर आई है। जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के 20 वरिष्ठ नेताओं ने बुधवार को पार्टी को अलविदा कह दिया है। इनमें चार पूर्व मंत्री और तीन पूर्व विधायक भी शामिल हैं। इन नेताओं का कहना है कि उनकी बातों को नहीं सुना गया। इनके निशाने पर जम्मू-कश्मीर कांग्रेस के अध्यक्ष ग़ुलाम अहमद मीर रहे।
पार्टी छोड़ने वाले पूर्व मंत्रियों में जीएम सरूरी, जुगल किशोर, विकार रसूल और डॉ. मनोहर लाल शामिल हैं। सभी नेताओं ने अपना इस्तीफ़ा पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को भेज दिया है।
‘वक्त़ नहीं दिया गया’
इन नेताओं ने कहा है कि उन्होंने पार्टी नेतृत्व का ध्यान उनके मुद्दों की ओर दिलाने की कोशिश की और वे पिछले एक साल से पार्टी नेतृत्व से मिलने का वक़्त मांग रहे थे लेकिन उन्हें वक़्त ही नहीं दिया गया।
प्रदेश अध्यक्ष मीर पर निशाना साधते हुए इन नेताओं ने कहा है कि उनके नेतृत्व में कांग्रेस बर्बादी की हालत में पहुंच गई है और कई बड़े नेताओं ने पार्टी छोड़ दी है।
पार्टी छोड़ने वाले नेताओं ने कहा है कि कांग्रेस जम्मू-कश्मीर में लोकसभा से लेकर डीडीसी, बीडीसी, पंचायत और स्थानीय निकाय चुनाव तक में हार चुकी है। यहां तक कि लोकसभा चुनाव में मीर और डीडीसी चुनाव में उनके बेटे भी हार चुके हैं।
धड़ाधड़ पार्टी छोड़ते नेता
कांग्रेस छोड़ने वाले नेताओं की कतार बहुत लंबी है। 2014 में मोदी सरकार बनने के बाद से कई राज्यों में विधायक, नेता प्रतिपक्ष, पूर्व मुख्यमंत्रियों सहित बड़े ओहदों पर रह चुके नेताओं ने कांग्रेस का साथ छोड़ दिया। इस वजह से कई राज्यों में पार्टी की सरकार भी चली गई।
बीते दिनों में पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री लुइजिन्हो फलेरो, महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष रहीं सुष्मिता देव और यूपी में प्रियंका गांधी के करीबी नेता ललितेश पति त्रिपाठी ने कांग्रेस को अलविदा कहा है।
पंजाब में कांग्रेस अपने प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के हमलों से जूझ रही है तो राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस के नेताओं के बीच थोड़ा-बहुत घमासान जारी है।
दबाव बनाने की कोशिश?
ग़ुलाम नबी आज़ाद कांग्रेस में बाग़ी नेताओं के गुट G-23 के नेता हैं और उनके गुट के नेताओं के इतनी बड़ी संख्या में कांग्रेस छोड़ने का एक मतलब कांग्रेस आलाकमान पर दबाव बनाना भी हो सकता है, जिससे प्रदेश कांग्रेस की कमान फिर से ग़ुलाम नबी आज़ाद के हाथों में आ सके।
जल्द हो सकते हैं चुनाव
माना जा रहा है कि जम्मू-कश्मीर में जल्द ही विधानसभा चुनाव हो सकते हैं। इन दिनों राज्य में विधानसभा सीटों के परिसीमन की प्रक्रिया चल रही है। केंद्र सरकार कह चुकी है कि परिसीमन के बाद राज्य में चुनाव कराए जाएंगे।
धारा 370 हटने के बाद राज्य में सियासी माहौल पूरी तरह बदल गया है। बीजेपी जम्मू में अपना आधार बढ़ाने के लिए तेज़ी से काम कर रही है और पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेन्स पूर्ण राज्य के दर्जे की मांग पर अड़े हैं।
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