परिसीमन आयोग ने जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों के परिसीमन को लेकर अपनी फाइनल रिपोर्ट जारी कर दी है। इस रिपोर्ट का बीते कई दिनों से इंतजार किया जा रहा था। माना जा रहा है कि अब राज्य के अंदर कुछ ही महीनों में विधानसभा के चुनाव हो सकते हैं।
परिसीमन आयोग ने जम्मू-कश्मीर में विधानसभा सीटों की संख्या को 83 से बढ़ाकर 90 किया है। इसके अलावा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में 24 सीटें होने की बात आयोग ने कही है। ऐसा पहली बार हुआ है कि जम्मू-कश्मीर में 9 सीटें अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित की गई हैं।
आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, जम्मू में विधानसभा की 6 सीटें बढ़ेंगी जबकि कश्मीर में एक। अब तक जम्मू में 37 सीटें थीं जबकि कश्मीर में 46। इस तरह जम्मू में अब 43 सीटें हो जाएंगी जबकि कश्मीर में 47।
5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को खत्म कर दिया गया था और इसके साथ ही राज्य को दो हिस्सों में बांट दिया गया था और पूर्ण राज्य का दर्जा भी खत्म कर दिया गया था।
बीते साल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर के नेताओं को दिल्ली बुलाया था और उनसे बातचीत की थी। तबसे यह लगने लगा था कि जम्मू-कश्मीर के अंदर विधानसभा के चुनाव जल्द हो सकते हैं। हालांकि केंद्र सरकार ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव परिसीमन की प्रक्रिया पूरे होने के बाद ही कराए जाएंगे। राज्य में जून, 2018 के बाद से ही कोई सरकार अस्तित्व में नहीं है।
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जम्मू-कश्मीर में लोकसभा की 5 सीटें हैं और सभी लोकसभा सीटों में अब बराबर विधानसभा सीटें यानी 18-18 सीटें होंगी।
परिसीमन आयोग में सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जज रंजना प्रकाश देसाई, मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा और चुनाव आयुक्त चंद्र भूषण कुमार शामिल हैं। जम्मू-कश्मीर के निर्वाचन आयुक्त केके शर्मा और मुख्य चुनाव अफसर हृदेश कुमार भी परिसीमन आयोग के सदस्य हैं।
परिसीमन आयोग की सिफारिशों का राज्य में विरोध भी हुआ था।
गुपकार गठबंधन
जम्मू-कश्मीर से धारा 370 की समाप्ति के बाद कुछ विपक्षी दलों ने मिलकर गुपकार गठबंधन बनाया था। इसमें पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी), नेशनल कॉन्फ्रेन्स, जम्मू-कश्मीर पीपल्स कॉन्फ्रेन्स, आवामी नेशनल कॉन्फ्रेन्स और सीपीआईएम शामिल हैं। इस गठबंधन ने राज्य में डीडीसी के चुनाव में मिलकर ताल ठोकी थी। डीडीसी के चुनाव में जम्मू में बीजेपी तो कश्मीर में गुपकार गठबंधन आगे रहा था।
यह लगभग तय है कि विधानसभा चुनाव में बीजेपी और गुपकार गठबंधन के बीच जबरदस्त टक्कर होगी। कांग्रेस भी यहां चुनावी मुकाबले में है। कुछ दिन पहले जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा था कि गुपकार गठबंधन में शामिल दलों को मिलकर विधानसभा का चुनाव लड़ना चाहिए।
जम्मू-कश्मीर में बीजेपी इस बार अपने दम पर सरकार बनाना चाहती है लेकिन अगर कुछ विपक्षी दल भी गुपकार गठबंधन के बैनर तले संयुक्त रूप से मैदान में उतरे तो राज्य में जोरदार चुनावी मुकाबला देखने को मिलेगा।
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