शनिवार को आए ज़्यादातर एग्ज़िट पोल के अनुसार, कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस का गठबंधन जम्मू-कश्मीर में आधी सीटें जीतने से चूक सकता है। कुछ पोल ने त्रिशंकु सदन की भविष्यवाणी की, जबकि अन्य ने कांग्रेस-एनसी गठबंधन को मामूली बढ़त दी।
एग्ज़िट पोल ने दो व्यापक रुझान दिखाए- पीडीपी का लगभग सफाया, और भाजपा जम्मू क्षेत्र में अपनी सीटों को बचाने में कामयाब रही। ऐसे में ही पीडीपी की भूमिका काफी अहम हो गई है। अधिकतर रुझानों में कांग्रेस एनसी गठबंधन को बहुमत से उतनी ही सीटें कम मिलती दिख रही हैं जितनी पीडीपी जीतती हुई दिख रही है। यानी पीडीपी किंगमेकर की भूमिका में आ सकती है। ऐसी स्थिति में महबूबा अपने ऐतिहासिक प्रतिद्वंद्वी नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ जाएंगी या फिर अपने पूर्व सहयोगी बीजेपी के साथ?
जम्मू कश्मीर में 10 साल बाद और 2019 में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव हुए हैं। इस बार 90 विधानसभा क्षेत्रों के साथ, इंडिया टुडे-सी वोटर पोल ने कांग्रेस-एनसी को आधी सीटें जीतने के करीब बताया। इसने कांग्रेस-एनसी को 40-48 सीटें, भाजपा को 27-32, पीडीपी को 6-12 और 'अन्य' को 6-11 सीटें दीं। जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 90 सीटें हैं, इसलिए बहुमत का आंकड़ा 46 है।
एक्सिस माई इंडिया एग्जिट पोल में भाजपा को 24-34 सीटें, कांग्रेस और एनसी गठबंधन को 35-45 सीटें, पीडीपी को 4-6 सीटें और अन्य को 12-18 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है।
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पीपुल्स पल्स के एग्जिट पोल में भाजपा को 23-27 सीटें, कांग्रेस-एनसी गठबंधन को 46-50 सीटें, पीडीपी को 7-11 सीटें और अन्य दलों को 4-6 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है।
भाजपा की पूर्व सहयोगी रही महबूबा मुफ़्ती की पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के किंगमेकर के रूप में उभरने की संभावना रही है। पार्टी ने भाजपा के साथ गठबंधन की किसी भी संभावना को खारिज कर दिया है और वह केवल धर्मनिरपेक्ष गठबंधन के संदर्भ में बात कर रही है।
इस प्रकार गेंद नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के पाले में आ सकती है, ताकि वे पीडीपी को संकेत भेज सकें। लेकिन यहां बाधा तत्कालीन एनसी और पीडीपी के बीच ऐतिहासिक प्रतिद्वंद्विता है, जो हमेशा कश्मीर घाटी में वोटों के लिए प्रतिस्पर्धा करती रही है। चुनाव से पहले महबूबा मुफ्ती ने एनसी-कांग्रेस गठबंधन को एक बड़ा प्रस्ताव देते हुए कहा था कि अगर वे कश्मीर समेत पीडीपी के एजेंडे को स्वीकार करने के लिए तैयार हैं तो वे चुनाव से बाहर रहने और सभी विधानसभा सीटें उनके लिए छोड़ने के लिए तैयार हैं।
गुपकर गठबंधन का हिस्सा दोनों दल, जो राज्य का दर्जा बहाल करने का लक्ष्य रखते हैं, कांग्रेस के बार-बार अनुरोध के बावजूद लोकसभा चुनावों के लिए एकमत नहीं हो पाए थे।
बता दें कि 2014 में विभाजित जनादेश के बाद बना भाजपा-पीडीपी गठबंधन 2018 में टूट गया था, जिसके बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। 2019 में इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया गया। इस फ़ैसले को भाजपा ने केंद्र में अपने तीसरे कार्यकाल में उलटने का वादा किया है।
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