जम्मू-कश्मीर में अमरनाथ की गुफा के पास शुक्रवार को बादल फट गया। इसमें अभी तक 16 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 40 लोग लापता हैं। 15 हजार लोगों को सुरक्षित जगह पर पहुंचाया गया है। बादल फटने की घटना शाम क़रीब साढ़े पांच बजे हुई। गुफा के पास से पानी का भारी बहाव हुआ। घायलों को इलाज के लिए एयरलिफ्ट किया गया। घटना के बाद फिलहाल यात्रा रोक दी गई है।
ऊपरी इलाकों में भारी बारिश के बाद गुफा के ऊपर और किनारे से अचानक पानी का बहाव आया। भारत-तिब्बत सीमा पुलिस यानी आईटीबीपी, राष्ट्रीय और राज्य आपदा प्रतिक्रिया टीमों और अन्य एजेंसियों द्वारा बचाव अभियान जारी है।
लगातार हो रही बारिश
गुफा में फंसे श्रद्धालुओं को नजदीकी सुरक्षित इलाकों में भेजा गया है। एनडीआरएफ के डायरेक्टर जनरल अतुल करवाल ने ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से कहा कि लैंडस्लाइड की कोई घटना नहीं हुई है लेकिन लगातार बारिश हो रही है हालांकि इससे बचाव और राहत अभियान पर कोई फर्क नहीं पड़ा है।
उन्होंने बताया कि भारतीय सेना, एसडीआरएफ, सीआरपीएफ के जवान लगातार बचाव व राहत के काम में जुटे हुए हैं। बारिश के साथ मलबा आने के बाद लोगों के टेंट बह गए और इससे गुफा के आसपास लगाए गए पंडालों को भी जबरदस्त नुकसान पहुंचा।
वहां मौजूद लोगों ने बताया कि बादल फटने के बाद भगदड़ के हालात बन गए लेकिन सेना के जवानों ने मदद की जिससे हालात को काबू किया गया।
पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने घटना पर कहा, 'अमरनाथ गुफा के पास बादल फटने की जगह से आ रही बहुमूल्य जानों के नुकसान की ख़बरों से गहरा दुख हुआ। मृतकों के प्रियजनों के प्रति मेरी संवेदना और बाढ़ के बाद घायल हुए लोगों के लिए प्रार्थना।'
Saddened & shocked to know about the tragic cloudburst accident near the Amarnath cave. Deepest condolences to the families of those who lost their lives.
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) July 8, 2022
वैसे, बादल फटने का अर्थ होता है कि एक सीमित भौगोलिक क्षेत्र में कम समय में विशेष रूप से भारी बारिश हो और पानी के तेज झोंके से भारी तबाही आ जाए। कुछ ऐसा ही अमरनाथ गुफा के पास शुक्रवार को हुआ। इस घटना के बाद फिलहाल अमरनाथ यात्रा को कुछ समय के लिए रोक दिया गया है।
इस सप्ताह की शुरुआत में ख़राब मौसम के कारण अमरनाथ यात्रा को कुछ समय के लिए स्थगित कर दिया गया था। कोरोना महामारी की वजह से 2 साल तक रुकी रही यह यात्रा इस साल 30 जून को शुरू हुई। तब से अब तक 72,000 से अधिक तीर्थयात्रियों ने मंदिर में पूजा-अर्चना की है।
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