नरेंद्र मोदी सरकार आख़िरकार क्यों जम्मू-कश्मीर में लगातार अतिरिक्त सुरक्षा बल भेज रही है। हाल ही में सरकार ने
10 हज़ार जवानों की तैनाती घाटी में की थी और अब फिर से सरकार ने घाटी में 25,000 जवानों को भेज दिया है। सवाल यह उठ रहा है कि आख़िर क्यों जम्मू-कश्मीर में इतनी बड़ी संख्या में जवानों की तैनाती की जा रही है।
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री
उमर अब्दुल्ला ने पूछा है कि घाटी में अतिरिक्त जवानों की तैनाती क्यों की जा रही है। अब्दुल्ला ने पूछा है कि क्या यह अनुच्छेद 35ए को हटाने और परिसीमन के लिए नहीं किया जा रहा है?
केंद्र सरकार का कहना है कि घाटी में
आतंकवाद विरोधी कार्रवाई को मजबूती देने के लिए जवानों को तैनात किया जा रहा है। लेकिन सोशल मीडिया और राजनीतिक हलकों में जोरदार चर्चा है कि केंद्र सरकार जल्द ही अनुच्छेद 35ए को हटा सकती है। हालाँकि बुधवार को जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने इस तरह की अटकलों को पूरी तरह खारिज कर दिया था और कहा था कि सरकार की इस तरह की कोई भी योजना नहीं है। आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि अतिरिक्त 25,000 जवान बृहस्पतिवार की सुबह ही घाटी में पहुँच चुके थे और अब उन्हें राज्य के विभिन्न इलाक़ों में तैनात किया जा रहा है। तो क्या यह माना जाए कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 35ए हटाने की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है।
सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत सुरक्षा हालातों का जायजा लेने के लिए गुरुवार को ही श्रीनगर पहुँच चुके हैं। सेना के प्रवक्ता ने कहा है कि रावत वहाँ दो दिन तक रहेंगे। घाटी में 35ए को हटाये जाने की चर्चा के बीच उमर अब्दुल्ला और उनके पिता फ़ारुक अब्दुल्ला ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाक़ात की थी और उनसे कहा था कि राज्य में इस साल के अंत तक चुनाव करा लिये जाएँ। पिछले सप्ताह ही जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने केंद्र सरकार को आगाह किया था कि राज्य में आर्टिकल 35ए से छेड़छाड़ करना बारूद में आग लगाने जैसा होगा। महबूबा मुफ़्ती ने पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के स्थापना दिवस कार्यक्रम में यह बात कही थी।
जम्मू-कश्मीर से और ख़बरें
बीजेपी, संघ का है एजेंडा
लगता है कि केंद्र की मोदी सरकार इस बार 35ए और धारा 370 पर आर या पार करना चाहती है। गृह मंत्री अमित शाह संसद में कह चुके हैं कि धारा 370 अस्थायी है। बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ
धारा 370 और
35ए को ख़त्म करने की माँग लंबे अरसे से उठाते रहे हैं। जम्मू-कश्मीर बीजेपी के अध्यक्ष अश्विनी कुमार ने भी कहा है कि धारा 35 ए के ज़रिए संविधान ही नहीं, संसद को भी छला गया और इसे गुपचुप तरीक़े से लाया गया था। उन्होंने कहा कि हम इसे ख़त्म करेंगे क्योंकि हमने देश से इसका वायदा किया है। धारा 370 और 35ए को हटाने का जिक्र बीजेपी ने अपने चुनाव घोषणा-पत्र 2019 में प्रमुखता से किया है।
क्या है अनुच्छेद 35ए?
देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने एक आदेश से 35ए को 14 मई, 1954 को संविधान में शामिल किया था। यह अनुच्छेद जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को विशेष अधिकार और सुविधाएँ प्रदान करता है और इसके अंतर्गत राज्य के बाहर के व्यक्ति पर यहाँ कोई भी अचल संपत्ति ख़रीदने पर प्रतिबंध लगाता है। यह अनुच्छेद राज्य की विधानसभा को जम्मू-कश्मीर के ‘स्थाई निवासी’ को परिभाषित करने और उन्हें विशेष सुविधाएँ उपलब्ध कराने का अधिकार देता है।अनुच्छेद 370 की संवैधानिकता को पहले भी चुनौती दी गयी थी। उच्चतम न्यायालय की पाँच सदस्यीय संविधान पीठ ने अनुच्छेद 370 के तहत संविधान में सुधार करने के राष्ट्रपति के अधिकारों पर विचार किया। संविधान पीठ ने 1961 में अपने फ़ैसले में कहा था कि राष्ट्रपति अनुच्छेद 370 के तहत वर्तमान प्रावधान में सुधार कर सकते हैं, लेकिन फ़ैसले में इस सवाल पर ख़ामोशी थी कि क्या संसद की जानकारी के बग़ैर राष्ट्रपति संविधान में एक नया अनुच्छेद जोड़ सकते हैं।जम्मू-कश्मीर में अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती क्यों की जा रही है। इसे लेकर कयास जोरों पर हैं। माना यह भी जा रहा है कि हो सकता है कि केंद्र सरकार की तैयारी राज्य में विधानसभा चुनाव कराये जाने की हो और उससे पहले और स्वतंत्रता दिवस पर आतंकवादी कोई वारदात न कर सकें, इसके लिए सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के मद्देनज़र जवानों को घाटी में तैनात किया गया हो। लेकिन देखना यह होगा कि केंद्र सरकार 35ए को हटाने की अटकलों पर किस तरह से विराम लगाती है।
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