पहले खुदरा महंगाई बढ़ने की रिपोर्ट आई थी और अब थोक महंगाई की। थोक मूल्य मुद्रास्फीति मार्च में बढ़कर 14.55 प्रतिशत पर पहुँच गई है। यह पिछले चार महीने के उच्चतम स्तर है। इससे पहले फरवरी में यह थोक महंगाई 13.11 प्रतिशत थी। अभी क़रीब हफ़्ते भर पहले ही खुदरा महंगाई के आँकड़े आए हैं और वह 16 महीने के अपने उच्च स्तर पर पहुँच गई है।
थोक महंगाई दिसंबर 2021 में 14.27 प्रतिशत थी जो जनवरी 2022 में घटकर 13.68 प्रतिशत और फिर फरवरी में 13.11 प्रतिशत पर आ गई। हालाँकि मार्च 2022 में इसमें तेजी से वृद्धि हुई है।
वास्तव में थोक मूल्य मुद्रास्फीति मार्च 2022 में 14.55 प्रतिशत है जो पिछले एक साल में दोगुनी हो गई है। मार्च 2021 में यह सिर्फ़ 7.89 प्रतिशत थी। थोक महंगाई में बढ़ोतरी मूल रूप से कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस के साथ-साथ बुनियादी धातुओं की क़ीमतों में बढ़ोतरी के कारण हुई।
इसकी आशंका पहले से ही थी कि पेट्रोलियम पदार्थों के दाम बढ़ने पर महंगाई बढ़ेगी।
कुछ दिन पहले ही खुदरा महंगाई के आँकड़ों में दिखा था कि वह 16 महीने के उच्च स्तर पर पर पहुँच गई थी। मार्च महीने में खुदरा महंगाई दर 6.95 फ़ीसदी रही है। यह लगातार तीसरा महीना है जब महंगाई दर रिजर्व बैंक द्वारा तय सीमा से ऊपर है।
भारतीय रिज़र्व बैंक ने इस महंगाई को 6 प्रतिशत की सीमा के अंदर रखने का लक्ष्य रखा है। यानी मौजूदा महंगाई की दर लगातार तीसरे महीने ख़तरे के निशान के पार है और लगातार बढ़ रही है।
भारत की खुदरा महंगाई फरवरी के महीने में बढ़कर 6.07 प्रतिशत हो गई थी। यह जनवरी महीने में 6.01 फ़ीसदी थी। और अब सात के आसपास पहुँचने को है। पिछले साल मार्च में खुदरा महंगाई की दर 4.3% पर थी।
खुदरा महंगाई बढ़ने के पीछे मुख्य तौर पर दो बड़े कारण हैं। खाद्य सामग्री और तेल के दाम में बढ़ोतरी। मार्च के लिए खाद्य मुद्रास्फीति तेज़ी से बढ़कर 7.68 प्रतिशत हो गई है, जबकि फरवरी 2022 में यह 5.85 प्रतिशत थी। फरवरी की तुलना में मार्च में मांस, मछली, दूध उत्पाद, अनाज, कपड़े और जूते की क़ीमतें बढ़ी हैं।
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