अमेरिका में सिलिकॉन वैली बैंक (SVB) का डूबना छोटी घटना नहीं है। 9 मार्च को सिल्वरगेट कैपिटल कॉरपोरेशन बैंक डूबा और 10 मार्च को SVB डूब गया। क्या इसे दुनियाभर में आर्थिक मंदी की आहट मानी जाए। क्योंकि 15 सितंबर 2008 में जब लेहमैन ब्रदर्स बैंक इसी तरह डूबा था तो उसने दुनियाभर में भारी आर्थिक तबाही मचा दी थी। कई और बैंक उस वजह से डूब गए थे। लेकिन एसवीबी और सिल्वरगेट की तबाही तो अमेरिकी बैंकिंग इतिहास की सबसे बड़ी घटना बताई जा रही है। यह घटना इतनी बड़ी है कि कई और बैंकों के डूबने का खतरा पैदा हो गया है। जिन टेक या आईटी कंपनियों का लेनदेन SVB से था, उन पर भारत तक आंच महसूस की जा रही है। अमेरिका की वित्त मंत्री जेनेट येलेन ने कहा है कि वो एसवीबी में हाल के घटनाक्रमों की बारीकी से निगरानी कर रही हैं और ट्रेजरी विभाग कुछ बैंकों पर कड़ी नजर रख रहा है।
एसवीबी के डूबने ने विश्वव्यापी आर्थिक संकट का संकेत दे दिया है। वजह यह है कि एसवीबी ने ज्यादातर टेक या आईटी कंपनियों का पैसा जमा कर रखा है या लोन दे रखा है। एसवीबी के बंद होने पर इन कंपनियों को पैसा मिलेगा नहीं, फंड आएगा नहीं तो वो भी बंद होंगी। भारत के तमाम स्टार्टअप का पैसा एसवीबी के पास जमा है। भारतीय मार्केट में आज 11 मार्च को इससे घबराहट फैली। पेटीएम को लेकर तमाम चर्चाएं शुरू हो गईं। पेटीएम के सीईओ विजय शेखर शर्मा को बयान देना पड़ा कि पेटीएम का एसवीबी से कोई लेनदेन नहीं हुआ है।
भारत पर असर पड़ना तय
पेटीएम का जिक्र तो ऊपर हो ही चुका है, जिसने खंडन किया है कि एसवीबी के डूबने का प्रभाव उस पर नहीं पड़ेगा। लेकिन टेकक्रंच मैगजीन ने कहा है कि अमेरिका से 8000 किलोमीटर दूर भारत में स्टार्टअप कंपनियों पर असर पड़ना तय है। कुछ भारतीय स्टार्टअप्स के लिए सिलिकॉन वैली बैंक एक जीवनदायिनी के रूप में काम करता था। टेकक्रंच के मुताबिक भारतीय स्टार्टअप YC, Accel, Sequoia India, Lightspeed, SoftBank और Bessemer Venture Partners जैसी दर्जनों कंपनियां एसवीबी पर निर्भर थीं। कुछ स्टार्टअप में तो एसवीबी उनका एकमात्र बैंकिंग भागीदार था। कुछ भारतीय स्टार्टअप का पैसा वहां फंस गया है।वेंचर कैपटिलिस्ट (वीसी) इस डर से प्रभावित स्टार्टअप्स के नामों का खुलासा नहीं कर रहे हैं, क्योंकि भविष्य में पूंजी जुटाने की उन कंपनियों की संभावनाओं को प्रभावित करेगा। वीसी ने बताया कि कुछ भारतीय कंपनियां सिलिकॉन वैली बैंक से अपने पैसे को समय पर ट्रांसफर नहीं कर सकीं क्योंकि उनके पास एक और अमेरिकी बैंकिंग खाता आसानी से उपलब्ध नहीं था।
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