जापान की कंपनी दायची संक्यो द्वारा दायर एक केस के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने रैनबैक्सी के पूर्व प्रमोटर मलविंदर सिंह और उनके भाई शिविंदर सिंह को कोर्ट की अवमानना का दोषी पाया है। इसके साथ ही फ़ोर्टिस हेल्थकेयर को भी दोषी पाया गया है। दोनों भाइयों को अक्टूबर महीने में भी गिरफ़्तार किया गया था और जेल भेजा गया था। तब उन्हें 740 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी मामले में गिरफ़्तार किया गया था।
मालविंदर और शिविंदर में से हरेक 1175 करोड़ रुपये जमा कर कोर्ट की अवमानना से बच सकते हैं। बता दें कि 2016 में दायची संक्यो को 2562 करोड़ देने के लिए कोर्ट ने दोनों भाइयों को आदेश दिया था। दायची कंपनी ने उस विवाद के निपटारे के लिए कोर्ट में केस किया था जिसमें उसने क़रीब एक दशक पहले रैनबैक्सी का अधिग्रहण किया था। कोर्ट ने इसी साल दोनों भाइयों को चेतावनी दी थी कि यदि वे दायची को पैसे चुकाने के कोर्ट के आदेश को नहीं मानते हैं तो उन्हें जेल भेज दिया जाएगा।
बता दें कि शिविंदर और मालविंदर अपने पिता द्वारा स्थापित रैनबेक्सी के वारिस थे। उन्होंने 2008 में इसे एक जापानी कंपनी दायची संक्यो को बेच दिया था और अपने फ़ोर्टिस हेल्थकेयर और रेलिगेयर अंटरप्राइजेज पर ध्यान केंद्रित करना तय किया।
हालाँकि रैनबेक्सी के ख़िलाफ़ केस चलने की जानकारी छुपाने के लिए दायची ने कोर्ट में सिंह बंधुओं के ख़िलाफ़ केस किया। आख़िर में उन्हें इसका हर्ज़ाना देना पड़ा।
बाद में दोनों भाइयों के बीच तब विवाद होने लगा जब उनका फ़ोर्टिस और रेलिगेयर पर क़ब्ज़ा नहीं रहा। सेक्योरिटीज़ एंड एक्सचेंज बोर्ड ने सिंह बंधुओं को 403 करोड़ रुपये फ़ोर्टिस को देने को कहा। जाँच के दौरान पता चला कि उन्होंने फ़ोर्टिस से ग़लत तरीक़े से भी फ़ंड ट्रांसफ़र किए थे।
पहले ऐसे आरोप लगे थे कि फ़ंड को कथित तौर पर भारत में रजिस्टर्ड रेलिगेयर अंटरप्राइजेज लिमिटेड से मालविंदर सिंह और शिविंदर सिंह की विदेश में स्थित अपनी कंपनी में ट्रांसफ़र किए गए थे। बता दें कि 2007-08 में ज़बरदस्त मुनाफ़ा कमाने वाली कंपनी रेलिगेयर 2017-18 आते-आते ज़बरदस्त नुक़सान में पहुँच गई।
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