वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा आठ प्रमुख सेक्टरों में नीतिगत बदलाव की घोषणा का बीजेपी के मातृ संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस से जुड़े भारतीय मज़दूर संघ ने कड़ा विरोध किया है। वित्त मंत्री ने इन सेक्टरों में निजी निवेश को बढ़ाने यानी 'निजीकरण' की बात कही है और भारतीय मज़दूर संघ का विरोध इसी को लेकर है। इसने कहा है कि यह देश के लिए दुखद दिन है।
कोरोनो वायरस महामारी के बीच विकास को बढ़ावा देने के लिए आठ प्रमुख सेक्टरों के लिए निर्मला सीतारमण ने शनिवार को बड़े नीतिगत बदलावों की घोषणा की। ये सेक्टर हैं कोयला, खनिज, रक्षा विनिर्माण, हवाई क्षेत्र प्रबंधन, हवाई अड्डे, बिजली वितरण, अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा।
इस फ़ैसले पर भारतीय मजदूर संघ यानी बीएमएस के महासचिव वीरजेश उपाध्याय ने एक बयान में कहा, 'एफएम की घोषणाओं का चौथा दिन राष्ट्र और उसके लोगों के लिए दुखद दिन है, जो पहले तीन दिनों की घोषणाओं को सुनकर वाह-वाह कर रहे थे।'
उन्होंने बयान में कहा है कि ट्रेड यूनियनों, सामाजिक प्रतिनिधियों और शेयरधारकों से सरकार द्वारा बातचीत नहीं करना दिखाता है कि उसको अपने ही आइडिया पर भरोसा नहीं है और इसकी घोर निंदा की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि इनमें से अधिकतर सेक्टरों में हमारे यूनियन निजीकरण का विरोध करते रहे हैं।
भारतीय मज़दूर संघ ने यह भी कहा है कि रक्षा क्षेत्र में ऑटोमैटिक रूट से विदेशी निवेश यानी एफ़डीआई को 49 से बढ़ाकर 74 फ़ीसदी करना और ऑर्डिनेंस फ़ैक्ट्री बोर्ड का कॉरपोरेटीकरण करना आपत्तिजनक है।
बता दें कि वित्त मंत्री ने कहा कि ऑर्डिनेंस फ़ैक्ट्री बोर्ड का कॉरपोरेटीकरण किया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने यह भी साफ़ किया कि इसका मतलब निजीकरण नहीं है, पर वे कंपनियाँ स्टॉक मार्केट में सूचीबद्ध हो सकेंगी, पूंजी बाज़ार से पैसे उगाह सकेगी, उन्हें पारदर्शिता रखनी होगी, उन्हें पूरी जानकारी सबके साथ साझा करनी होगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की सबसे बड़ी घोषणा यह है कि रक्षा क्षेत्र में ऑटोमैटिक रूट से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी एफ़डीआई की सीमा 49 प्रतिशत से बढ़ा कर 74 प्रतिशत कर दी गई है।
'एनडीटीवी' के अनुसार बीएमएस के महासचिव उपाध्याय ने कहा, 'हमारे नीति निर्माताओं के लिए सुधार और प्रतिस्पर्धा का मतलब है निजीकरण। लेकिन हाल के समय में हमने देखा है कि संकट के समय निजी खिलाड़ी व बाज़ार पंगु बन गए और पब्लिक सेक्टर ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।'
बीएमएस ने अपने बयान में कहा है कि निजीकरण का कर्मचारियों पर बुरा असर पड़ेगा, बड़े पैमाने पर नौकरियाँ जाएँगी और उनका शोषण होगा।
बता दें कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े भारतीय मज़दूर संघ ने बीजेपी शासित राज्यों द्वारा श्रम क़ानून में किए गए बदलाव का भी विरोध किया था। यह विरोध मुख्य तौर पर मज़दूरी और काम के घंटे को लेकर क़ानूनों में बदलावों को लेकर था।
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