महंगाई फिर से बढ़ गई है। पहले भी बढ़ी हुई थी। लेकिन बीच में तीन महीने तक यह ढलान पर थी। अब फिर से यह बढ़ गई। अगस्त में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 7 प्रतिशत हो गई है। इस वजह से खाद्य क़ीमतों में तीन महीने की गिरावट रुक गई। हालाँकि इस साल हर महीने खुदरा महंगाई आरबीआई द्वारा तय सीमा से ऊपर ही है।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक यानी सीपीआई द्वारा मापी जाने वाली महंगाई अगस्त में बढ़कर 7.00 प्रतिशत हो गई, जो इससे पहले जुलाई में 6.71 प्रतिशत थी।
अगस्त में महंगाई बढ़ने के साथ ही सीपीआई लगातार आठवें महीने भारतीय रिजर्व बैंक के 6 प्रतिशत के ऊपरी मार्जिन से ऊपर बना रहा। सरकार ने केंद्रीय बैंक को मार्च 2026 को समाप्त होने वाली पांच साल की अवधि के लिए खुदरा मुद्रास्फीति को 4 प्रतिशत पर 2 प्रतिशत के मार्जिन के साथ बनाए रखने का आदेश दिया है।
अर्थशास्त्रियों के एक हालिया रॉयटर्स पोल ने अगस्त में सीपीआई के 6.90 प्रतिशत बढ़ने का अनुमान लगाया था।
महंगाई को कंट्रोल करने में मोदी सरकार बुरी तरह नाकाम है।
— Congress (@INCIndia) September 12, 2022
अगस्त में महंगाई दर 7% पहुंच गई, जुलाई में यह 6.71% थी। वहीं, खाद्य महंगाई दर 7.62% पहुंच गई है।
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बढ़ती महंगाई पर काबू पाने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक पर अर्थव्यवस्था की क़ीमत पर भी अधिक आक्रामक तरीक़े से बैंक दरों में बढ़ोतरी के लिए दबाव पड़ा है।
आम तौर पर रेपो रेट बढ़ाने का मतलब होता है कि बैंकों को रिजर्व बैंक अब कर्ज ज़्यादा ब्याज पर देगा। यानी इसका एक मतलब यह भी होता है कि अर्थव्यवस्था में पैसे की कमी की जाए और इससे लोग ख़र्च कम करना शुरू करेंगे और महंगाई काबू में आएगी।
बता दें कि अप्रैल में आठ साल के उच्च स्तर 7.79 प्रतिशत पर महंगाई पहुँच गई थी। हालाँकि मई महीने में वार्षिक आधार पर थोड़ा कम होकर 7.04 प्रतिशत पर आ गई थी। जून और जुलाई में भी मुद्रास्फीति कम हुई थी।
अगस्त में सब्जियों के दाम साल दर साल के हिसाब से 13.23 फीसदी बढ़े। इसके अलावा मसालों में 14.90 फीसदी, अनाज और उत्पादों में 9.57 फीसदी और दूध एवं उत्पादों में 6.39 फीसदी की तेजी देखी गई। अंडे की कीमतों में (-) 4.57 फीसदी की गिरावट आई लेकिन फल 7.39 फीसदी महंगे हो गए।
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