भारत सरकार ने 1 जून से चीनी के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है। यह फैसला चीनी की लगातार बढ़ रही कीमत को देखते हुए लिया गया है। सरकार के फैसले के बाद चीनी के शेयरों में बड़ी गिरावट देखने को मिली है।
सरकार के इस कदम से बाजार में चीनी की उपलब्धता भी बढ़ेगी और साथ ही कीमतों पर भी नियंत्रण किया जा सकेगा।
पिछले कुछ वक्त से बाजार में चीनी के दाम लगातार बढ़ रहे थे और उसके बाद से ही यह आशंका जताई जा रही थी कि सरकार चीनी के निर्यात पर रोक लगा सकती है। याद दिला दें कि कुछ दिन पहले ही केंद्र सरकार ने गेहूं के निर्यात पर भी रोक लगा दी थी।
केंद्र सरकार चीनी के निर्यात पर रोक लगाकर अपने पास चीनी का अतिरिक्त स्टॉक रख सकेगी और इससे चीनी की बढ़ती हुई मांग को पूरा करने में भी उसे मदद मिलेगी। बाजार में चीनी 35 से 44 रुपये प्रति किलो के बीच मिल रही है।
इसके साथ ही सरकार ने मंगलवार को लिए एक और अहम फैसले में कच्चे पाम तेल, कच्चा सोया तेल और कच्चे सूरजमुखी के तेल पर बेसिक इंपोर्ट टैक्स को खत्म कर दिया है।
कच्चे सोयाबीन और सूरजमुखी के तेल के सालाना 20 लाख मीट्रिक टन आयात पर कस्टम ड्यूटी और कृषि बुनियादी ढांचे के विकास पर लगने वाले कर से छूट दी गई है। केंद्र सरकार ने यह कदम तेल की कीमतों पर नियंत्रण करने के लिए उठाया है। निश्चित रूप से इससे लोगों को बड़ी राहत मिलेगी।
पेट्रोल और डीजल पर फैसला
केंद्र सरकार ने पिछले हफ्ते ही पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों को देखते हुए इन पर एक्साइज ड्यूटी को कम किया था। लगातार बढ़ रही महंगाई की वजह से केंद्र सरकार विपक्षी दलों के निशाने पर थी।
महंगे ईंधन से लेकर सब्जियों और खाद्य तेलों के बढ़ते दामों की वजह से थोक मूल्य मुद्रास्फीति अप्रैल में 15.08 फीसद हो गई थी और खुदरा महंगाई भी 8 साल में सबसे ऊंचे स्तर 7.79 फीसद पर पहुंच गई थी।
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