दो साल में कारों की बिक्री में कमी के कारण कार बेचने के धंधे में लगे लोगों को 2,000 करोड़ रुपये का नुक़सान हुआ है 3000 से ज़्यादा लोग बेरोज़गार हो गए हैं। यह अर्थव्यवस्था की मंदी की ओर इशारा करता है।
भारत के कॉरपोरेट जगत ने मुंबई में मतदान के बाद यह संकेत दे दिया है कि यदि वपक्षी गठबंधन की सरकार बनती है तो उन्हें कोई दिक्क़त नहीं होगी। यह बदलाव का संकेत माना जा रहा है।
लोकसभा चुनाव के बीच ही मोदी सरकार के लिए बेरोज़गारी के मामले में एक और बुरी ख़बर आयी है। सीएमआईई की रिपोर्ट में कहा गया है कि अप्रैल के पहले तीन हफ़्ते में बेरोज़गारी दर औसत रूप में 8.1 फ़ीसदी पहुँच गयी है।
बेरोज़गारी के आँकड़े के बाद अब आर्थिक मोर्चे पर मोदी सरकार के लिए एक और बुरी ख़बर है। तेल-साबुन और खाने-पीने जैसे उपभोक्ता सामान की माँग घट गयी है। एफ़एमसीजी सेक्टर की वृद्धि दर 11-12 प्रतिशत रह जाने की संभावना है।
जेट एयरवेज़ ऐसे गंभीर संकट में क्यों है? भारत की कोई भी एयरवेज़ कंपनी मुनाफ़े में क्यों नहीं है? ऐसा क्यों है जब सरकार विमानन क्षेत्र को नयी ऊँचाइयाँ देने के दावे किए जा रही है?
भारतीय जनता पार्टी भले ही यह दावा करे कि मोदी सरकार के दौरान विकास हुआ है, सच तो यह है कि अर्थव्यवस्था बुरे हाल में है। अर्थव्यवस्था के कई मानकों से यह साबित होता है
आख़िर नरेंद्र मोदी सरकार क्यों चाहती है कि इलेक्टोरल बॉन्ड किसने दिए, यह किसी को पता नहीं चले। इस तरह के दूसरे सवाल भी हैं, जो सरकार की नैतिकता पर सवाल उठाते हैं।
13 सालों में पहली बार स्कूटर की बिक्री घटी है। बेरोज़गारी और बिगड़े आर्थिक हालात के कारण विपक्ष की आलोचना झेल रही मोदी सरकार को एक बार फिर हमले झेलने पड़ सकते हैं।
एक रिपोर्ट के मुताबिक़ नोटबंदी के बाद क़रीब 88 लाख करदाताओं ने टैक्स रिटर्न नहीं भरा है। ऐसे में सवाल उठता है कि इतने करदाताओं ने रिर्टन क्यों नहीं भरा? क्या इन लोगों की आमदनी कम हो गयी या नौकरी चली गयी?