केंद्रीय मंंत्री नितिन गडकरी आख़िर किस आधार पर दावा कर रहे हैं कि क़रीब 100 रुपये प्रति लीटर मिलने वाला पेट्रोल 15 रुपये प्रति लीटर मिलने लगेगा? यह कैसे संभव है? गडकरी के पास कौन सी जादू की छड़ी आ गई!
क्या अनिल अंबानी की मुश्किलें बढ़ेंगी? विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम यानी विदेशों में अघोषित धन छुपाकर रखने के मामले में उनपर कार्रवाई की तैयारी है? जानिए, अनिल अंबानी के ख़िलाफ़ क्या-क्या मामले हैं।
हाल में खुदरा मुद्रास्फीति के जो आँकड़े आए हैं वे बताते हैं कि महंगाई नियंत्रण में है। लेकिन इसके बावजूद टमाटर, प्याज, आलू की, अरहर दाल जैसी बुनियादी चीजें आसमान क्यों छू रही हैं?
यूरोप की अर्थव्यवस्था की स्थिति डाँवाडोल क्यों है? क्यों कुछ देशों में तकनीकी तौर पर आर्थिक मंदी आ गई है? क्या वहाँ की कंपनियों की भी वैसी ही स्थिति है या फिर वे मालामाल हैं?
जिंदा पशुओं को आयात-निर्यात को आसान करने वाले विधेयक के मसौदे का विरोध क्यों हो रहा है? जानिए, आरएसएस से जुड़ी संस्था इसके पक्ष में है या विरोध में और सरकार ने इसे वापस क्यों लिया।
चुनाव को देखते हुए सरकार भले ही नियुक्ति पत्र बाँटने का कार्यक्रम कर रही हो, लेकिन सरकारी नौकरियों की वास्तविक स्थिति क्या है, यह सरकारी कंपनियों के आए आँकड़ों से पता चल जाता है।
मार्केट रेगुलेटर सेबी ने एस्सेल ग्रुप के चेयरमैन सुभाष चंद्रा और सीईओ पुनीत गोयनका पर कई तरह की पाबंदियां लगा दी हैं। यह समूह ज़ी चैनलों का संचालन भी करता है।
महंगाई बढ़ने की रफ्तार में कमी आई है। दूसरी तरफ भारतीय अर्थव्यवस्था में ग्रोथ के दावे भी किए जा रहे हैं। सवाल यह है कि अमीर-गरीब की खाई को पाटे बिना आप ग्रोथ का फायदा अंतिम आदमी या औरत को कैसे दे पाएंगे। चीजों के दाम सस्ते नहीं हुए हैं। गरीब जनता का सरकारी आंकड़ों से कोई लेनादेना नहीं है। वो ये जानता है कि कि महंगाई कहां कम हुई है। पेश है आर्थिक विशेषज्ञ आलोक जोशी का नजरियाः
पिछले कुछ महीनों से जिस तरह से आर्थिक मंदी के आने की संभावना और फिर उस संकट से उबर जाने की उम्मीद जताई गई थी, इसी बीच अब यूरोज़ोन के आर्थिक मंदी में जाने की रिपोर्ट आ गई है। जानें यूरोज़ोन का स्वास्थ्य कैसा है।
रिजर्व बैंक ने आज मौद्रिक नीति जारी कर दी है। उसने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। महंगाई में मामूली सुधार को देखते हुए आरबीआई ने लेंडिंग रेट नहीं बढ़ाया है।