अडानी-हिंडनबर्ग के मामले में जाँच के लिए सेबी आख़िर छह महीने का समय और क्यों मांग रहा है? सेबी ने आख़िर क्या जाँच की है? जानिए, इस मामले में उसने सुप्रीम कोर्ट से क्या कहा।
अडानी समूह के खिलाफ जांच के लिए सेबी ने सुप्रीम कोर्ट से कम से कम 6 महीने का समय और मांगा है। हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट आने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सेबी से 2 मई तक जांच रिपोर्ट पेश करने को कहा था। लेकिन सेबी की ओर से कल शनिवार को एक अर्जी दायर कर और समय मांगा गया है।
रविंद्रन ने कहा कि हमने ईडी के अधिकारियों को जांच में पूरा सहयोग दिया, उन्होंने जो भी जानकारी मांगी, हमने उन्हें प्रदान की। हम कंपनी के परिचालन में पूरी ईमानदारी बरती है, और आगे भी हम इसके संचालन में नैतिकता के उच्चतम मानकों को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
जीरा के बाजार में पैदा हुए मांग-आपूर्ति के असंतुलन ने जीरे की कीमतों को रिकॉर्ड ऊंचाई के स्तर तक पहुंचा दिया है। इसने फसलों पर हो रहे मौसम के प्रभाव को भी सही साबित कर दिया है।
दुनिया के अमीर से अमीर देशों को भी इस वक्त भारत और चीन में संभावनाएँ क्यों दिख रही हैं? क्या वजह से कि इस मुसीबत के दौर में ये दो देश हैं जो तरक्की की दौड़ में आगे रहेंगे? लेकिन यह तरक्की टिकी रहेगी?
वैश्विक आर्थिक मंदी का असर क्या भारत पर भी काफ़ी ज़्यादा पड़ने वाला है और क्या इसके संकेत अभी से मिलने लगे हैं? जानिए, आईएमएफ़ ने क्या अनुमान लगाया है।
राहुल गांधी लगातार पूछ रहे हैं कि अडानी की कंपनियों में निवेश की गई 20 हज़ार करोड़ की रक़म आख़िर किसकी है? अडानी ने अब इसका जवाब दिया है। जानें आख़िर वे पैसे किनके हैं।
वैश्विक आर्थिक मंदी की आहट के बीच दुनिया की अर्थव्यवस्था की हालत ख़राब रहने वाली है। हालाँकि दो देशों की अर्थव्यवस्था उम्मीद की किरण की तरह हैं। जानिए, भारत में क्या हालात होंगे।
भारतीय रिजर्व बैंक ने आज गुरुवार 6 अप्रैल को मौद्रिक नीति की समीक्षा करते हुए ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया है। इससे उन लोगों को राहत मिलेगी, जिन्होंने लोन ले रखा था और उनकी ईएमआई अब नहीं बढ़ेगी।
वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी के बीच जिस भारतीय अर्थव्यवस्था को उम्मीद की किरण बताया जा रहा था, आख़िर उसकी वृद्धि दर का अनुमान लगातार कम क्यों होता जा रहा है?
अमेरिका सहित दुनिया भर में आर्थिक मंदी की आहट और कई कंपनियों में छँटनी के बीच अब मैकडॉनल्ड्स में ऐसी ही तैयारी है। जानिए, अमेरिका में इसके सभी कार्यालय अस्थायी तौर पर बंद क्यों किए गए।
NPCI की रिपोर्ट के अनुसार यूपीआई के जरिए होने वाला लगभग 70 फीसदी पीयर टू मर्चेंट ट्रांजेक्शन 2,000 रुपये से अधिक मूल्य का होता है, ऐसे में इन पर 0.5 से लगभग 1.1 फीसदी का इंटरचेंज चार्ज लगाने की तैयारी है।