भारत की जीडीपी यानी सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर जून में गिरकर पाँच फ़ीसदी पर पहुँच गई है। यह छह साल में सबसे निचला स्तर है। सरकार ने शुक्रवार को यह आँकड़ा जारी किया।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर ज़ोरदार हमला करते हुए कहा कि बेहतर होगा कि वह वित्त और अर्थव्यवस्था के मुद्दोें पर कुछ बोलने के पहले ठीक से होम वर्क कर लें।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि सरकार ने बेनामी कंपनियों यानी शेल कंपनी के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई करते हुए उनका पता लगाया और उन्हें बंद करवा दिया।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बैंकिंग सेक्टर में बहुत बड़े फ़ैसले का एलान करते हुए कहा कि बैंकों का विलय किया जाएगा। इस विलय के बाद सिर्फ़ 12 सरकारी बैंक बच जाएँगे।
गुजरात के हीरा उद्योग में बीते दो साल से मंदी छाई हुई है। नोटबंदी के बाद शुरु हुआ संकट जीएसटी लागू होने के बाद और गहरा हो गया, 60 हज़ार लोगों की नौकरी चली गई है।
सरकार ने रिजर्व बैंक से पैसे तो ले लिए लेकिन अब वह उसके राजनीतिक नुक़सान से बचने के लिए हरसंभव उपाय कर रही है। यदि ऐसा नहीं है तो एफ़डीआई में छूट, 75 मेडिकल कॉलेज खोलने जैसी घोषणाएँ क्यों?
अभी तक सरकार ने फ़ाइव ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का राग अलापना छोड़ा नहीं है लेकिन जिस रफ़्तार से आरबीआई से पैसे लेने सहित आर्थिक फ़ैसले हो रहे हैं उनसे साफ़ लग रहा है कि सरकार मंदी के डर से परेशान है।
भारत का मुद्रा रुपया छह साल के न्यूनतम स्तर पर है, यह अभी और टूटेगा। हालाँकि भारतीय मुद्रा अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध के सीधे जुड़ा हुआ नहीं है, पर वह इससे लम्बे समय तक अछूता भी नहीं रहेगा।
रिज़र्व बैंक के सरप्लस रिजर्व से पैसे निकाल कर केंद्र सरकार को देने के मुद्दे पर बैंक और सरकार के बीच रस्साकसी लंबे समय से चल रही थी। अंत में रिज़र्व बैंक ने केंद्र सरकार को पैसे दे दिए।
चीन-अमेरिका व्यापार युद्ध में ताज़ा हाल यह है कि अमेरिका ने अपनी कंपनियों से कहा है कि वे चीन से बोरिया-बिस्तर बाँधना शुरू कर दें। क्या भारत इसका फ़ायदा उठा पाएगा?
वित्त मंत्री ने अपने भाषण में जो घोषणाएँ कीं, उसके बाद यह उम्मीद करनी चाहिए कि जल्दी ही कुछ और अच्छी घोषणाएँ होंगी क्योंकि मंदी का भूत इन 33 हल्के मंत्रों से नहीं भाग सकता।
मंदी के कारणों को समझने और कार्रवाई करने के बजाय कुतर्कों से जीतने की कोशिश की गई और अब वही कार्रवाई की जा रही है जो चुनाव से पहले कर दी जानी चाहिए थी।
अर्थव्यवस्था की हालत सुधारने के लिए निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कई घोषणाएँ कीं। उन्होंने कहा कि सुधार लगातार चलते रहने वाली प्रक्रिया है और व्यापार करने के अनुकूल माहौल बनाने का प्रयास अभी भी जारी है।