नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ चल रहे आन्दोलन ने पंजाब की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर डाला है। वहाँ बड़े उद्योगपति ही नहीं छोटे और मझोले व्यापारी तक इसकी चपेट में आ गए हैं।
रतन टाटा का दाँव उलटा पड़ गया है। नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्राइब्यूनल या एनसीएलएटी (एनक्लैट) ने साइरस मिस्त्री को दोबारा टाटा संस का चेयरमैन बनाने का फ़ैसला सुना दिया है।
हाल ही में कर उगाही कम होने के बावजूद अर्थव्यवस्था में जान फूँकने के लिए बड़े व्यवसायी घरानों के लिए कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती की गई थी, लेकिन अब उसी कर उगाही को बढ़ाने के लिए सरकार अफ़सरों को टारगेट दे रही है।
ऐसे समय जब सरकार बार-बार कह रही है कि अर्थव्यवस्था में कुछ भी गड़बड़ नही है, खाद्य वस्तुओं की कीमतों में बेतहाशा वृद्धि हुई है। इससे जुड़ा थोक मूल्य सूचकांक नवंबर में 11.1 प्रतिशत बढ़ गया। यह पिछले 71 महीने के उच्चतम स्तर पर है।
पहले प्याज और अब दूध की कीमतें बढ़ने से सवाल उठता है कि क्या उपभोक्ता खाद्य वस्तुओं की कीमतें बढ़ रही हैं, जो बदतर आर्थिक स्थिति के लिए चिंता की बात है?
संयुक्त राष्ट्र विकास रिपोर्ट 2019 में कहा गया है कि 1980-2016 के बीच भारत में एक आर्थिक रूप से प्रभुत्व वाले वर्ग का उदय हुआ है, जो 1 प्रतिशत हैं, पर जिनके पास 27 प्रतिशत आय है।
रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने आर्थिक मंदी की बात करते हुए मोदी सरकार पर ज़ोरदार हमला किया और कहा कि इसके लिए ख़ुद मोदी और उनका कार्यालय ज़िम्मेदार है।
बहुत जल्द ही आर्थिक मंदी देश के शासन में राजनैतिक लड़ाई का रूप लेने जा रही है। मंदी से राजस्व वसूली में आई गिरावट के बाद केंद्र ने राज्यों की हिस्सेदारी में कटौती शुरू कर दी है।
सरकारी एजेन्सी सेंट्रल स्टैटिस्टिकल ऑफ़िस (सीएसओ) ने बीते दिनों इस साल की दूसरी छमाही के लिए जीडीपी वृद्धि दर 4.5 प्रतिशत कर दी थी। अब आरबीआई ने इसका अनुमान 5 प्रतिशत लगाया है।